रेसिंग कार का सपना
रेसिंग कार का सपना
दिनेश को बचपन से ही गाड़ियों में रुचि थी।कहीं भी आते जाते समय सड़कों पर भागती कार को अनायास निहारते रहता।किताबी दुनिया से दूर वह कार के पुर्जों ,इंजन और उसकी कार्यविधि को जानने के लिए सदैव उत्सुक रहता था।कार के नए नए मॉडल की जानकारी लेते रहता।घर की आर्थिक स्थित ऐसी नहीं थी कि वह कार खरीदवा सके।उनके पिताजी की एक छोटी सी दुकान थी जिससे घर का गुजारा चलता था।बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह कार के शोरूम में काम करने लगा जहाँ वह मैकेनिक के साथ रहकर कार बनाने का काम सीखने लगा।अपने दोस्तों के साथ धीरे धीरे वह कार चलाना भी सीख लिया।
कुछ समय के बाद वह टैक्सी ड्राइवर का काम करने लगा।पर उनकी आँखों में सपना अभी भी था।वह सोचता था कि एक दिन वह खुद ही रेसिंग कार बनाएगा और सड़क में तेजी से चलायेगा।एक दिन वह टैक्सी चलाते चलाते एक जगह रुककर बाहर खड़ा हो गया और रेसिंग कार का सपना देखने लगा, काश उसके पास वह कार आ जाये तो उसका बचपन का सपना पूरा हो जाये।
अपने उसी पुराने दुकान की तरफ वह चल पड़ा जहाँ वह काम करता था।वही फिर से काम करते करते उसने कार के पुर्जे इकट्ठे करने लगा और कुछ सालों तक लगातार मेहनत और लगन से अंततः उसने रेसिंग कार बना ही लिया जब वह अपनी रेसिंग कार को लेकर निकला तो दुनिया उसे देखती रह गई।
