amit singh

Others

4.0  

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लव इन शिमला

लव इन शिमला

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राज को अपनी नॉलेज पर बहुत घमंड था और हो भी क्यों नहीं, वो अपनी कंपनी का सबसे मुख्य गेम डेवलपर था तो सभी उसके नखरे बर्दाश्त करते थे। राज भी थोड़ा मुंहफट था तो उसके मन में जो आता वो बोल देता था। 

सर प्लीज मेरी ये समझ नहीं आ रहा है, इस कोड को मैंने ठीक से लिखा है फिर भी इरर ख़तम नहीं हो रही है, ऑफिस में एक लड़की ने राज से request की तो राज उसका लिखा कोड चेक करने लगा। देखो तुम्हारे कोड में ये प्रॉब्लम है, राज ने बताया।थैंक यू सो मच सर आप मिनटों में सबकी प्रॉब्लम को ठीक कर देते हैं, उस लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा। वो तो है ही लेकिन तुम्हें भी अपना कोड ठीक से चेक करना चाहिए था, लेकिन गलती तुम्हारी नहीं है, तुम लड़कियों के ना लॉजिक बहुत कमजोर होते है, तुम्हें तो इस लाइन में आना ही नहीं चाहिए था, राज ने कहा तो उस लड़की का चेहरा उतर गया। राज जरा मेरे साथ आओ अभी, विक्रम ने राज को बुलाया। हां बोलो, राज ने आ कर कहा। देखो ये रिपोर्ट देखो, रिपोर्ट के हिसाब से इस महीने भी हमारा बनाया हुए गेम टॉप 100 में शामिल नहीं हुआ है। अगर ऐसा ही रहा तो हम बाकी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से पीछे हो जाएंगे, विक्रम ने परेशान होते हुए राज की तरफ देखा। तो बताओ क्या करना है? राज ने कहा। एक और गेम बनाने का वक्त आ गया है। मुझे उम्मीद है कि तुम फिर से कमाल दिखाओगे, विक्रम ने कहा। लेकिन इस समय मेरे पास कोई भी अच्छा कांसेप्ट नहीं है, राज ने कहा। अगर कांसेप्ट नही है तो सोचो, ऐसा करो कि मैं तुम्हें छुट्टी दे देता हूं, बाहर जाओ या घर पर रहो, बस एक अच्छा सा कांसेप्ट देख कर उस पर काम शुरू कर दो, विक्रम ने कहा तो राज कुछ सोचने लगा। ठीक है तुम मेरा शिमला का टिकट बुक करवा दो, मैं कुछ दिन पहाड़ों पर रहूंगा तो हो सकता है कि मुझे वहां पर अपने गेम के लिए कोई आईडिया ही मिल जाए, राज ने कहा। 

अगले दिन ही राज ट्रेन से शिमला के लिए जा रहा था। चलो कुछ तो सुकून मिला। अब कुछ दिन चैन से रहूंगा, राज आराम से सोचता हुआ जा रहा था। 

