रक्त की पहचान
रक्त की पहचान
सारे कसबे में दंगे हो रहे थे। हर जगह मारकाट हो रही थी। प्रशासन ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए थे।जगह जगह लाशों के ढेर लगे पड़ा था। शरीरों के चीथड़े उड़ा दिए थे बम ब्लास्ट ने। रक्त से सारी जगह लाल हो गई थी। ऐसे में नरभक्षियों की मौज लगना स्वाभाविक था। बस मौका देख कर दो नरभक्षी न जाने कहाँ से प्रकट हो गए।
पहला- "अरे यार, सुना मनुष्य का रक्त बहुत स्वादिष्ट होता।"
दूसरा- "हाँ यार पर मेरा मन तो आज हिंदू रक्त पीने को हो रहा।"
पहला- "हाँ, तो दिक्कत क्या है, मैं मुसलमान रक्त पी लेता हूँ, तू हिंदू का , पर यार पता कैसे चलेगा कि कौन सा रक्त किसका, रंग तो एक जैसा ही है रक्त का सबके।"
दूसरा- "अब यह तो मुझे भी नहीं पता। वैसे भी रक्त के ए, बी, ए+ , ए _, बी+ , बी_ जैसे भेद तो सुने थे, पर रंग से कैसे पता चले कि कौन सा रक्त किसका? चल छोड़ यार वापिस चलते हैं। साला मूड ही खराब हो गया।"और हताश से दोनों वापिस लौट गए अपने लोक में।.....