MITHILESH NAG

Drama

5.0  

MITHILESH NAG

Drama

रिश्तों की पोटली

रिश्तों की पोटली

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सुबह सुबह भीमा घर के बाहर एक छोटे से कुर्सी पर बैठ कर अंगुली में मंजन ले कर दांत को घिस रहा था। तभी उसके पास एक 80 साल का बूढ़ा आदमी उसके पास कहराते हुए बोलता है” बेटा ये मेरा एक पोटली है। “ पोटली! मतलब मैं समझा नहीं। मुँह में पानी भर कर बोलता है।

हाँ, बेटा” बात ये है ना.. आज से 60 साल पहले मुझे मेरे पिता जी ने ये पोटली दिया था। और मुझे मेरे परिवार वाले पर यकीन नहीं है। इसलिए बेटा मैं किसी दिन आऊँगा तो ले लूगाँ। 

क्या बात कर रहे हैं, आपके परिवार में शायद अच्छे लोग नहीं है। मुझे देखो मेरा पूरा परिवार साथ रहता है, और लोग मानते है।

भीमा को अपने परिवार पर बहुत घमण्ड था। क्योकि उसको लगता है कि मेरे बच्चे कभी मेरे साथ ऐसा नहीं करेगें। 2 लड़के और एक लड़की जो अभी 15, 15 और 10 साल की है।

अच्छी बात है, बेटा.. ठीक है.अब मैं चलता हूँ। अभी तो मैं कुछ दिन के लिए तीर्थ यात्रा पर जा रहा हूँ और वो बुजुर्ग चला जाता है।

कुछ दिन बाद-

राहुल जो उनका बड़ा लड़का है, एक दिन बाजार गया था। वही पर किसी दुकान से सामान लेकर बिना पैसे दिए जा रहा था।

ऐ भाई ! “रुपये तो देते जाओ”। दुकानदार उसको टोकते हुए । लेकिन! मैंने तो पैसे दिए है.. तो फिर क्यो मांग रहे हो। दिमाग तो ठीक है। ऐसे दिखा रहा है, जैसे सच मे दे दिया हो।

भीड़ की वजह से दुकानदार को भी लगा श्याद दिया होगा?

“माफ करना भाई” मुझे लगा नहीं दिए हो । 

लेकिन अक्कड़ दिखाते हुए वो बोला” आज के बाद ऐसे रोका तो ठीक नहीं होगा। और वहा से वो चला गया।

घर पर-

घर पर आ कर खूब हँसने लगा.. पास में उसके भीमा भी बैठा था। क्या बात है, इतना हँस क्यो रहे हो? बात ही ऐसी है पिता जी.. “आज मैंने दुकानदार को बिना पैसे दिए ही चला आया।“

वो कैसे ?

आज जब सुबह सामान लेने गया था। तो सामान लेकर कर मैं चुपके से भाग रहा था। लेकिन उसने मुझे पकड़ लिया । और बोलता है की... ऐ भाई रुपये तो देते जाओ। मैं गुस्से में बोला।” कितनी बार पैसे लेगा”, रुपये मैंने पहले ही दे दिया तुमको तो फिर क्यो मांग रहा है। “

इतना सुनते ही भीमा खुश हो जाता है। और अपनी जगह से उठ कर वो उसके पास आता है। पीठ ठोंकते हुए शाबाशी देता है..

“आखिर बेटा किसका है”...मेरा आज तो तुमने 500 रुपये बचा लिए है। ठीक है, रख ले आज के लिए ये तेरा इनाम है।

खुशी खुशी राहुल तो पैसे रख लेता है, लेकिन उसका छोटा भाई भी ये सब देखता है। लेकिन कुछ बोलता नहीं है, ऐसा लगता है जैसे उसके दिमाग मे कुछ चलता रहता है।

कुछ देर शान्त रहने के बाद सोनू बोलता है...

पिता जी, हमारे घर मे बहुत काम रहते है और हम भाई बहन ये सब तो करेंगे नहीं तो क्यो ना एक नौकर रख लिया जाए। वो भी मुफ्त में ।

बात में तो दम है, और उसको देखने लगता है। लेकिन बेटा नौकर मिलेगा कहाँ?

पास के गली में एक औरत रहती है, उसका 13 साल का लड़का अखिलेश रहता है। उसको ही बुला लेते है। ठीक है, कल सुबह उसको बुला लो। भीमा हाँ करते हुए ।

अगली सुबह अखिलेश के घर....

पास के गली में जब सोनू पहुँचा तो मुँह बंद कर के खड़ा होता है, घर एक टूटे-फूटे लकड़ी, मोटी प्लास्टिक के और कुछ खराब टिन सेट का छोटा सा घर बना कर रहता है। जहाँ एक बूढ़ी औरत जो लगता है बहुत दिन से कुछ खाई नहीं हो। उसको लगा कोई कुछ खाने को लाया है।

टूटी आवाज़ में बूढ़ी औरत बोलती है”कौन है बेटा?’ 

वो, बगल वाले कोठी में सोनू भैया है। बोलो भइया कैसे आना हूँ आ ?

