amit singh

Others

4.0  

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जीवनसंगिनी

जीवनसंगिनी

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"नताशा मेरी बात तो सुनो, मेरे घरवालों ने मेरा रिश्ता कर दिया है, तुम एक बार हां कह दो तो हम लोग यहां से कहीं दूर जा कर अपना घर बसा लेंगे", कुणाल ने नताशा को समझाते हुए कहा। 

"मुझे फर्क नहीं पड़ता, कहीं भी शादी करो, who cares?", नताशा ने कहा। 

"तो तुम अपना फैसला ले चुकी हो?", कुणाल ने लगभग हार मानते हुए पूछा। 

"मैं अपना फैसला पहले ही ले चुकी हूं, जिस इंसान की मां मेरी शादी से पहले ही इतनी बेइज्जती कर सकती हैं तो शादी के बाद क्या करेंगी", नताशा ने कहा। 

"मुझे उस बात के लिए बहुत अफसोस है, लेकिन उसके लिए तुम मुझे क्यों सजा दे रही हो, तुम जानती हो ना कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं", कुणाल का चेहरा लगभग उतर चुका था।

"हां तो ठीक है ना, तुम्हें मेरे और अपनी मां में से किसी एक को चुनना होगा, अगर तुम मुझे चुनते हो तो मैं आज ही तुमसे शादी कर लूंगी लेकिन तुम्हे अपनी मां को हमेशा के लिए छोड़ना होगा और अगर तुम अपनी मां को चुनते हो तो मुझे आज के आज ही भूल जाओ", नताशा ने कहा। 

"ये तुम मुझसे किस तरह की शर्त रख रही हो, तुम्हें पता है कि मैं तुम दोनों में से किसी को भी नहीं छोड़ सकता", कुणाल ने कहा। 

"हां तो तुम तुम्हारी मां की पसंद की हुई लड़की से शादी कर लो", नताशा ने कहा और वहां से चली गई।

कुणाल उसे बस अफसोस से देखता रह गया।


कुणाल की शादी को अब बस कुछ दिन ही बचे थे। लेकिन वो ऐसे ही गुमसुम सा ही रहता था। उसके और नताशा के बारे में घर में सभी को पता था। 

"आप कुणाल से बात क्यों नहीं करते, उसे समझाइए कि नताशा जैसी लड़की कुणाल के लिए बिल्कुल ठीक नहीं थी", कुणाल की भाभी शिप्रा ने अपने पति निशांत से कहा।

"इसकी समझ में अभी कुछ नहीं आएगा, एक बार शादी होने दो उसके बाद ये खुद ही सुधर जायेगा", निशांत ने कहा तो फिर शिप्रा ने कुछ नहीं कहा। 

"कुणाल बेटे, समझने की कोशिश कर, जो लड़की निशा मैंने तेरे लिए देखी है वो बहुत अच्छी है, देखना वो बहुत अच्छे से घर संभाल लेगी", कुणाल की मां ने कहा तो कुणाल कुछ नहीं बोला।


आखिर शादी का दिन भी आ ही गया। कुणाल ने आखिरी वक्त तक नताशा को कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की लेकिन नताशा ने उसका फोन नहीं उठाया। कुणाल की शादी हो गई। आज उसकी पहली रात थी। निशा बिस्तर पर सिकुड़ी हुई सी बैठी थी। उसका दिल बहुत तेज धड़क रहा था। तभी कुणाल कमरे में आया। उसने बहुत ज्यादा शराब पी रखी थी। उसने पास आ कर निशा का घूंघट उठाया। "नताशा तुम आ गई मेरे पास", कुणाल ने जैसे ही नशे में ये कहा वैसे ही निशा का चेहरा उतर गया। कुणाल को नशा बहुत ज्यादा था कुछ ही देर बाद उसे नींद आ गई और वो वहीं बिस्तर पर गिर कर सो गया लेकिन निशा की आंखों से नींद गायब हो चुकी थी। 

