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amit singh

Romance

3  

amit singh

Romance

प्यार का एहसास

प्यार का एहसास

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आज कॉलेज का पहला दिन था। रिद्धि सुबह ही ईशान के घर आ कर बैठ गई थी। ईशान भी कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था। जब वो तैयार हो कर नीचे आया तो रिद्धि नीचे उसका इंतज़ार कर रही थी।

"अरे रिद्धि तुम, इतनी सुबह सुबह", ईशान ने रिद्धि को देख कर पूछा।

"हां मुझे डर सा लग रहा है, उस कॉलेज की बात और थी लेकिन ये कॉलेज तो बिल्कुल अलग है", रिद्धि ने थोड़ा घबराते हुए कहा।

"तुम कुछ ज्यादा ही सोचती हो, ऐसा कुछ नहीं है, बिल्कुल नॉर्मल रहो और वैसे भी मैं भी तो तुम्हारे साथ हूं, तुम बिल्कुल चिंता मत करो", ईशान ने रिद्धि को समझाते हुए कहा।

"हां तुम हो इसीलिए मैं भी उस कॉलेज में जा रही हूं", रिद्धि ने कहा।

"मुझे पता है इसीलिए ही तो मैंने तुम्हारे लिए वो कॉलेज सेलेक्ट किया है, अब चलो चलते हैं", ईशान ने कहा।


रिद्धि और ईशान का बचपन एक साथ ही बीता था। रिद्धि कुछ ज्यादा ही शर्मीली लड़की थी। उस ज्यादा लोगों से बात करना पसंद नहीं था। इसीलिए बस वो ईशान के साथ ही रहती थी। ईशान उसका हर तरह से ध्यान रखता था। कॉलेज में ईशान रिद्धि से आगे था। रिद्धि का अभी पहला ही साल था जबकि ईशान का आखिरी साल था।


कॉलेज के अंदर जाते हुए भी रिद्धि ने ईशान के एक हाथ को कस कर पकड़ रखा था। कॉलेज के अंदर आ कर ईशान रुक गया।

"रिद्धि देखो तुम्हारी क्लास सामने है, जाओ अपनी क्लास में जाओ, मैं अपनी में जा रहा हूं, बाद में हम यहीं मिलेंगे", ईशान ने कहा तो रिद्धि चुपचाप अपनी क्लास में जा कर बैठ गई। 

क्लास शुरू होने से पहले एक लड़का रिद्धि के पास वाली सीट पर आ कर बैठ गया। 

"हाय मेरा नाम रोहन है, तुम्हारा नाम क्या है?", उस लड़के ने रिद्धि से पूछा तो रिद्धि बस चुप ही रही।

"ठीक है तुम्हे नहीं बताना है तो कोई बात नहीं", उस लड़के रोहन ने कहा और अपने काम में लग गया।

क्लास शुरू हो गई थी। प्रोफेसर कुछ समझा रहे थे। रिद्धि को उसमें कुछ दिक्कत महसूस हो रही थी। वो कुछ पूछना चाहती थी लेकिन थोड़ी झिझक की वजह से नहीं पूछ पा रही थी। रोहन ने उसे देखा तो समझ गया। 

"सर क्या आप इस टॉपिक को एक बार फिर से समझा सकते हैं?", रोहन ने खड़े हो कर पूछा।

"हां हां क्यों नहीं", प्रोफेसर ने कहा और उस टॉपिक को दुबारा समझाने लगे।

"थैंक्स", रिद्धि ने धीरे से रोहन की तरफ देखते हुए कहा। 

"कोई बात नहीं", रोहन ने मुस्कुरा कर कहा।

कॉलेज ख़तम होने के बाद ईशान रिद्धि को वहीं खड़ा हुआ मिल गया। रिद्धि ईशान को देखते ही उसके पास आ गई।

"तो आज का दिन कैसा रहा, तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं हुई?", ईशान ने पूछा।

"नहीं बिल्कुल नहीं, वैसे यहां के लोग अच्छे हैं", रिद्धि ने कहा।

"चलो मुझे खुशी है कि अब तुम्हें परेशानी नहीं होगी", ईशान ने मुस्कुराते हुए कहा।

"हां मुझे भी कुछ कुछ ऐसा ही लगता है", रिद्धि ने भी हल्की सी मुस्कान के साथ कहा।

"चलो इसी बात पर तुम्हें गोलगप्पे खिलाता हूं", ईशान ने कहा और रिद्धि के साथ गोलगप्पे वाले ठेले पर चला गया।


