रहस्यमयी तलवार।
रहस्यमयी तलवार।
ये कहानी है तेरहवीं सदी की, जब जापान में राजतांत्रिक शासन अपने चरम पर था। हालांकि आम लोगों के लिए यह सदियों से चली आ रही तानाशाही का ही एक हिस्सा था। हथियारों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी, और कारीगरों की संख्या गिनती में ही रह गई थी। हर परिवार में से एक व्यक्ति का सेना में होना अति आवश्यक था। ऐसा राजादेश था। एक नई फौज का उदय हुआ, जो बड़ी से बड़ी सेना को मिट्टी के ढेर की तरह ध्वस्त करने में सक्षम थी, वह सामुराई कहलाए। नई फौज और लड़ने के नए तरीकों के साथ नए हथियारों का भी आविष्कार हुआ। शुरिकेन (लंबी दूरी से मार करने वाले चाकू), कुसारिगामा (दूर तक मार कर सकने वाली कुल्हाड़ी ) और धारदार टोपी, इन सभी नए हथियारों का बोलबाला चारों तरफ था और पुराने शस्त्रों का वर्चस्व मिटाने को आतुर था, किंतु एक हथियार ऐसा भी था जो अभी भी राजा और शूरवीर योध्दायों के लिए अभिमान था । "कटाना" जापानी तलवारों में अग्रणी, इसकी तेज़ धार के वार से ऐसा लगे मानो यह हवा और पानी को काटने में भी सक्षम हो। मजबूत से मजबूत कवच इसकी तेज़ धार के सामने पत्तों की तरह बिखर जाते थे, परंतु यह सबकी किस्मत में कहाँ कि वह कटाना को छू भी सके। केवल राजशाही से जुड़े उच्च पद के सैनिक और कुछ शूरवीर योद्धा ही इसे चला पाने में सक्षम थे। इसकी विशेषता को इस बात से भी आंका जा सकता है कि जहाँ बाकीसब हथियारों को बनाने में चार-पांच घंटों से अधिक का समय नहीं लगता था वहाँ कटाना, दो महीनों की कड़ी मेहनत के बाद तैयार होती थी, और इसे बनाने मे तीन या चार कारीगरों की जरूरत पड़ती थी। इसे बनाने वाले कारीगरों का विशेष रूप से हर स्थान पर सम्मान होता था, और जापानी योद्धाओं में इन्हें गुरु माना जाता था। मगारि यामा" जो उस समय की सेना के सेनापति थे, वह एक ऐसी ही तलवार की खोज में जापान की सबसे ऊंची पर्वत चोटी "माउंट फूजी सान" की ओर निकल पड़े यह एक विशाल बर्फीला ज्वालामुखी पर्वत है। मगारि यामा पर्वत के पास झील के किनारे एक गांव में रात्रि को विश्राम करने का निर्णय लेते हैं। वह एक बूढ़ी महिला के घर पर रुके जिनका बेटा कटाना बनाने की कला में अभी एक नौसिखिया ही था। मगारि यामा ने युवक से पूछा, "क्या आप "कामीगारो शोगन", जो कटाना बनाने के मामले में सर्वश्रेष्ठ और पारंगत हैं, उनसे मेरी भेंट करवा सकते हैं , आपको इसके बदले इनाम भी दिया जाएगा, मैंने इस गांव के लगभग हर व्यक्ति से उनके बारे में पूछा, पर कोई उनका नाम तक लेना नहीं चाहता, पता नहीं ये लोगों की उनके प्रति निष्ठा और सम्मान की भावना, है या कुछ और! युवक के चेहरे से प्रसन्नता के भाव उडे़ हुए थे, उसने धीमे स्वर में कहा "मैं आपको उनके स्थान पर ले जाने को तैयार हूंँ, परंतु", तभी यामा ने खुश होकर ऊंचे स्वर में कहा " परंतु कुछ नहीं हम कल सुबह ही वहाँ के लिए रवाना होंगे", अगली सुबह वह दोनों फूजी सान की चढ़ाई