अगले दिन कुणाल पड़ा हुआ सो रहा था। निशा उसके लिए चाय ले कर आई। "उठ जाइए", निशा ने धीरे से कहा। कुणाल ने उठ कर उसे देखा। 

"क्या बात है बोलो?", कुणाल ने पूछा।

"मैं आपके लिए चाय लाई थी", उसने धीरे से कहा।

"ले जाओ ये चाय, मुझे जरूरत नहीं है", कुणाल ने कहा। 

"लेकिन आप चाय ले लेंगे तो आपको काफी हद तक अच्छा महसूस होगा", निशा ने कहा।

"तुम्हें एक बात समझ नहीं आती है क्या? ये चाय ले जाओ यहां से और हां आगे से भी मेरे लिए कुछ मत ले कर आना", कुणाल ने गुस्से में कहा तो निशा चुपचाप वहां से चली गई। उसकी आंखों में कुछ आंसू आ गए थे। 

निशा वापस किचन में आ गई। 

"तुम्हें क्या हुआ है? ऐसा चेहरा क्यों बना रखा है", शिप्रा ने निशा से पूछा। 

"कुछ नहीं दीदी बस आज मेरी आंखें कुछ दुख रही है", निशा ने झूठ बोल दिया। 

"मैं अभी आती हूं दीदी", ये कह कर निशा वहां से जाने लगी।

"निशा रुको", शिप्रा ने कहा तो निशा वहीं रुक गई।

"क्या बात हुई है? मुझे बताओ?", शिप्रा ने जोर दिया।

"दीदी ये नताशा कौन है?", निशा ने पूछा तो शिप्रा कुछ देर के लिए चुप हो गई फिर गहरी सांस ले कर शिप्रा ने निशा को सब बता दिया।

"तो जब कुणाल जी और वो नताशा शादी करना चाहते थे तो problem ही क्या थी?", निशा ने पूछा।

"वो लड़की किसी भी तरह से कुणाल के लिए सही नहीं थी, उसका व्यवहार बहुत ही खराब था इसीलिए मम्मी ने एक दिन उसको अच्छे से समझा दिया था और तभी ये फैसला हो गया था कि वो लड़की इस घर में नहीं आयेगी", शिप्रा ने कहा। 

"ओह ये बात थी", निशा ने धीरे से कहा।

"अब तुम्हें इस घर के साथ साथ कुणाल को भी संभालना है", शिप्रा ने कहा। 

"जी दीदी मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगी", निशा ने कहा।

धीरे धीरे निशा ने सारा घर संभाल लिया लेकिन कुणाल को संभाल पाना उसके लिए मुश्किल ही रहा। वो रोज़ ही घर पर नशा करके आता और हंगामा करता था। 

एक दिन कुणाल ऑफिस में ही था कि तभी उसके पास एक अनजान नंबर से कॉल आई। कुणाल ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ नताशा थी। 

"हाय कुणाल, मुझे भूले तो नहीं हो ना?", नताशा ने पूछा।

"तुम्हें कैसे भूल सकता हूं नताशा, ऐसा कोई दिन नहीं जाता होगा जिस दिन मैं तुम्हें याद ना करता हों", कुणाल ने कहा।

"मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आती है, मैंने उस दिन बहुत ज्यादा गलती की जो तुम्हें छोड़ दिया", नताशा ने लगभग रोते हुए कहा।

"तुम रो क्यों रही हो? कहां हो तुम? मैं वहीं आ रहा हूं", कुणाल ने कहा और तुरंत ऑफिस से वहां के लिए निकल गया। 

कुछ देर बाद कुणाल और नताशा दोनों एक cafeteria में बैठे हुए थे। नताशा की आंखों में अब भी आंसू थे।

"प्लीज तुम रोया मत करो, बताओ क्या हुआ क्यों परेशान हो?", कुणाल ने भी परेशान होते हुए पूछा।