कॉलेज के अगले दिन रिद्धि अपनी क्लास में बैठी थी। आज उसे कल से ज्यादा अच्छा महसूस हो रहा था। रोहन फिर से रिद्धि के पास आ कर बैठ गया। रिद्धि कल के पढ़ाए गए चैप्टर के कुछ नोट्स लिख रही थी। 

"तुमने ये पैरा गलत लिख दिया है", रोहन ने रिद्धि को टोकते हुए कहा तो रिद्धि का पेन वहीं रुक गया।

"अगर ये गलत लिखा है तो आप ही बता दीजिए कि सही क्या है?", रिद्धि ने रोहन से पूछा तो रोहन ने उसे सारा समझाया।

"आपको तो सब कुछ बहुत अच्छे से आता है", रिद्धि ने थोड़ी हैरानी जताते हुए कहा।

"हां, लेकिन इतना भी नहीं आता जितना कि तुम्हें लग रहा है", रोहन ने कहा।

"मुझे तो अभी इसका आधा भी नहीं आता है", रिद्धि ने थोड़ा मायूसी से कहा।

"कोई परेशानी नहीं है, मैं तुम्हें सब समझा दूंगा", रोहन ने कहा।

"वैसे मैंने कल आपसे आपका नाम पूछा था, आपने कोई जवाब नहीं दिया था", रोहन ने थोड़ा रुक कर रिद्धि से पूछा।

"रिद्धि नाम है मेरा", रिद्धि ने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा।

"रिद्धि बहुत अच्छा नाम है तुम्हारा, लाओ दिखाओ मैं बताता हूं तुम्हें इसके बारे में", रोहन ने कहा और रिद्धि को सब बताने लगा।


क्लास के बाद ईशान रिद्धि का इंतजार करता रहा लेकिन जब वो नहीं आई तो ईशान उसकी क्लास में चला गया और देखा कि रिद्धि किसी लड़के के साथ बैठी है और वो लड़का रिद्धि को कुछ समझा रहा था। एक बार को ईशान को अपने दिल में एक चुभन सी महसूस हुई लेकिन कुछ देर बाद ही उसने खुद पर काबू कर लिया। 

"रिद्धि घर नहीं चलना है क्या?", ईशान ने पास आ कर पूछा।

"वो बस मैं रोहन से कुछ समझ रही थी इसीलिए मुझे समय का पता ही नहीं चल पाया", रिद्धि ने कहा।

"कोई नहीं, अब घर चलते हैं", ये कह कर ईशान ने रिद्धि का हाथ पकड़ लिया।

"रोहन मैं कल आपसे आगे का समझ लूंगी", रिद्धि ने कहा और ईशान उसको अपने साथ ले गया।

"मुझे खुशी है कि तुम अब धीरे धीरे दोस्त बना रही हो", ईशान ने रिद्धि से कहा।

"वो रोहन मेरा कोई दोस्त वोस्ट नहीं है, बस मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था तो वो मेरी हेल्प कर रहा था", रिद्धि ने कहा।


दिन धीरे धीरे बीत रहे थे। कॉलेज में रिद्धि का अधिकतर समय रोहन के साथ ही बीतता था। लेकिन कॉलेज के बाहर वो हमेशा ईशान के साथ ही रहती थी। एक दिन रिद्धि रोहन से कुछ समझ रही थी। 

"रिद्धि क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी?", रोहन ने अचानक ही कह दिया तो रिद्धि उसे देखने लगी।

"यार तुम मुझे ऐसे क्यों देख रही हो, मैंने दोस्त बनने के लिए कहा है ना कि कुछ और बनने के लिए, अगर तुम्हे मंज़ूर नहीं है तो तुम मना कर सकती हो", रोहन ने मुंह बनाते हुए कहा।

"मुझे तुम्हारा दोस्त बनना मंज़ूर है", रिद्धि ने मुस्कुराते हुए कहा तो रोहन का चेहरा भी खिल गया।