शाम होते ही राज शिमला पहुंच गया। एक होटल में उसके नाम से पहले से ही बुकिंग हो रखी थी तो वो अपने कमरे में जा कर पसर गया। कुछ ही देर में उसे नींद आ गई। कुछ देर बाद उसकी नींद खुली। बाहर कोई पियानो बजा रहा था। वो पियानो की धुन इतनी प्यारी थी कि राज उसे सुनने के लिए नीचे हॉल में आ गया। एक लड़की पियानो बजा रही थी। पूरा हॉल लोगों से भरा हुआ था। राज भी एक कोने में जा कर बैठ गया। थोड़ी देर में धुन ख़तम हुई और सब लोगों ने उस लड़की के लिए खड़े हो कर तालियां बजाई। राज भी बाकी सबकी तरह खड़े हो कर ताली बजाने लगा। उस लड़की ने उठ कर सबकी तरफ हाथ जोड़ कर नमस्कार किया। तो पहली बार राज को उसका चेहरा देखने को मिला। उस लड़की को देख कर राज के मुंह से सिर्फ एक ही शब्द निकला, वाओ। थोड़ी देर बाद ही वो लड़की वहां से चली गई। राज ने उसे पूरे हॉल में तलाशा लेकिन वो उसे कहीं भी दिखाई नहीं पड़ी। थोड़ी देर बाद राज रिसेप्शन पर पहुंचा। वो जो लड़की हॉल में पियानो बजा रही थी क्या आप मुझे बता सकते हैं कि वो लड़की कौन है? राज ने पूछा। सॉरी सर , हम ऐसे किसी की भी व्यक्तिगत जानकारी शेयर नहीं कर सकते हैं, receptionist ने अपनी मजबूरी बताई तो राज चुपचाप वहां से चला गया। रात को भी राज को उस लड़की के बारे में ही ख्याल आता रहा, पता नहीं उस लड़की के चेहरे पर ऐसी कैसी कशिश है कि मैं चाह कर भी उसे भूल नहीं पा रहा हूं, राज ने सोचा। तभी उसका फोन बज उठा। तुम ठीक से तो पहुंच गए शिमला, विक्रम ने उधर से कहा। हां पहुंच गया और अभी मेरे दिमाग में कोई भी कांसेप्ट नही आया है जब आएगा तो मैं सबसे पहले तुम्हें ही बताऊंगा, राज ने विक्रम के बिना पूछे ही सब बता दिया। ओके ठीक है, विक्रम ने कहा कर फोन काट दिया। अभी एक दिन भी यहां आए हुए नहीं हुआ कि फोन करना शुरू कर दिया, राज गुस्से से भिनभिनाते हुए बोला और फिर उसी लड़की के बारे में सोचता हुआ सो गया। 