"पापा को कैंसर है", नताशा ने कहा।

"क्या?", कुणाल के मुंह से निकला।

"हां, मैं बहुत परेशान हूं, डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए पांच लाख रुपए अभी मांगे है, लेकिन हमारे पास तो एक फूटी कोड़ी भी नही बची है", नताशा ने रोते हुए कहा।

"तुम परेशान ना हो, मैं पैसों का इंतजाम करूंगा", कुणाल ने कहा।

"क्या सच में?", नताशा ने खुश होते हुए पूछा।

"मैं तुम्हारे लिए सब कुछ कर सकता हूं", कुणाल ने कहा।


अगले दिन घर पर हंगामा मचा हुआ था। 

"कुणाल तुमने ऑफिस से पांच लाख रुपए लिए हैं, मुझे उसका हिसाब चाहिए", निशांत ने गुस्से में कहा। 

"भईया आप भी तो कभी कभी ऑफिस से पैसे ले लेते हो, तब मैं तो नहीं पूछता आपसे कुछ", कुणाल ने भी कह दिया।

"मेरे लिए हुए सारे पैसों का हिसाब क्लियर रहता है", निशांत ने कहा।

"भईया सिर्फ पांच लाख रुपए की बात है, अगर आपको इतना ही बुरा लग रहा है तो मैं अपने कंपनी की हिस्सेदारी में से पांच लाख रुपए अभी जमा करा देता हूं", कुणाल ने कहा।

"तुम्हारी हिस्सेदारी? किस हिस्सेदारी की बात कर रहे हो तुम? अगर कंपनी की बात करें तो इसमें 80% मेरी ही हिस्सेदारी है और अगर तुम्हारा लिया हुआ अब तक का पैसा भी जोड़ा जाए तो तुम्हारा इस कंपनी में कोई हिस्सा नहीं बचता है" निशांत ने कहा।

"ये तुम दोनों किस बात पर झगड़ा कर रहे हो? ऐसे भी कोई झगड़ता है", उनकी मां ने गुस्सा करते हुए कहा।

"मां तुम ही देखो ना कि भईया सिर्फ पांच लाख रुपए के ऊपर मुझसे झगड़ा कर रहे हैं", कुणाल ने अपनी मां से कहा।

"मां जरा इससे पूछो कि इसने वो पांच लाख रुपए किसे दिए है", निशांत ने कहा तो मां ने कुणाल की तरफ देखा।

"वो मां बस किसी को बहुत जरूरत पड़ गई थी इसीलिए वहां देने पड़े", कुणाल ने थोड़ा अटकते हुए कहा। 

"जिसे तुमने दिए है वो सालों से तुम्हारे पैसों पर ऐसे ही ऐश काट रही है", निशांत को अब गुस्सा आ गया था। 

"तुम किसकी बात कर रहे हो", मां की समझ में अभी भी कुछ नहीं आया था।

"उसी नताशा की जिसके पीछे ये अभी भी पागल हो रहा है", निशांत ने एक नजर शिप्रा और निशा पर डाली।

"तुझे कुछ शरम है या नहीं?, घर में बहू है फिर भी उसके पीछे पागल है, कितनी बार बोलूं कि वो लड़की ठीक नहीं है, मैंने एक ही नजर में उसे पहचान लिया था", मां ने कहा।

"मां वो बहुत अच्छी और समझदार है, गलत तो आप लोग हो, आपने ही मेरा रिश्ता वहां से तुड़वा कर इस लड़की के साथ कर दिया जिसे मैं पसंद नहीं करता", कुणाल ने गुस्से में कह दिया।

निशा की आंखों में आंसू आ गए थे। शिप्रा ने उसे देखा।

"तुम अंदर चलो, वैसे भी इन भाइयों में ऐसे ही लड़ाई हो जाती है और फिर ये दोनों ठीक हो जाते हैं, और कुणाल की बातों पर ध्यान मत दो", शिप्रा ने उसके आंसू पोंछते हुए कहा और फिर निशा को जबरदस्ती अंदर ले गई।

