प्यार से

प्यार से

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शादी का कार्ड छप चुका था, घर के कोने- कोने को सजाया जा रहा था। जहांँ घर रंग- बिरंगी लड़ियो से जगमगा रहा था वहीं दूसरी तरफ बरामदे में बन रही कई तरह की मिठाइयाँ बच्चो और बड़ों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी। सरला ने घर में काम करने वाले सभी व्यक्तियों को बुलाया और उन्हें समझाते हुए कहा "अगले चार- पांँच दिनों में पूरा घर एक नई नवेली दुल्हन की तरह सज जाना चाहिए इसलिए आप सभी जल्दी- जल्दी अपना काम खत्म करे।" सभी ने सरला की हांँ में हांँ मिलाई और अपने- अपने काम में व्यस्त हो गये।

सरला भी अपनी बेटी पीहू को आवाज़ लगाती हुई उसके कमरे की तरफ मुड़ी तो वहांँ उसने देखा पीहू फ़ोन पर अपने होने वाले पति राहुल से किसी बात पर जोर-जोर से बातें कर रही थी। सरला ने धीरे से पीहू के कमरे में प्रवेश किया और बेड के पास पड़े आरामदायक कुर्सी पर चुपके से बैठ कर पीहू की बातें सुनने लगी। जब फ़ोन पर पीहू और राहुल की बातें ख़त्म हुई तो पीहू ने अपनी मम्मी को अपने रूम में बैठा पाया।

"क्या बात है पीहू, राहुल से झगड़ क्यों रही थी ?"

मांँ बात ही ऐसी है कि गुस्सा आ गया। शादी के जस्ट दो दिन बाद ही राहुल को अपने ऑफिस के काम से अमेरिका जाना है वो भी पूरे एक महीने के लिए, अब बताओ ऐसी बात पर मुझे गुस्सा आयेगा ही। शादी के बाद मैं बिना राहुल के ससुराल में क्या करूंँगी। मुझे तो कुछ भी समझ में ही नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं ?

मेरी प्यारी बच्ची सुनो, "जब मेरी शादी फ़िक्स हुई थी तब मैं तुम्हारे पापा से मिली भी नहीं थी सिर्फ उनकी एक फोटो देखी थी। तुम्हारे पापा से मेरे घर वाले मिले थे, सभी को यह रिश्ता पसंद था तो मैंने भी शादी के लिए हांँ कर दी।

शादी भी बड़े धूम धाम से हो गई, और मैं नई नवेली दुल्हन एक ऐसे इंसान के साथ जिसे मैंने कभी देखा नहीं, मिली नहीं, उसके साथ अपने ज़िन्दगी के अंजान सफ़र पर चल पड़ी। लेकिन कभी कभी अंजान सफ़र का रास्ता भी सही मंज़िल तक पहुंच जाता है। शादी के बाद भी मुझे कई साल लग गए तुम्हारे पापा को समझने में या ये कहो उन्हें प्यार करने में।"

"मम्मी आप ये क्या बातें लेकर बैठ गई मैं राहुल की बातें कर रही थी और आप पापा के बारे में बताने लगी।" पीहू ने थोड़ा चिढ़ते हुए कहा।

"बेटा, मैं तुम्हे यही समझाने की कोशिश कर रही जब हम एक दूसरे को जानते भी नहीं थे फिर भी हमारी गृहस्थी आज तक इतने अच्छे से चल रही तो तुम और राहुल तो एक दूसरे को बहुत पहले से ही जानते हो, तुम दोनों समझदार हो, साथ ही अपने पैरो पर खड़े हो फिर भी ये गुस्सा। राहुल ऑफिस के काम से ही तो जा रहा फिर आ जाएगा, अगर वो तुम्हे अपने साथ ले जाने में सक्षम होता तो जरूर ले जाता लेकिन कोई बात नहीं, तुम दोनों फिर कभी साथ चले जाना। जहांँ तक बात रही ससुराल में तुम्हारे अकेले रहने की तो तुम्हारे सास ससुर तो रहेंगे ही, उनके साथ तुम्हे अकेलापन नहीं महसूस होगा। तुम उन लोगो को थोड़ा और पास से जानने की कोशिश करना। वैसे भी राहुल के मम्मी पापा तुम्हारा बहुत ख्याल रखेंगे, और हम लोग भी तो सेम सिटी में ही है। बिना वजह परेशान होना बहुत गलत बात है, प्यार और सहयोग से ही कोई भी रिश्ता बरसो तक चलता है।" 

यह बात कहते हुए सरला ने पीहू का मोबाइल लिया और राहुल का नंबर मिला कर पीहू को देते हुए बोली, लो राहुल से फिर से बात करो लेकिन अबकी बार प्यार से।


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