सुबह राज की नींद खुली तो वो अपना लैपटॉप खोल कर बैठ गया। उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। उसने लैपटॉप बन्द किया और बालकनी पर आ गया और बाहर का नज़ारा देखने लगा। तभी उसकी नजर बाहर एक लड़की पर पड़ी। ये तो वहीं पियानो वाली लड़की है, राज ने उसे पहचानने की कोशिश करते हुए कहा और भाग कर नीचे आ गया। वो लड़की वहां ही टहल रही थी। राज धीरे से उसके पास पहुंच गया। आज बहुत ठंड है यहां पर, राज ने उसके पास आ कर कहा। उस लड़की ने राज की तरफ देखा और बिना कुछ कहे वहां से आगे निकल गई। ओए हेलो, मैं तुमसे ही बात कर रहा हूं, राज ने दुबारा उसके पास आते हुए कहा। लेकिन मैं तुमसे बात नहीं करना चाहती, उस लड़की ने कहा। बहुत attitude है इस लड़की में, मुझे raaz the great को भाव नहीं दे रही है, राज ने खुद से कहा। खेर ये अभी मुझे ठीक से नहीं जानती, राज ने कहा और वापस अपने कमरे में चला गया। उसने दुबारा अपना लैपटॉप उठा लिया और शाम तक उसी पर काम करता रहा। शाम को फिर से हॉल से पियानो बजने की आवाज़ आने लगी थी। आज एक नई धुन थी। राज फिर से हॉल में आ गया। वो लड़की वहीं पियानो बजाने में व्यस्त थी। पियानो की धुन ख़तम होते ही राज उस लड़की के पास आ गया। अगर तुम्हारे पास कुछ वक़्त हो तो क्या हम एक एक कप काफी ले सकते हैं? राज ने कहा। ठीक है, उस लड़की ने कुछ सोच कर कहा। दोनों काफी ले रहे थे। आप पियानो बहुत अच्छा बजाती हैं, राज ने कहा। by the way मैं राज हूं, राज ने कहा। तृप्ति, उस लड़की ने कहा। मैं एक गेम डेवलपर हूं और मेरे बनाए हुए गेम टॉप 50 में रह चुके हैं, राज ने अपना impression डालते हुए कहा। ओह अच्छी बात है, तृप्ति ने कहा। उसका ठंडा response देख कर राज का चेहरा लटक गया। तो आप यहां क्या छुट्टी पर आए हैं?, तृप्ति ने पूछा। हां बस ऐसा ही समझ लो, बात दरअसल ये है कि मेरी कंपनी चाहती है कि मैं एक नया गेम डेवलप करूं, अब मेरी कंपनी में, मैं ही मुख्य डेवलपर हूं और मेरी टीम में जो लड़कियां हैं वो बिल्कुल भी काम करना नहीं जानती, तो सब मुझे ही देखना पड़ता है, राज ने खुद को बड़ा दिखाते हुए कहा। ओह तो आपको ऐसा लगता है कि लड़कियां गेम नहीं बना सकती है? तृप्ति ने पूछा। नहीं ऐसा नहीं है, लेकिन उसके जो कोडिंग और लॉजिक लगते है वो मुझे नहीं लगता है कि लड़कियां कर पाती होंगी, खेर मेरी बात छोड़ो तुम अपनी सुनाओ, ये पियानो बजाना तुम्हारा शोक है या……. राज ने कहा। मैं भी यहां कुछ दिनों के लिए घूमने ही आई हूं, बस पियानो बजाने का मुझे बचपन से ही शोक रहा है तो मैं यहां अपना शोक भी पूरा कर लेती हूं, तृप्ति ने कहा। अच्छी बात है, राज ने सर हिलाते हुए कहा। ठीक है तो अब मुझे चलना चाहिए, तृप्ति ने कहा। तुमसे मिलकर अच्छा लगा, राज ने कहा। तृप्ति नाम तो अच्छा है, राज अपने बिस्तर पर पड़ा हुआ सोच रहा था। तभी उसका ध्यान गेम के कांसेप्ट के ऊपर चला गया। सोच ले कुछ, नहीं तो विक्रम तुझे नहीं छोड़ेगा, राज ने सोचा और फिर से लैपटॉप खोल कर बैठ गया। 

अगले दिन शाम को फिर से पियानो की आवाज़ ने राज का ध्यान खींच लिया। वो फिर से तृप्ति के पास आ गया। दोनों कुछ वक्त वहीं पर टहलने लगे। तो मिस्टर राज आप इतने talented है फिर भी आपको कोई कांसेप्ट नहीं मिल रहा है, तृप्ति ने राज से पूछा। वो बस कांसेप्ट तो बहुत सारे है लेकिन you know that ये सब काम हर किसी के बस का नहीं है तो मैं चाहता हूं कि थोड़ा और अच्छा सा सोचूं कुछ बड़ा, राज ने कहा। अच्छी बात है, तृप्ति ने मुस्कुराते हुए कहा।