इसी बीच ईशान के मामा जी का एक्सिडेंट हो गया था और उनकी हालत बहुत नाज़ुक थी। ईशान का वहां जाना बहुत जरूरी था। ईशान उनकी तरफ से तो परेशान ही था लेकिन उस रिद्धि के बारे में भी सोच कर चिंता हो रही थी। आज तक रिद्धि हमेशा से ही कहीं भी बस ईशान के साथ जाती और आती थी। अपने मामा के यहां जाने से पहले उसने रिद्धि को फोन करके सब बता दिया।

"ईशान तुम मेरी तरफ से बिल्कुल भी परेशान ना होना, तुम ही तो कहते थे कि अब मैं बड़ी हो गईं हूं तो मैं अपना अच्छे से ध्यान रख लूंगी। तुम अपने मामा जी के पास चले जाओ उन्हें इस वक्त तुम्हारी बहुत जरूरत है", रिद्धि ने कहा तो ईशान को उसकी बातों से थोड़ी राहत मिली और वो तभी अपनी मम्मी के साथ अपने मामा को देखने के लिए दूसरे शहर के लिए निकल गया।


रिद्धि अपने कॉलेज जाने के लिए बस का इंतजार कर रही थी कि तभी वहां रोहन भी आ गया। 

"रिद्धि तुम यहां बस का इंतजार कर रही हो क्या?", रोहन ने पूछा।

"हां, अभी ईशान यहां नहीं है इसीलिए मैं कॉलेज बस से जा रही हूं", रिद्धि ने कहा। 

"चलो मेरे साथ बाइक पर आ जाओ, मैं भी कॉलेज ही जा रहा हूं", रोहन ने कहा तो रिद्धि थोड़ा हिचकिचाने लगी।

"अरे इतना क्यों सोच रही हो, आ जाओ", रोहन ने दुबारा कहा तो रिद्धि उसके साथ बाइक पर बैठ गई।

रोहन ने बाइक सीधी कॉलेज के सामने रोकी।

"थैंक यू रोहन", रिद्धि ने कहा।

"यार हम दोनों अब दोस्त है तो दोस्ती में ये सब फॉर्मेलिटी नहीं चलती है", रोहन ने कहा।

"ठीक है बाबा आगे से नहीं कहूंगी", रिद्धि ने मुस्कुराते हुए कहा तो रोहन भी मुस्कुरा दिया।

कॉलेज के बाद भी रोहन ने रिद्धि को उसके घर तक छोड़ दिया।

"आ जाओ घर आ जाओ", रिद्धि ने रोहन से कहा।

"फिर कभी आऊंगा, और हां कल से मैं रोज़ ही तुम्हें लेने और छोड़ने आ जाया करूंगा", रोहन ने कहा और वहां से चला गया।

अगले दिन जब रोहन रिद्धि को ले कर वहां से चला तो रास्ते में ही बारिश शुरू हो गई। रोहन रिद्धि को ले कर एक बंद दुकान के नीचे खड़ा हो गया। 

"कितना प्यारा मौसम है ना? मुझे बारिश बहुत अच्छी लगती है", रिद्धि ने बारिश में अपना हाथ आगे करते हुए कहा।

रोहन रिद्धि को बहुत प्यार भरी निगाहों से देख रहा था।

"तुम्हें बारिश पसंद है और मुझे तुम बहुत पसंद हो", रोहन ने कहा तो रिद्धि रोहन का चेहरा देखने लगी।

"अभी तुमने क्या कहा?", रिद्धि ने पूछा।

"रिद्धि मुझे तुम बहुत पसंद हो, शायद मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूं", रोहन ने बिल्कुल गंभीर हो कर कहा तो रिद्धि चुप हो गई।

"मेरी बात का जवाब तो दो, कुछ तो बोलो ना रिद्धि", रोहन ने रिद्धि को ऐसे चुप देख कर कहने लगा।

"रोहन मुझे नहीं पता कि प्यार होता क्या है और ना ही मैंने कभी ये किसी के लिए भी महसूस किया है तो मैं नहीं जानती कि तुम्हारी बात का मैं क्या जवाब दूं", रिद्धि ने कहा।

"ठीक है जब तक तुम मेरे लिए कुछ महसूस नहीं करोगी तब तक मैं कुछ नहीं कहूंगा, इस बात को यहीं ख़तम करते हैं बस ये समझ लो कि मैंने कुछ कहा ही नहीं", ये कहते हुए रोहन का दिल बहुत भारी हो गया था। रोहन ने एक लंबी सांस ली और अपनी भावनाओं पर काबू करने की पूरी कोशिश करने लगा। 

