amit singh

Drama Romance

4.5  

amit singh

Drama Romance

खूबसूरत चेहरा

खूबसूरत चेहरा

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इस बार का मिस ब्यूटी का खिताब जाता है मिस प्रतीक्षा को। जैसे ही ये अनाउंसमेंट हुआ सभी लोग तालियां बजाने लगे। प्रतीक्षा थी भी बहुत ज्यादा खूबसूरत। जो भी उसे देखता तो देखता ही रह जाता। खूबसूरती के साथ साथ उसमें विनम्रता भी थी। लोग उसकी खूबसूरती के साथ साथ उसके व्यवहार की भी तारीफें करते थे। 

तो हमारी ब्यूटी क्वीन को अवॉर्ड मिल ही गया, जतिन ने मुस्कुराते हुए कहा और प्रतीक्षा को गले से लगा लिया। आपके बिना मैं ये सब नहीं कर पाती, प्रतीक्षा ने कहा। ये तुम्हारी खुद की मेहनत है। खेर अब चलो, मैने तुम्हारे लिए एक बहुत बड़ी पार्टी का अरेंजमेंट किया है, जतिन ने कहा। ओह वाओ, यानी की आपको पहले से ही पता था कि मैं ही जीतूंगी, प्रतीक्षा ने पूछा। हां, मुझे पता था कि मेरी प्रतीक्षा ही जीतेगी क्योंकि वो सबसे खूबसूरत है, जतिन ने मुस्कुराते हुए प्रतीक्षा से कहा। 

पार्टी एक फाइव स्टार होटल में थी जतिन ने होटल को सजवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लोग प्रतीक्षा की एक झलक पाने को बेताब थे और प्रतीक्षा भी सभी को खुश हो कर ऑटोग्राफ दे रही थी। हाय, कैसी हो?। प्रतीक्षा ने पलट कर देखा तो आदित्य वहां खड़ा था। आदित्य तुम यहां? प्रतीक्षा ने surprise होते हुए कहा। हां बस मैंने तुम्हारी खबर देखी की तुमने मिस ब्यूटी का खिताब जीत लिया है तो तुम्हें wish करने यहां आ गया, आदित्य ने मुस्कुराते हुए कहा। तुम बिल्कुल नहीं बदले, अब भी वैसे ही हो जैसे तीन साल पहले थे, प्रतीक्षा ने मुस्कुराते हुए कहा। इतने में जतिन भी वहां आ गया। जतिन इनसे मिलो मेरे पुराने दोस्त आदित्य और आदित्य ये हैं जतिन, मेरे सब कुछ, प्रतीक्षा ने जतिन की तरफ मुस्कुराते हुए कहा। प्रतीक्षा जरा तुम दो मिनट मेरे साथ आओगी, जतिन ने कहा। मैं अभी कुछ देर में तुमसे आ कर मिलती हूं, प्रतीक्षा ने आदित्य से कहा और फिर जतिन के साथ आ गई। प्रतीक्षा अब तुम ब्यूटी क्वीन हो, ना जाने कितने लोग तुम्हें अपना आदर्श समझने लगे हैं, तो तुम्हें इन जैसे लोगों से थोड़ी दूरी बना कर रखना चाहिए, जतिन ने प्रतीक्षा को समझाते हुए कहा। लेकिन जतिन वो मेरा बहुत पुराना दोस्त है, प्रतीक्षा के चेहरे पर थोड़ी मायूसी सी आ गई थी। मैं सब जानता हूं लेकिन देखो यहां पर कितने बड़े बड़े लोग आए हुए हैं और उसे देखो इन लोगों के बीच में ये कैसा अजीब दिख रहा है, पता नहीं इसे किसने यहां बुला लिया। तुम फिलहाल उसे ignore करो, यहीं सही रहेगा, जतिन ने कहा तो प्रतीक्षा बस चुप रह गई। आदित्य वहीं खड़ा उसे देख रहा था। प्रतीक्षा जानबूझकर उसके पास नहीं जा रही थी। कुछ देर बाद प्रतीक्षा की नजर वहां गई तो आदित्य वहां नही था। शायद वो चला गया। आज तीन साल बाद वो मुझसे मिलने आया था और मैं उससे ठीक से बात भी नहीं कर पाई। उसे जरूर बुरा लगा होगा, प्रतीक्षा ने सोचा। 

