रानी
रानी
रमा राखी पर मायके आई तो हमेंशा की तरह अनिल को राखी बांध, पड़ोस के सुभाष को राखी बांधने उसके घर पहुंची। सुभाष की पत्नी मीना बड़े-बड़े पतीलों में खाना बना रही थी।
मीना ने कहा, "आंटी, भाभी इतना खाना क्यों बना रही है, क्या कुछ कार्यक्रम है?"
आंटी ने जवाब दिया, "न बेटा, ये मेंस का खाना बन रहा है, सुभाष जिस फ़ैक्ट्री में काम करता था, नोटबन्दी की वजह से वो फ़ैक्ट्री बंद हो गई, घर चलाने सुभाष और उसकी पत्नी मीना मिलकर मेंस चलाते है, धन्य भाग हमारे, अन्नपूर्णा, बड़ी अच्छी बहु मिली है हमें, मेंस का खाना बनाने से लेकर घर के सारे काम खुद करती है। कितनी बार कहा झाड़ू, बर्तन साफ़ करने नौकरानी रख लो। तुम्हें कुछ आराम मिल जाएगा, पर बहु कहती है, "कोई नहीं मैं खुद कर लूंगी,चार पैसे बचेंगे तो आगे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में काम आएंगे।"
यह सुन रमा अतीत में खो गई जब उसने आंटी से सुभाष की शादी का ज़िक्र किया था तो आंटी ने जो कहा था वे शब्द सहसा उसके कानों में गूंजने लगे, "बेटा अभी तो तुम्हारे अंकल रिटायर हुए है, सुभाष को बड़ी मुश्किल से नौकरी लगी है। वेतन भी ज़्यादा नहीं, यहां से उसे अनुभव हो जाए और दूसरी कम्पनी में अच्छी नौकरी मिल जाए, तब करूंगी सुभाष की शादी। बहु लाऊंगी तो उसे बड़े चाव से रानी बनाकर रखूंगी।"