"बारिश रुक गई है, कॉलेज चलें?", रिद्धि ने पूछा।

"ठीक है चलते हैं", रोहन ने अपना मुंह दूसरी तरफ करके अपने आंखें साफ करते हुए कहा।

वो दोनों कॉलेज आ गए।


ईशान को पूरा एक हफ्ता वहां लग गया। इस बीच वो बहुत ही ज्यादा व्यस्त रहा। आज जब उसे थोड़ा वक्त मिला तो उसने अपना फोन चेक किया उसमें बहुत रिद्धि की बहुत सारी मिस कॉल और मैसेज पड़े थे। ये देख कर ईशान ने रिद्धि को फोन मिलाया तो फोन कनेक्ट नहीं हो पाया।

"तुम्हारे मामा जी की हालत अब काफी अच्छी हो गई है, तुम्हारी पढ़ाई का बहुत नुकसान हो रहा होगा, तुम्हें अब चले जाना चाहिए, यहां की चिंता ना करो अब मैं सब संभाल लूंगी", ईशान की मामी ने वहां आ कर कहा तो ईशान अगली सुबह ही अपनी मम्मी के साथ वहां से घर आ गया।

घर आते ही वो सबसे पहले रिद्धि से मिलने कॉलेज चला गया और कॉलेज के गेट पर खड़े हो कर रिद्धि का इंतजार करने लगा।

थोड़ी ही देर में रिद्धि रोहन के साथ कॉलेज से निकलती दिखी। रिद्धि को देख कर लग रहा था कि वो बहुत खुश थी। ईशान ने कुछ देर रिद्धि को ऐसे ही निहारा और फिर लंबी सांस ले कर वहां से वापस जाने लगा। रिद्धि ने ईशान को देख लिया था। वो दौड़ कर ईशान का नाम ले कर ईशान के पास आई लेकिन उससे पहले ही ईशान वहां से जा चुका था। 

"ईशान…….", रिद्धि ने पुकारा और फिर वहीं खड़ी रही। इतने में पीछे से रोहन भी वहां आ गया। 

"क्या हुआ?", रोहन ने आ कर पूछा।

"मैंने अभी ईशान को यहां देखा था लेकिन वो मुझसे बिना मिले ही चला गया", रिद्धि का ये कह कर चेहरा सा उतर गया था। 

"तुम्हें धोखा हो गया होगा, वो कोई और होगा, अगर ईशान होता तो तुम्हारे लिए जरूर रुकता", रोहन ने कहा। 

"नहीं मुझे कोई धोखा नहीं हुआ है, ईशान को मैं दस में तो क्या करोड़ों लोगों में पहचान सकती हूं", रिद्धि ने कहा।

"रोहन मैं तुमसे कल मिलती हूं, अभी मैं ईशान के घर जा रही हूं", ये कह कर रिद्धि तुरंत एक ऑटो पकड़ कर वहां से निकल गई।


रिद्धि जब ईशान के घर आई तो ईशान घर पर ही था।

"कॉलेज में मुझे ऐसे देख कर क्यों चले गए थे", रिद्धि ने आते ही ईशान से पूछा।

"मुझे कुछ जरूरी काम आ गया था", ईशान ने कहा तो रिद्धि ईशान को गौर से देखने लगी।

"तुम झूठ बोल रहे हो", रिद्धि ने कहा।

"मैं झूठ क्यों बोलूंगा", ईशान ने कहा।

"नहीं तुम झूठ ही बोल रहे हो", रिद्धि ने कहा।

"ठीक है मैं झूठ ही बोल रहा हूं तो क्या? छोड़ो इस बात को, वैसे भी मैं अभी कुछ दिन बहुत ज्यादा व्यस्त रहूंगा क्योंकि मेरे एग्जाम आने वाले हैं", ईशान ने कहा। 

ईशान ने कभी भी रिद्धि से ऐसे बात नहीं की थी रिद्धि की आंखों में आसूं आ गए थे और चुपचाप अपने घर चली गई।

अगले दिन भी जब रिद्धि ईशान के घर गई तो पता चला कि वो पहले ही कॉलेज के लिए निकल गया है।

रिद्धि का कॉलेज जाने का मन नहीं था लेकिन उसे रोहन मिल गया और रोहन उसे जबरदस्ती कॉलेज ले गया। ईशान ने रिद्धि को रोहन के साथ बाइक पर आता देखा तो और भी मायूस हो गया।