अगले दिन राज की आंखें बहुत देर से खुली। वो जल्दी से फ्रेश हो कर नीचे आ गया। कहां हो सकती है वो, राज उसे तलाशने लगा। थोड़ी देर में ही तृप्ति उसे सामने से आती हुई दिख गई। हाय, कैसी हो? राज ने पूछा। मैं अच्छी हूं, आप सुनाइए आपको कोई कांसेप्ट मिला या नहीं, तृप्ति ने उसे देखते हुए पूछा। अभी तक तो नहीं, राज ने निराश होते हुए कहा। एक बात बोलूं, आपको इन topics के बारे में सोचना चाहिए, तृप्ति ने राज को कुछ topics बताते हुए कहा। वाओ यार ये topics तो बहुत शानदार है, मैंने पहले इन topics के बारे में क्यों नहीं सोचा। थैंक्स, थैंक यू सो मच, राज ने खुश होते हुए कहा। कोई बात नहीं, तृप्ति ने कहा। वैसे ये topics तुम्हारे दिमाग में कहां से आ गए?, राज ने पूछा। ओह तो तुम ये तो नहीं सोच रहे हो कि एक लड़की को ये ideas कहां से आ सकते हैं, तृप्ति ने उसे देखते हुए कहा। नहीं बिल्कुल भी नहीं, राज ने कहा। खेर छोड़ो इन सब बातों को, मुझे लेट हो रहा है अभी मुझे पैकिंग भी करनी है, तृप्ति ने कहा। तो तुम यहां से जा रही हो? राज ने पूछा। हां, यहां बहुत घूम ली अब सोच रही हूं कि आगे मनाली भी घूम कर आऊं, तृप्ति ने कहा। क्या मैं भी तुम्हारे साथ चल सकता हूं, राज ने पूछा। मुझे पता ही था कि तुम इतनी जल्दी मेरा पीछा नहीं छोड़ने वाले, ठीक है तो पैकिंग कर लो हम कल सुबह ही निकलेंगे, तृप्ति ने कहा। मैं सुबह ही तुम्हें मिल जाऊंगा, राज ने खुश होते हुए कहा। कमरे पर आ कर राज ने विक्रम को फोन कर दिया। मुझे गेम के लिए एक अच्छा सा कांसेप्ट मिल गया है, राज ने खुश होते हुए बताया। ये तो बहुत अच्छी बात है, विक्रम ने कहा। हां बस अब मैं कोड लिखना शुरू कर देता हूं, राज ने कहा। ठीक है, मैं कल ही दो लड़कियां तुम्हारे साथ इस पर work करने के लिए लगा देता हूं, विक्रम ने कहा। कोई जरूरत नहीं है, तुम्हें पता ही है कि उनके बस की कुछ नहीं है, मैं ये काम खुद देखूंगा, राज ने कहा और फोन काट दिया। 

अगली सुबह ही दोनों बस में बैठे हुए मनाली जा रहे थे। राज पूरे रास्ते अपने लैपटॉप में लगा हुआ कोड लिखने में लगा हुआ था। हम मनाली पहुंचने वाले हैं, तो अब तुम ये लैपटॉप बन्द कर सकते हो, तृप्ति ने उससे कहा तो राज को अपने काम से होश आया और फिर उसने लैपटॉप बन्द कर दिया। जिससे तुम्हारी शादी होगी वो तो पक्का तुमसे बोर हो जाएगी क्योंंकि तुम तो सारा दिन अपने लैपटॉप में ही लगे रहा करोगे, तृप्ति ने उसे छेड़ते हुए कहा। अब ऐसा भी नहीं है कि मैं हर वक़्त बस इसी में लगा रहता हूं, राज ने थोड़ा झेंपते हुए कहा। शाम होते होते वो लोग मनाली पहुंच गए थे। अब कमरे पर जाते ही लैपटॉप में मत लग जाना, वैसे भी तुम्हें थोड़ा आराम करने की जरूरत है, तृप्ति ने राज से मुस्कुराते हुए कहा। 