मिस ब्यूटी का खिताब मिलते के साथ ही प्रतीक्षा को बहुत सारे ऑफर मिलने लगे। advertisement company, film industry सभी लोग उसके साथ काम करना चाहते थे। प्रतीक्षा इन सब में बहुत व्यस्त रहने लगी। एक दिन वो सुबह सो कर उठी तो उसके दाएं गाल पर हल्का सा दाग सा दिखाई दे रहा था। प्रतीक्षा ने देखा तो वहां हल्का सा दर्द था। बाहर हॉर्न बजने की आवाज़ आ रही थी। जरूर जतिन आया होगा, प्रतीक्षा ने सोचा और फिर दरवाजा खोलने चली गई। ये तुम्हारे चेहरे पर क्या हुआ है? जतिन ने प्रतीक्षा को देखते ही पूछा। शायद कोई एलर्जी हो गई है, दवाई ले लूंगी तो ठीक हो जाऊंगी, प्रतीक्षा ने कहा। तुम्हें खुद का ध्यान रखा करो, अपनी इस खूबसूरती पर कोई भी दाग मत पड़ने देना, जतिन ने उसके पास आ कर मुस्कुराते हुए कहा। जी बिलकुल, प्रतीक्षा ने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ कहा। ठीक है तुम इस दाग का कोई इलाज देखो, मैं आज के तुम्हारे सारे अपॉइंटमेंट कैंसल करवा देता हूं, जतिन ने कहा और वहां से चला गया। प्रतीक्षा ने भी उस दाग पर दवाई लगाई और टैबलेट खा कर कुछ देर के लिए सो गई। दोपहर को जब प्रतीक्षा उठी तो उसे वो दाग थोड़ा हल्का महसूस दिया तो उसने सुकून की सांस ली। जतिन का भी फोन आने लगा था। प्रतीक्षा ने फोन उठाया। अब तुम्हारा दाग कैसा है? जतिन ने पूछा। अब थोड़ा ठीक है, प्रतीक्षा ने कहा। अच्छी बात है, ध्यान रखो, ये कह कर जतिन ने फोन काट दिया। 

अगली सुबह जब प्रतीक्षा ने देखा तो वो दाग उसके आधे चेहरे तक फैल चुका था। प्रतीक्षा उस दाग को देख कर घबरा गई। उसने तुरंत जतिन को फोन मिलाया। जतिन उसे डॉक्टर के पास ले गया। देखिए ये एक तरह का skin infection हो गया है। मैं दवाई दे देता हूं, जल्दी ही ये ठीक हो जायेगा, डॉक्टर ने कहा। वहां से वापस आते हुए जतिन के माथे पर बल पड़े हुए थे। आप इतना गुस्सा क्यों हो? प्रतीक्षा ने जतिन को देखते हुए पूछा। तो और क्या करूं, पता नहीं ये दाग कहां से आ गया, इतने कॉन्ट्रैक्ट अधूरे पड़े हैं, जतिन ने कहा। तो आपको मेरे से ज्यादा उन कॉन्ट्रैक्ट की फिक्र है, प्रतीक्षा ने मायूसी से कहा। ऐसा नहीं है, लेकिन काम तो काम ही है, जतिन ने कहा तो प्रतीक्षा चुप हो गई। जतिन प्रतीक्षा को उतार कर बिना रुके ही चला गया। प्रतीक्षा को बहुत अजीब सा लग रहा था। उसकी आंखें थोड़ी सी नम हो गईं थी। 

अगली सुबह प्रतीक्षा का चेहरा और भी बुरा हो गया था। कोई उसे देखता तो डर जाता। प्रतीक्षा ने जब आईने में अपना चेहरा देखा तो वो रो पड़ी। उसने फिर से जतिन को फोन लगाया। 

देखिए दवाई भी ठीक दे रहा हूं, और रिपोर्ट्स भी ठीक है फिर भी समझ नहीं आ रहा कि ये दाग ऐसे कैसे फैल रहा है, मुझे लगता है कि इन्हें किसी और अच्छी जगह दिखाना चाहिए, डॉक्टर ने कहा तो जतिन भड़क गया, डॉक्टर आप यहां के मशहूर डॉक्टर है जब आप ही कारण नहीं बता पा रहें है तो किसी और से मैं क्या उम्मीद करूं। आपको पता नहीं है कि प्रतीक्षा का चेहरा ठीक होना कितना जरूरी है, जतिन ने कहा। देखिए मिस्टर जतिन भड़कने से कुछ भी ठीक नहीं होगा, मैं जो कह रहा हूं वो कीजिए, डॉक्टर ने कहा तो जतिन प्रतीक्षा का हाथ पकड़ कर वहां से चला गया। 