रिद्धि ने जैसे ही ईशान को देखा तो भाग कर उसके पास आ गई।

"ईशान प्लीज बताओ ना क्या हुआ है तुम्हें", रिद्धि ने परेशान हो कर कहा लेकिन ईशान ने उसकी बातों का जवाब नहीं दिया।

"बोलो ना तुम मेरे साथ ऐसे क्यों कर रहे हो तुम जानते हो ना कि हमेशा मैं तुम्हारे साथ रही हूं और हर बात तुम्हारे साथ ही शेयर की है तो अब अचानक से ऐसा क्या हो गया जो तुम मेरे साथ ऐसे बर्ताव कर रहे हो", रिद्धि की आंखों में आसूं आ गए थे और वो अपने हाथों से अपना चेहरा ढक कर रोने लगी।

"ईशान रिद्धि को ऐसे नहीं देख पाया, वो नीचे झुका और उसके चेहरे के आंसुओं को पोछने लगा। 

"पागल लड़की ऐसे थोड़ी ना रोते है", ईशान ने मुस्कुराते हुए कहा तो रिद्धि एक दम से ईशान के गले लग गई। 

"फिर से ऐसे मत करना", रिद्धि ने कहा।

रोहन ये सब देख रहा था। उसे सब समझ आ गया था बस अब यहीं बात रोहन को रिद्धि को समझानी थी।

"क्या मैं ये कर पाऊंगा?", रोहन ने खुद से पूछा।

"मुझे ये करना ही होगा", रोहन ने कहा और अपने आंसू पोंछ कर क्लास में आ गया।

"रिद्धि मैंने आज तक तुम्हें जो भी समझाया है वो तुम्हें हमेशा समझ में आया है ना?", रोहन ने क्लास खत्म होने के बाद रिद्धि से पूछा।

"हां मुझे हमेशा सब अच्छे से समझ में आया है", रिद्धि ने कहा।

"आज मैं तुम्हें एक अलग चीज के बारे में बता रहा हूं जिसे प्यार कहते है, तुमने उस दिन मुझसे कहा था ना कि तुम्हे प्यार के बारे में कुछ नहीं पता और ना ही तुमने आज तक किसी के लिए भी ऐसा कुछ महसूस किया है?", रोहन ने पूछा।

"हां बिल्कुल ऐसा ही है", रिद्धि ने कहा।

"चलो मैं तुमसे कुछ सवाल पूछता हूं और तुम मुझे उनके जवाब देना", रोहन ने कहा तो रिद्धि ने हां में सिर हिलाया।

"ये बताओ कि जब ईशान तुमसे कॉलेज में बिना मिले ही चला गया था तो तुम्हें कैसा महसूस हुआ था", रोहन ने पूछा।

"बहुत ज्यादा बुरा लगा था", रिद्धि ने कहा।

"और जब ईशान ने तुम्हारी बातों का जवाब नहीं दिया था तो?", रोहन ने अगला सवाल पूछा।

"तो मुझे बहुत ज्यादा रोना आ गया था", रिद्धि ने कहा।

"और जब ईशान ने तुम्हारे आसूं पोंछे तो तुम्हें कैसा लगा था?", रोहन ने पूछा।

"मुझे लगा था कि जैसे मुझे सारी दुनिया की खुशियां मिल गईं हो", रिद्धि ने कहा।

"सोचो जरा किसी दिन ईशान तुम्हारी दुनिया से हमेशा के लिए चला जाए तो?", रोहन ने पूछा।

"तुम ऐसे कैसे कह सकते हो?, ईशान के बिना मैं खुद को अधूरा समझती हूं, ईशान के बिना मैं कुछ भी नहीं हूं, बचपन से आज तक ईशान ने मेरा हर जगह साथ निभाया है", ये कहते हुए रिद्धि को थोड़ा गुस्सा सा आ गया था।

"यहीं तो प्यार है", रोहन ने मुस्कुराते हुए कहा।

"तुम ईशान से प्यार करती हो और वो भी बहुत ज्यादा", रोहन ने कहा।

रिद्धि रोहन को देखने लगी।

"मेरी बात एक दम सच है, तुम ईशान के बिना एक पल भी नहीं रह सकती", रोहन ने कहा।

"और ईशान का क्या?", रिद्धि ने पूछा।

"वो भी तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करता है", रोहन ने कहा।

