रीत
रीत
बहू को अपना बैग पैक करता देख उर्मिला मुस्कुरा कर उससे बोली, क्यों बहू, रोहित ने कहीं घूमने जाने का प्लान बनाया है क्या या तुम अपने मायके जा रही हो।
अपनी सास की बात सुन तब रीता बोली, नहीं माँ जी शादी के समय ही, रवि ने क्वार्टर की अर्जी दे दी थी जो अब मंजूर हो गई।
अतः अब हम वहीं रहने जा रहे हैं, उसके शब्द सुन अब उर्मिला का कलेजा कांप उठा, और वो पास पड़ी एक मेज पर धप्प से बैठ गई। फिर खुद को संयमित कर वो अपने बेटे से बोली, कि रोहित आखिर इस बुढ़ापे में तुम हमे यूँ अकेला किसके सहारे छोड़कर जा रहे हो।
बेटा तुम्हारे सिवा अब हमारा है ही कौन ?
अपनी माँ की बात सुन रोहित कुछ कहता उसके पहले ही बहू रीता फिर बोली ओ हो माँ जी आप तो यूँ ही बात बड़ा रही है।
जब आपकी शादी हुई तब क्या आपने कुछ ही दिनों बाद अपना ससुराल नही छोड़ दिया था।आपके बाद फिर चाचाजी, और अभी दो साल पहले बड़े भाई साहब अलग हो गए।
अब हम जा रहे है, तो इसमें गलत क्या है। यही तो अपने परिवार की रीत है ना माँ जी।
बहू की बात सुन अब उर्मिला ने कातर नजरों से अपने बेटे की ओर देखा पर आज शायद वो भी चुपचाप सर झुकाए अपनी पत्नी की बात पर ही अपनी मौन स्वीकृति दर्शा रहा था।