जतिन का मूड बहुत खराब लग रहा था। प्रतीक्षा ने पहली बार जतिन को ऐसे देखा था। वो काफी डर गई थी। जतिन सब ठीक हो जायेगा आप इतना परेशान ना हो, प्रतीक्षा ने धीरे से कहा। परेशान ना हो, तुम ऐसे कैसे कह सकती हो, देखो तुम्हारी खूबसूरती पर ही सब कुछ टिका है, पैसा, शोहरत सब, जतिन ने कहा। तो बस मेरा खूबसूरत चेहरा ही तुम्हारे लिए अहमियत रखता है, ये कहते हुए प्रतीक्षा की आंखें भीग गई थी। हां, तुम खूबसूरत थी इसीलिए मैंने तुम्हें चुना था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि तुम ऐसी हो जाओगी, जतिन ने सपाट शब्दों में कह दिया। मुझे मेरे घर छोड़ दो, मैं तुम्हारे साथ नहीं रुकना चाहती, प्रतीक्षा को भी थोड़ा गुस्सा आ गया था। कौन से घर की बात कर रही हो, वो घर भी तुम्हें मैंने दिया है, जतिन ने कहा तो प्रतीक्षा को रोना आ गया। जतिन ने गाड़ी साइड से लगा दी। मैंने तुम पर बहुत पैसा खर्च किया है लेकिन बस अब और नहीं, तुम जा सकती हो, जतिन ने कहा। लेकिन इस समय मैं ऐसे कैसे कहां जाऊंगी? प्रतीक्षा ने रोते हुए कहा। मुझे नहीं पता, ये कह कर जतिन ने प्रतीक्षा को वहीं उतार कर गाड़ी आगे बढ़ा ली। प्रतीक्षा वहीं रोते हुए जतिन की गाड़ी को जाता हुआ देखती रही। 

प्रतीक्षा ऐसे ही धीरे धीरे उस सड़क पर चले जा रही थी। लोग उसके चेहरे को देख कर बातें बना रहे थे। धूप बहुत तेज थी। अचानक प्रतीक्षा को चक्कर आया और वो बेहोश हो कर सड़क पर गिर पड़ी। 

शाम को जब प्रतीक्षा की आंखें खुली तो उसने खुद को एक बिस्तर पर पाया। आराम करो, तुम सड़क पर गिरी पड़ी थी, वो तो अच्छा हुआ की मेरी नजर तुम पर पड़ी और मैं तुम्हें ले आया, आदित्य ने कहा। मैं मरना चाहती हूं आदित्य, तुम मुझे यहां क्यों ले आए, प्रतीक्षा की आंखों में आंसू थे। मैं तुम्हें यहां इसीलिए लाया हूं क्योंकि मैं तुम्हें इस तरह से हिम्मत नहीं हारने दे सकता, यहीं पास में एक वैद्य जी रहते है, क्या पता उनकी देसी दवाओं से तुम्हारे चेहरे के ये दाग खत्म हो जाएं, आदित्य ने कहा। मुझे नहीं लगता की ये दाग जा सकते है, मुझे जिंदगी भर ऐसे ही रहना होगा, ये कहते हुए प्रतीक्षा फिर से रोने लगी। सब ठीक हो जायेगा, आदित्य ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा। अगले दिन आदित्य प्रतीक्षा को ले कर वैद्य जी के पास ले जाने लगा। प्रतीक्षा ने मुंह ढक रखा था कि तेज़ हवा के झोंके से प्रतीक्षा का मुंह दिख गया। अरे देखो इस लड़की का चेहरा कितना भयानक है, ये तो साक्षात चुड़ैल लग रही है, वहां के लोगों ने बात बनानी शुरू कर दी। बस…….आदित्य ने चिल्ला कर कहा। आप सबको क्या लगता है कि बस चेहरा अच्छा होने से ही इंसान इंसान रहता है। मैंने वो लोग भी देखें है जिनका चेहरा अच्छा और हरकतें राक्षसों वाली होती है। चेहरा नहीं, इंसान का दिल अच्छा होना चाहिए, अब अगर किसी ने भी प्रतीक्षा के बारे में एक भी गलत शब्द कहा तो मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा, आदित्य ने कहा तो सब चुपचाप हो गए। तुम आओ मेरे साथ, आदित्य ने कहा। 