शुरू करते हैं । लगभग सात घंटों की थका देने वाली यात्रा के बाद वह कामीगारो के निवास स्थान पर पहुंचे, जहां इंसानी गतिविधियों का नामोनिशान तक नहीं था, थे तो बस ब्रिसलकोन देवदार के ऊंचे-ऊंचे पेड़ और उनकी टहनियों पर बैठे मोटे-मोटे मकाउ बंदर, यहां-वहां उछलते- कूदते हुए। यामा ने सोचा की उच्च कोटि के लोग या वैरागी ऐसे ही स्थान पर रहना पसंद करते हैं, एक अदृश्य शक्ति उन्हें बार-बार अपनी ओर खींच रही थी और "फ़ूजी फिस्टल" जो एक अत्यंत सुंदर पुष्प है और केवल फ़ूजी के शिखर पर ही पाया जाता है, उसकी सुगंध वहाँ चारों ओर फैली हुई थी, उसकी सुंदरता और सुगंध ने मगारि यामा को मंत्रमुग्ध कर दिया परंतु , फूल को तोड़ते वक्त उनकी तर्जनी उंगली पर फूल के कांटे से एक घाव हो गया और वह उसी पल बेहोश हो गए, लगभग आधे घंटे बाद जब उन्हें होश आया तो , तो उनकी नजर एक वयोवृद्ध बुज़ुर्ग पर पड़ी, यामा ने पूछ "क्या आप ही मशहूर कामिगारो शोगन हैं जिनके चर्चे पूरे जापान में है। बुजुर्ग ने कोई उत्तर नहीं दिया। यामा थोड़े सकुचाये और विनम्र स्वर में बोले "मैं यहां की सल्तनत का प्रमुख सेनापति हूं और बहुत दूर से यहाँ का सफर तय करके आया हूंँ, एक ऐसी बेजोड़ तलवार की खोज में जिसके एक वार पे मोटे से मोटा पेड़ दो हिस्सों में कट जाए, जिसकी चमक को देखकर शत्रु की आंखें धोखा खा जाए और जिसके शौर्य को देखकर दुश्मन की सेना उल्टे पैर दौड़े और मैदान छोड़ कर भाग जाए, बुजुर्ग ने उत्तर दिया "लड़ाई तलवार के बल पर नहीं हौसले के बल पर जीती जाती है सेनापति जी। गहरी सांस लेकर फिर वह बोले "ऐसी तलवार बनाने में कम से कम चार माह का वक्त लगेगा। सेनापति ने कहा आपको जितना समय चाहिए उतना लीजिए, पर तलवार अतुलनीय होनी चाहिए। "ऐसा ही होगा" बुजुर्ग ने उत्तर दिया। चार माह बाद यामा ने एक सैनिक को तलवार लाने भेजा और उस युवक के लिए सौ और शोगन के लिए 10,000 स्वर्ण मुद्राओं का इनाम भी भेजा। तलवार को शाही समारोह की पेशकश की तरह महाराज के सामने पेश किया गया, महाराज ने उसे उठाते ही उसकी प्रशंसा में कसीदे पढ़ने शुरू कर दिये और कहा " आज से इस तलवार का नाम शोगन- कटाना होगा और वैसी ही 10,000 तलवार बनाने का आदेश दे दिया। मगारि यामा ने प्रमुख कारीगर को यह काम सौंपा तो वह कहने लगा "ऐसा कठोर दंड हमें मत दीजिए!" क्यों क्या हुआ? सेनापति ने पूछा, कारीगर ने कहा "इसकी नकल बनाना हमारे बस में नहीं, यह तो किसी उच्च कोटि के गुरु जी द्वारा बनाई हुई प्रतीत होती है। "हाँ ये तलवार कामिगारो शोगन द्वारा बनाई गई है"। यामा ने उत्तर दिया "परंतु यह असंभव है शोगन तो 2 साल पहले ही इस संसार को छोड़कर चले गए थे"। कारीगर ने डरे हुए स्वर में कहा, यामा ने कहा "बकवास मत करो मैंने स्वयं जाकर उनसे ही यही कटाना बनवाई है, परन्तु वह बुजुर्ग हो चुके थे इसलिए उन्होंने केवल एक ही कटाना बनाई थी, समझे नासमझ। कारीगर बोला "परंतु वह तो" यामा उसे डांटते हुए चले गए और