रामचरितमानस एक नजर में
रामचरितमानस एक नजर में
श्री रामचरित मानस गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज की सर्वाधिक लोकप्रिय और कालजयी रचना है। इसे उनकी कृतियों की मणि माला का सुमेरू कहां जाता है। भारतीय भाषाओं में ही नहीं बल्कि विश्व की प्रायः सभी विकसित भाषाओं में इस कृति का अनुवाद हुआ है। जो इस ग्रंथ की लोकप्रियता और मूलबत्ता का प्रमाण है। इस कृति में रामकथा को सात काण्डों में विभाजित करके प्रस्तुत किया गया है। यद्यपि काव्य शास्त्रीय नियमों के अनुसार महाकाव्य में आठ सर्गो का होना आवश्यक माना गया है तथापि गोस्वामी तुलसीदास जी की यह रचना अपनी समग्रता और पूर्णता के आधार पर सात कांडों में ही निर्विवाद रूप से श्रेष्ठ महाकाव्य के रूप में सर्वस्वीकृत है। सर्गो के आरंभ में और बीच-बीच के कुछ अवसरों पर कुछ नए छंदों का भी उपयोग किया गया है, किन्तु मुख्य रूप से यह ग्रंथ चौपाई और दोहा छंदों में और अवधी भाषा में लिखा गया है। चौपाइयों के पश्चात एक दोहे का क्रम रखा गया है जिसका निर्वाह प्रायः प्रारंभ से अंत तक किया गया है। इसमें चौपाइयों की संख्या 51 हजार और दोह की संख्या 1074 है। आइए इसका पठन-पाठन करके अपने जीवन को धन्यता प्रदान करें
"वंदउ तुलसी के चरण,जिन्ह कीन्हों जग काज।
कलि समुद्र डूबत लख्यो, प्रकटहु सप्त जहाज।।