"लेकिन ईशान ने कभी मुझे बताया नहीं", रिद्धि ने कहा।

"दुनिया में कुछ लोग ऐसे होते है जो अपने प्यार का इजहार खुल कर कर देते है जैसे मैंने किया था और कुछ लोग ऐसे होते है जो कभी भी कह नहीं पाते", रोहन ने कहा तो रिद्धि सोच में पड़ गई।

"तुम अगर सच जानना चाहती हो तो मैं तुम्हें एक आइडिया बताता हूं", ये कह कर रोहन ने रिद्धि को कुछ समझाया।


रविवार का दिन था। ईशान अपने कमरे में पड़ा हुआ आराम कर रहा था कि तभी उसका फोन बजने लगा। ईशान ने फोन उठा कर अपने कान से लगाया। 

"जंगल के पास एक लड़की का एक्सिडेंट हो गया है, लड़की ने अपना नाम रिद्धि बताया है"। ईशान ने बस इतना ही सुना और अपनी बाइक उठा कर तेज़ी से वहां के लिए निकल गया।

जंगल के पास आ कर ईशान ने रिद्धि को आवाज़ देनी शुरू कर दी। कुछ ही देर बाद पास के पेड़ों से रिद्धि निकल कर सामने आ गई। ईशान भाग कर रिद्धि के पास आया और उसे कस कर अपने सीने से लगा लिया।

"तुम ठीक तो हो ना रिद्धि?", ईशान ने हांफते हुए पूछा।

"हां मैं बिल्कुल ठीक हूं", रिद्धि ने कहा।

"तो ये सब क्या था, तुम मुझसे मजाक कर रहीं थी, ये सब कोई मजाक की बात है, जान निकल गई थी मेरी, अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो?", ईशान गुस्से से बोलता जा रहा था।

"आप प्यार करते हैं ना मुझसे?", रिद्धि ने पूछा तो ईशान चौंक कर रिद्धि को देखने लगा।

"बताइए ना?, आप प्यार करते है ना मुझसे?", रिद्धि ने बहुत प्यार से पूछा।

ईशान की आंखों में आंसू आ गए और वो वहीं बैठ कर सिसकने लगा।

रिद्धि उसके पास आ गई और ईशान के कन्धें से लग कर बैठ गई। उसकी आंखें भी भीगने लगी थी।

"मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं रिद्धि और हमेशा करता रहूंगा", ईशान ने सिसकते हुए ही कहा।

"मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूं", रिद्धि ने कहा तो ईशान ने उठ कर वापस रिद्धि को अपने सीने से लगा लिया।

उधर रोहन भी वहीं पास में ही खड़ा था। उसके भी आंसू निकल रहे थे। उसे इस बात का दुख था कि रिद्धि अब उसकी दुनिया का हिस्सा नहीं बन सकती लेकिन इस बात की खुशी भी थी कि रिद्धि जिस बात से अनजान थी उसका एहसास उसे हो गया था।


"ये सब करने का आइडिया तुम्हारा तो होगा नहीं?", कुछ देर बाद ईशान ने रिद्धि से पूछा। 

"बिल्कुल नहीं, अलबत्ता मुझे तो इस बात का भी एहसास नहीं था कि मैं आपसे प्यार करती हूं लेकिन रोहन ने मुझे इस सबका एहसास कराया", रिद्धि ने कहा।

"जहां तक मुझे लगता है, वो भी यहीं कहीं होगा", ईशान ने कहा।

"हां वो यहीं है", ये कह कर रिद्धि ने रोहन को आवाज़ दी तो रोहन सामने आ गया।

"थैंक्स रोहन, मैं बस इतना ही कह पाऊंगा", ईशान ने रोहन को देखते हुए कहा।

"थैंक यू सो मच रोहन मुझे ये एहसास कराने के लिए", रिद्धि ने कहा।

"मैंने बोला था ना कि दोस्ती में नो थैंक्स और नो सॉरी, वैसे भी हम दोस्त तो हमेशा ही रहेंगे", रोहन ने मुस्कुराते हुए कहा।

"और रिद्धि के साथ साथ मेरे भी दोस्त", ईशान ने रोहन से कहा और उसे गले लगा लिया।


(समाप्त)


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