सुबह ही राज का दरवाज़ा कोई खटखटाने लगा। कौन है? राज ने पूछा तो बाहर से कोई जवाब नहीं आया। राज झुंझलाता हुआ बाहर आया तो देखा कि तृप्ति बाहर खड़ी थी। अरे तुम यहां पर, इतनी सुबह, राज ने पूछा। इतनी भी सुबह नहीं है, सात बज रहे हैं, जल्दी से तैयार हो जाओ, हमें चलना है, तृप्ति ने कहा। कहां चलना है? राज ने पूछा। जिसके लिए मैं यहां आई हूं, चलो अब जल्दी से तैयार हो कर बाहर आ जाओ, ठंड बहुत है तो ठीक से पैक हो जाना, तृप्ति ने मुस्कुराते हुए कहा। दोनों बाहर आ गए, चारों तरफ बर्फ की चादर फैली हुई थी। कितनी प्यारी जगह है ना? तृप्ति ने पूछा तो देखा राज कुछ हिसाब लगा रहा था। तभी एक बर्फ का गोला राज के मुंह पर आ कर लगा। राज ने गुस्से में देखा तो तृप्ति खड़ी थी और उसके हाथ में दो गोले और थे। अच्छा मुझसे पंगा राज ने भी बर्फ उठा ली। थोड़ी देर तक दोनों ऐसे ही बर्फ से खेलते रहे। चलो थोड़ा आगे चलते है, तृप्ति ने कहा। दोनों बर्फ में थोड़ा आगे आ गए। मौसम थोड़ा खराब हो रहा है तृप्ति हमें अब लौटना चाहिए, राज ने मौसम को देखते हुए कहा। कुछ नहीं होगा यहां मौसम ऐसा ही रहता है, वहां देखो कितनी सारी बर्फ है, चलो वहां चलते है, तृप्ति ने कहा तो राज उसके पीछे चलने लगा। वो थोड़ा आगे ही बढ़े थे कि बर्फ गिरने लगी। बर्फ गिर रही है, मैं पहले ही कह रहा था कि इतनी दूर आना ठीक नहीं है, राज ने कहा और वहां कहीं टिकने का ठिकाना देखने लगा। थोड़ी ही दूरी पर एक चट्टान सी नजर आ रही थी। राज तृप्ति को ले कर वहां आ गया। sorry मेरी वजह से तुम्हें भी परेशानी उठानी पड़ रही है, तृप्ति ने अफसोस जताते हुए कहा। कोई बात नहीं, राज ने कहा। बर्फ काफी पड़ रही थी। तृप्ति ठंड से कांपने लगी। तुम्हारी हालत तो ठीक नहीं लग रही है, रुको, राज ने ये कह कर अपनी जैकेट तृप्ति को पहना दी। तुम्हें ठंड नहीं लग रही? तृप्ति ने राज की तरफ देखते हुए कहा। कोई नहीं मैं मैनेज कर लूंगा, राज ने कहा। रुक जाओ, तृप्ति ने ये कह कर वो जैकेट एक तरफ से राज को भी पहना दी और फिर उसके कंधे पर सर रख दिया। तुम ठीक तो हो ना? राज ने पूछा। हां मैं काफी better महसूस कर रही हूं, तृप्ति ने कहा। थोड़ी देर बाद बर्फ पड़नी रुक गई थी। तृप्ति बर्फ पड़नी रुक गई है, चलो आ जाओ, राज ने कहा। फिर दोनों वापस लौटने लगे। मुझसे अब और इस बर्फ में नहीं चला जाएगा, तृप्ति ने थक कर कहा। बस थोड़ी सी दूर और जाना है, राज ने कहा। नहीं मैं नहीं चल पाऊंगी, मुझे अभी यहीं रहने दो, तृप्ति ने कहा। ऐसा करो तुम मेरी कमर पर आ जाओ, मैं कुछ दूर तुम्हें ले कर चलता हूं, राज ने कहा तो तृप्ति उसकी पीठ पर सवार हो कर उसके साथ चलने लगी। यार तुम्हारा वज़न बहुत ही ज्यादा है, राज ने मुंह बनाते हुए कहा। लेकिन तृप्ति को शायद नींद आ गई थी इसीलिए उसने कोई जवाब नहीं दिया। राज उसे वापस होटल में ले आया और उसके रूम में लेटा दिया। राज थोड़ी देर उसके चेहरे को निहारता रहा। तुम बहुत खूबसूरत हो तृप्ति, राज ने धीरे से उसकी और मुस्कुराते हुए कहा। तुम्हें अब ऐसे छोड़ कर भी नहीं जा सकता, राज ने खुद से कहा और फिर अपने रूम से लैपटॉप ला कर वहीं तृप्ति के कमरे में सोफे पर पसर कर अपना काम करने लगा। आधी रात को तृप्ति की नींद खुली तो उसने देखा कि राज वहीं बैठा हुआ अपने लैपटॉप में व्यस्त था। आप यहां? लगता है कि मैं बहुत देर से सो रहीं थीं, तृप्ति ने कहा। हां, खेर अब तुम कैसी हो? राज ने पूछा। much better, तृप्ति ने कहा। ठीक है तो मैं अपने कमरे में जा रहा हूं, ये कह कर राज वहां से चला गया। तृप्ति कुछ देर उसे देखती रही और फिर मुस्कुरा कर अपने बिस्तर पर आ गई।

