Sushma Tiwari

Drama

5.0  

Sushma Tiwari

Drama

रिश्ते खेल नहीं

रिश्ते खेल नहीं

4 mins
209


रिचा और अनुज शहर से थोड़े ही दूर दूसरी जगह रहते थे वहाँ से अनुज का ऑफिस भी नजदीक था और उनके बेटे गोलू का स्कूल भी। रिचा के ससुराल में सास ससुर थे और देवर देवरानी उनके साथ ही रहते थे। जब तक सब साथ थे सब कुछ अच्छा चल रहा था क्यूँकी रिचा अपने विवेक से हर बिगड़ती बात सम्भाल लेती थी। घर मे झगड़े बामुश्किल होते थे क्यूँकी समस्या बढ़ने से पहले ही बैठ कर बात हो जाती थी।

     रिचा के जाने के बाद सब कुछ बदल गया, सास बहू (रिचा की देवरानी अनामिका ) में खटपट शुरू हो गई। पर बात थोड़ी अलग इसलिए थी क्यूँकी सासु माँ को अनामिका तो आंख में खटकती पर बेटे दीपक में जान बसती थी। दीपक सास बहू के झगड़े में पड़ता ही नहीं था। मामला हमेशा सुनवाई के लिए रिचा के पास पहुंचता था। फोन पर बारी बारी दोनों परेशान करते अपना अपना पक्ष रख कर और रिचा दोनों को समझा बुझा कर शांत कर देती।

बात तब बहुत बढ़ गई जब अनामिका के मायके शादी थी और सास का कहना था कि दुकान बंद कर दीपक साथ नहीं जाएगा, पर अनामिका के प्यार और जिद के कारण दीपक माँ से बिना सलाह ससुराल चला गया। ये बात सास को बहुत बुरी लगी और रिचा को रो कर सारा हाल बताया। रिचा ने उन्हें सलाह दी कि आप लोग जब इतना लड़ते हैं उससे अच्छा हमारे साथ आ कर रहें, पर सास का दीपक प्रेम ऐसा "मुझे अनामिका पर भरोसा नहीं, दीपक को दो टाइम का खाना भी देगी की नहीं"। रिचा ने कहा ठीक है जब तक दीपक अनामिका गाँव से आते हैं वापस तब तक आप मेरे पास आ जाइए, मैं ही आ जाती पर गोलू की परीक्षाएं चल रही है। रिचा की बात मानते हुए दोनों रिचा के पास आ गए। पर रह रहकर सास का मन दीपक की ओर जाता, अनामिका जिद से ले गई मेरे बेटे को। रिचा को बुरा भी लगता कि कभी अनुज के प्रति ऐसा प्रेम नहीं दिखाती फिर शुक्रगुज़ार भी रहती वर्ना उसका जीना भी दुश्वार हो जाता। दो दिन बीतने के बाद ही दीपक को फोन कर दुहाईयाँ और कसमें देने लगी की तबीयत ठीक नहीं तू लौट आ। दीपक ने कहा कि शादी खत्म होते ही आ जाएगा और भाभी है ना वहाँ। पर शायद इन्हीं बातों पर वहाँ मिया बीबी मे बहस हो गई और दीपक गुस्से में शादी छोड़ चला आया और अनामिका से कहा तुम्हें रहना है तो रहो हमेशा के लिए।

        रिचा को अनामिका का फोन आया कि क्या कुछ हुआ है सास के चक्कर में, सास ने ये खबर सुनी तो फूली ना समाई गर्व से। रिचा ने समझाया कि मम्मी जी जग हँसाई होगी, आप दीपक को समझाये और अनामिका के घर पर बात करें । सास ने पहले दीपक को फोन कर कहा कि अच्छा किया अब उसकी अक्ल ठिकाने आएगी। अनामिका के भाई को फोन कर कहा कि जब लड़की सुधर जाए तो पहुंचाना वर्ना वहीं रखो।

       बात बनने की जगह अब बिगड़ चुकी थी। सास ने कहा देख रिचा अब बला टली, मैं परेशान थी अनामिका से, दीपक को यहीं बुला लेती हूं सब खुशी से रहेंगे। रिचा ने देखा कि सास को दीपक के बिखरते परिवार की चिंता नहीं थी बस अपने विजय घोष में लगी हुई थी। रिचा जानती थी की दीपक और अनामिका के बीच सिर्फ गलतफहमी थी, दीपक एक दिन नहीं रह सकते थे अनामिका बिना। रिचा ने साफ कह दिया, मम्मी जी आप लोग रहिये पर दीपक घर जा कर रहे, मैं इतने लोगों की जिम्मेदारी नहीं उठा सकती। सास का मुँह खुला रह गया, ये क्या कह रही है रिचा, तू तो सबको साथ लेकर चलती है। हाँ मम्मी जी, सब को साथ, इस तरह दीपक की गलत कदम पर शह देकर उसका परिवार नहीं तोड़ना मुझे।

  सास गुस्से में यह कह कर चली गई की मैं देखूँगी अपने बच्चे को। पर उनके अहंकार पर करारा तमाचा पड़ा जब दीपक उसी रात वापस चला गया और अनामिका को माफी मांग शादी अटेंड कर वापस आया। रिचा सासु माँ की नाराजगी से दुखी थी की तभी फ़ोन पर मैसेज आया दीपक का "थैंक्स भाभी" ।अब रिचा को संतुष्टि थी कि किसी का घर टूटने से बचा लिया।



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