चल जल्दी से मेरे पिता जी ने बुलाया है।

लेकिन क्यो?” मुझसे कोई गलती हो गयी क्या सोनू भइया” ?

नहीं कोई गलती नहीं हुई है?काम करेगा मेरे घर पर...?

अखिलेश तो बहुत खुश हुआ.. कि मुझे भी काम मिलेगा और मैं भी अब काम कर के पैसे कमाऊँगा। और साथ मे उसके घर की जाता है।

भीमा के घर पर..

घर मे घुसते ही अखिलेश पूरे घर को देखता रहता है। क्योंकि पहली बार इतना बड़ा घर देखा है।

अबे! क्या देख रहा है ? आज से काम पर लग जा.. और देख जो भी मिलेगा उसको रख लेना नाटक मत करना समझा।

हाथ जोड़े “जी मालिक जैसा आप बोलेंगे वैसा ही करूँगा। “

समय बीतने लगा। अब सब के सब बड़े हो गए। भीमा भी पहले से ज्यादा बूढ़ा हो गया। बड़ी मुश्किल से कुछ कर पाता है। बेटी की शादी भी बड़े धूमधाम से किया था। लेकिन वो भी वहाँ भी अपने ससुराल वाले को परेशान करती थी। इसलिए उसको मायके भेज दिए सब..तब से 4 साल से यही पडी है।

अखिलेश भी अब 22 साल का हो गया है, लेकिन आज भी उसके संस्कार, सम्मान, अच्छे आचरण की वजह से वो वही रह गया।

लेकिन एक दिन....

बड़े हिचकते हुए”मालिक वो मुझे 4, 5 दिन की छुट्टियां चाहिए। “ कुछ घर काम है। भीमा को पता है कि इतने साल में पहली बार छुट्टी मांग रहा है।

ठीक है... लेकिन आ जाना वही मत रुक जाना ।

लेकिन शाम को बिस्तर पर भीमा लेटा है, तो उसको प्यास लगी 

अरे! राहुल बेटा कहाँ हो जरा पानी दे देना। लेकिन उधर से कोई आवाज़ नहीं आयी। लगता है बाहर गया होगा।

फिर कुछ देर बाद...

“सोनू बेटा बहुत तेज़ प्यास लगी है”, पानी तो दे दो। फिर कोई आवाज़ नहीं आयी।

ऐसे करते करते वो तीनो को आवाज़ लगता है लेकिन सब हो कर भी बाहर नहीं निकलते है।

अंत मे खुद भीमा पानी लेने आँगन में जाता है, लेकिन अचानक उसका पैर फिसलने के कारण उसके कमर और पैर में चोट लग जाती है।

हे राम!.... बचाओ...” मुझे मेरी मदद करो”।

जब भीमा खूब रोने लगा तो तीनों बाहर निकलते है।

“क्यो चीखे जा रहे हो?, मर नहीं गए हो जो इतना चिल्ला रहे हो”।

इतना सुनते ही उसको समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे।

बेटा तुम्हरा पिता हूँ.. और इस तरह। उसके मुँह पर खूब पसीने और साथ मे रो रहा था।

सोनू बोला” मर तो नहीं गए हो ना” और सब के बाप होते है। “

लेकिन शाम को अखिलेश कुछ पैसे लेने के लिए भूल गया था। तो उसी के लिए वो वापस भीमा के घर आता है। लेकिन जैसे ही वो अपनें मालिक को इस हाल में देखता है तो रोने लगता है।

मालिक ये क्या हो गया ? सुबह तो आप ठीक थे फिर अचानक क्या हो गया आप को।

ये सब देख कर भीमा को समझ मे नहीं आ रहा था कि कौन अपना है कौन पराया है।

अपने मालिक की हालत देख कर अखिलेश वही रुक जाता है।

वो तीनो बच्चे अपनी जिम्मेदारियों से दूर होने के लिए बिना कभी जानकारी दिए एक नया मकान लिए थे। वो सब वहा चले गए ।

बहुत रोकने के बाद भी वो बोले कि” बुड्ढा मरे या जीये मुझे क्या” लेना देना इतना कह कर वो चले गए ।

लगातार अपने मालिक की सेवा करता गया, दिन रात उनके पास ही रहता था।

एक दिन फिर वही बुजुर्ग आदमी आता है उसके घर , उसको देखते ही उसके पैर पकड़ कर खूब रोने लगा भीमा।

फिर अपनी पोटली मांगने लगा। जब पोटली देता है तो पूछने लगा कि “आखिर इस पोटली में है क्या ?”

फिर जैसे ही वो आदमी पोटली खोलता है। तो उसमें तीन पेपर के टुकड़े थे। जिस पर लिखा था। घमंड अच्छे अच्छे का टूटता है।

तीनो टुकड़ों पर लिखा था “संस्कार, संस्कृति, सम्मान और प्यार इन तीनो से मिल कर बनता है- “रिश्तों की पोटली”

भीमा को भी समझने में देर नहीं लगी कि मैं मैंने क्या बोया और क्या पाया है।


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