सीधे जा पहुंचे कामिगारो के स्थान पर, इस बार एक युवक ने उनका स्वागत किया। यामा ने कहा "शोगन जी कहाँ हैं, साधना में हैं या कहीं और, युवक ने कहा जी मेरा नाम योषिदो है और कामिगारो शोगन मेरे दादाजी थे। " थे! थे से आपका क्या मतलब? "जी दो साल पहले उनका स्वर्गवास हो गया तब से मैं ही उनकी इस कला को जीवंत रखे हुए हूंँ," "परंतु मैं तो 4 महीने पहले ही उनसे मिला था और यह कटाना भी मैंने उन्हीं से बनवाई है" "जी नहीं यह कटाना आपने मुझसे बनवाई है" योषिदो ने कहा, परंतु उस दिन तो मैं शोगन से ही मिला था ?? आपकी उंगली में यह घाव कैसा? योषिदो ने पूछा, "यह तो उस दिन वह फूल तोड़ते वक्त!! अच्छा अब समझा जब आपकी उंगली में यहां कांटा चुभा तो उसका विश मेरुदंड से सीधे आपके मस्तिष्क में पहुंचा, भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने और दादा जी से मिलने की प्रबल इच्छा के कारण आपको ऐसा लगा कि आप मुझ से नहीं बल्कि स्वयं शोगन जी से बात कर रहे थे, परंतु यह कटाना तो उनकी बनाई हुई पिछली तलवारों से मेल खाती है? वह बात यह है कि मैं बचपन से ही शोगन के सानिध्य में बढ़ा हुआ और उनकी हर बात और कला को बखूबी जाना, मृत्यु से पहले उन्होंने मुझे कटाना बनाने की कला में माहिर होने के गुर दिए, जिससे मेरी बनाई हुई हर तलवार उनकी तलवारों से ही मेल खाती है, वाह! बहुत खूब आपकी इस कला की महाराज ने स्वयं तारीफ की थी, अब समझ आया कि उस दिन गांव में कोई उनके बारे में बात क्यों नहीं कर रहा था और मेरे कारीगरों ने भी कहा लेकिन तब मुझे उनकी बात पर यकीन नहीं था, खैर महाराज ने ऐसी 10,000 तलवारें बनाने का आदेश दिया है और मेरे कारीगर भी इसकी नकल कर पाने में सक्षम नहीं हैं, आपकी शिष्यता में वह जरूर ऐसा कर पाएंगे, क्या आप हमारे साथ चलने का आग्रह स्वीकार कर सकते हैं ? "जी मुझे आपकी सहायता करके खुशी होगी योषिदो उनके साथ जाने के लिए सहमत हुए, लगभग 15000 कारीगरों ने योषिदो के साथ मिलकर 5 माह के भीतर कार्य पूर्ण किया। योषिदो को एक बड़ी इनामी राशि देकर राजसी सम्मान सहित उनके घर छोड़ा गया, इसके बाद कई आक्रमण हुए लेकिन विजय केवल यामा की सेना की हुई, लगातार हार के बाद शत्रुओं को पता चला कि उस कटाना की वजह से ही यह संभव है, उन्होंने उसे चोरी करने की रणनीति बनाई और सफल भी हुए पूरे देश में उसे दिन-रात एक करके ढूंढा गया परंतु वह कहीं नहीं मिली, बाद में यहा माना गया कि वह नष्ट हो चुकी है परंतु, शत्रुओं ने उसे बड़ी रकम लेकर विदेशियों को बेच दिया, समय-समय पर वह तलवार उजागर हुई, द्वितीय विश्वयुद्ध में जब जापान विनाश की गर्द में था, तब वह एक मछुआरे को मिली और उसने उसे अमरीकियों को बेच दिया, नेवाड़ा की एक म्यूजियम में इसके होने की आशंकाएं जताई गई, परन्तु इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हुई। दुनिया भर के खोजकर्ताओं को आज भी शोगन-कटाना की तलाश है और आज भी यह तलवार एक रहस्य है।।