अगली सुबह राज जब बहुत देर तक अपने कमरे से बाहर नहीं आया तो तृप्ति उसके रूम पर ही पहुंच गई। तृप्ति ने दरवाज़ा खटखटाया तो अंदर से बहुत गुस्से में आवाज़ आई। राज दरवाज़ा खोलो ये मैं हूं तृप्ति, तृप्ति ने कहा तो राज ने दरवाज़ा खोल दिया। उसकी आंखों से ही लग रहा था कि वो रात भर नहीं सोया था। क्या हुआ कुछ परेशानी है क्या? तृप्ति ने पूछा। बस कुछ नहीं मेरे लिखे हुए कोड में कुछ गलतियां है जो मुझे नहीं पता चल रहीं है, राज ने निराश होते हुए कहा। क्या लिखा है तुमने जरा दिखाना, तृप्ति ने कहा। अरे तुम नहीं समझ पाओगी ये सब, बहुत वक्त लगता है इस चीज को सीखने में, राज ने कहा। मुझे दिखाओ, तृप्ति ने जोर दे कर कहा तो राज ने लैपटॉप तृप्ति को दे दिया। तृप्ति वहीं पर लैपटॉप ले कर बैठ गई। उसके हाथ लैपटॉप पर ऐसे चल रहे थे जैसे कोई प्रोफेशनल हो। दस मिनट बाद ही तृप्ति ने कोड को ठीक कर दिया। अब चेक करो, उसने राज से कहा। राज ने चेक किया तो सब ठीक हो गया था। you are a genious तृप्ति, ये सब तुमने कैसे किया? राज को अब भी बहुत आश्चर्य हो रहा था। तृप्ति ने उसे एक कार्ड दिया। तृप्ति एक कंपनी की सीईओ थी। राज ने जब उस कंपनी का नाम पढ़ा तो उसके आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही। इंडिया की तीसरी सबसे बड़ी gaming company की तृप्ति सीईओ थी। वहीं तृप्ति जिसके बनाए गेम हमेशा टॉप 3 में रहते थे। राज खुद को उसके सामने बहुत छोटा महसूस कर रहा था। this is the power of a woman, तृप्ति ने कहा। मैं तुमसे ये इसलिए कह रही हूं क्योंंकि तुम हमेशा लड़कियों को लड़कों से कम आंकते हो, तृप्ति ने कहा। i am really sorry tripti, राज ने थोड़ा शर्मिंदा होते हुए कहा। खेर छोड़ो ये सब, तृप्ति ने कहा। वैसे मुझे तुमसे बस यहीं पूछना है कि तुम यहां ऐसे कैसे? मतलब….राज ने कुछ उलझते हुए कहा। वो इसलिए क्योंंकि मैं चाहती थी कि कोई मुझे प्यार करे ना कि एक सीईओ को, उसी प्यार की तलाश में मैं इधर उधर घूमती रहती थी, तृप्ति ने कहा। तो क्या तुम्हें मिल गया है कोई, राज ने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा। हां मिल तो गया है लेकिन वो हमेशा अपने लैपटॉप में ही उलझा रहता है, तृप्ति ने मुस्कुराते हुए कहा तो राज की आंखें चमक उठी थी।


(समाप्त)


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