इनका उपचार तो हो जायेगा लेकिन इलाज लंबा और दर्द भरा होगा, वैद्य जी ने देखते हुए कहा। रोज इनके ये मरहम और ये जड़ी बूटी का काढ़ा देना होगा। तुम कर सकोगे ये काम, वैद्य जी ने आदित्य से पूछा। हां मैं करूंगा, आदित्य ने कहा। ध्यान रहे कि एक दिन भी छूटना नहीं चाहिए, वैद्य जी ने कहा। अगले दिन से ही प्रतीक्षा का उपचार शुरू हो गया। मरहम से बहुत दर्द उठता था। इसीलिए आदित्य प्रतीक्षा को कभी कहानियां पढ़ कर सुनाता तो कभी किसी और बात से उसका ध्यान बंटाता रहता था। आखिर छह महीने के उपचार के बाद उसका चेहरा पूरी तरह से सही हो गया था। आदित्य मैं तुम्हारे लिए क्या कहूं बस मेरे पास शब्द नहीं हैं, प्रतीक्षा ने आदित्य को देखते हुए कहा। मिस प्रतीक्षा अब आपको जाना चाहिए आपकी दुनिया आपका इंतजार कर रही है, आदित्य ने मुस्कुराते हुए कहा। 

अगले दिन ही प्रतीक्षा वापस अपनी दुनिया में चली गई। आदित्य ने एक लंबी सांस ली और अपने पर्स से प्रतीक्षा का फोटो निकाल कर उसे हसरत भरी निगाहों से देखता रहा। कुछ आंसू उसकी आंखों में आ गए थे। 

होटल में एक event था। सभी बड़े बड़े लोग उसमें शामिल थे। जतिन भी था लेकिन इस बार जतिन के साथ कोई और खूबसूरत सी लड़की थी। आज हमारे बीच एक खास मेहमान और है जो काफी दिनों से यहां नहीं थे। तो अब हम स्वागत करेंगे अपने उस खास मेहमान का, एंकर ने एक तरफ इशारा किया तो प्रतीक्षा वहां खड़ी थी। प्रतीक्षा को देख कर सभी खड़े हो कर उसके लिए तालियां बजाने लगे। जतिन प्रतीक्षा को चौंक कर देख रहा था। सभी प्रतीक्षा के हाल चाल और ऑटोग्राफ लेने में लगे हुए थे। जतिन उन लोगों की भीड़ में से जैसे तैसे प्रतीक्षा के पास पहुंचा। तुम कैसी हो प्रतीक्षा? जतिन ने पूछा। उससे ज्यादा अच्छी हूं जिस हाल में तुमने मुझे छोड़ा था, प्रतीक्षा ने कहा। मुझे माफ़ कर दो उसके लिए, जतिन ने कहा। मैं माफ़ कर दूंगी लेकिन मेरी एक शर्त है, प्रतीक्षा ने कहा। मुझे मंजूर है, जतिन ने बिना कुछ सोचे कह दिया। मैंने तुम्हें माफ किया लेकिन आज के बाद मुझे अपनी शक्ल कभी मत दिखाना और ना ही मुझसे कभी कॉन्टैक्ट करना, प्रतीक्षा ने नफरत से कहा तो जतिन अपना सर नीचे करके वहां से चला गया।

अगली सुबह आदित्य ने काम पर जाने के लिए अपने घर का दरवाजा खोला ही था कि सामने प्रतीक्षा खड़ी थी। तुम यहां? आदित्य ने आश्चर्य से कहा। हां मैं, मैं उस दुनिया को हमेशा के लिए छोड़ आई हूं जो कि बस एक खूबसूरत चेहरे को ही अहमियत देते हों, प्रतीक्षा ने कहा। लेकिन एकदम से अचानक यहां कैसे……आदित्य ने अटकते हुए पूछा। अब तुम नहीं बताओगे तो मुझे पता नहीं चलेगा कि तुम मेरा फोटो अपने पर्स में छिपा कर रखते हो, प्रतीक्षा ने शरारत से कहा तो आदित्य सकपका गया। वो मैं…...आदित्य कुछ कहना चाहता था कि प्रतीक्षा ने उसके होंठों पर उंगली रख दी। बस कुछ मत कहना। मैं जान गई हूं कि तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो तभी तो मेरे लिए उस दिन सबसे लड़ने लगे थे। तुम सच कहते हो आदित्य कि प्यार खूबसूरत चेहरे से नहीं, खूबसूरत दिल से होता है और मेरे लिए वो दिल सिर्फ तुम्हारा है ये कह कर प्रतीक्षा आदित्य के सीने से लग गई। उसके कानों में आदित्य के दिल की धड़कने सुनाई दे रहीं थी। 


(समाप्त)



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