"बहुत हो गई तुम्हारी बकवास, अब तुम निकलो यहां से", निशांत ने कहा।

"मैं क्यों जाऊं यहां से? ये घर मेरा भी तो है", कुणाल ने कहा।

"किस घर की बात कर रहे हो, तुम शायद भूल रहे हो कि ये घर भी उसी कंपनी के दायरे में आता है। इसीलिए अब अपना सामान समेटो और निकलो मेरे घर से", निशांत ने कहा तो कुणाल गुस्से में अपने कमरे में चला गया और अपना सामान पैक करने लगा। 

"मैं भी आपके साथ चल रही हूं", निशा ने कहा।

"तुम मेरी कुछ नहीं लगती, मुझे तुम्हें कही नही ले जाना है", कुणाल ने कहा।

"आप शायद ये भूल रहें है कि मैं आपकी पत्नी, आपकी जीवनसंगिनी हूं, आप सात फेरे ले कर मुझे यहां लाए थे, तो मेरा ये हक है कि जहां भी आप जायेंगे, मैं भी आपके साथ चलूंगी", निशा ने कहा तो कुणाल फिर कुछ नही कह पाया।

दोनों जाने के लिए बाहर आ गए और सामान एक गाड़ी में रखा जाने लगा।

"निशा ये तुम क्या कर रही हो, तुम क्यों यहां से जा रही हो", शिप्रा ने पूछा।

"दीदी जहां भी मेरे पति रहेंगे वहीं मेरा घर होगा और आप चिंता ना कीजिए, मैं इन्हें अच्छे से संभाल लूंगी", निशा ने कहा।

कुणाल ने अपने एक दोस्त से बात कर ली थी और उसने फिलहाल उनके रहने के लिए एक छोटे से घर का इंतजाम करवा दिया था। 

निशा ने वहां थोड़ी साफ सफाई करके थोड़ा सामान सेट कर दिया। 

"जाइए बाजार से कुछ ले आइए, मुझे खाना तैयार करना है", निशा ने कहा।

"तुम्हें जाना है तो जाओ, मैं अपनी नताशा के पास जा रहा हूं", कुणाल ने कहा।

"ठीक है तो मैं भी आपके साथ चलती हूं", निशा ने कहा।

"तुम मेरे साथ क्यों जाओगी, तुम्हारा इन सबसे क्या मतलब", कुणाल ने कुछ गुस्सा सा करते हुए कहा।

"अरे अभी कुछ समय पहले ही तो मैंने तुम्हें बताया था कि मैं तुम्हारी पत्नी हूं तो मेरा ये फर्ज बनता है", निशा ने कहा।

"तुम ऐसे नहीं मानोगी, सबसे पहले मैं तुम्हारा ही हिसाब करता हूं, आज के आज में तलाक के पेपर तैयार करवाता हूं", कुणाल ने कहा और गुस्से में वहां से चला गया।

उसके जाने के बाद निशा ने एक गहरी सांस ली और अपने काम में लग गई।

कुणाल वहां से गुस्से में तो आ गया था लेकिन उसका कोई ठिकाना नहीं था। कुछ सोच कर उसने नताशा को फोन लगाया लेकिन दो तीन बार मिलाने पर भी बस घंटी ही जाती रही, किसी ने फोन नही उठाया। कुणाल को और भी गुस्सा आ गया था। वो वहां से नताशा से मिलने उसके रूम पर पहुंच गया तो वहां से उसे पता चला कि नताशा ने वो कमरा अभी दो दिन पहले ही छोड़ दिया है। हार कर कुणाल वापस आ गया।

"ले आए आप तलाक के पेपर?", निशा ने पूछा।

"देखो इस वक्त मेरा बहुत ज्यादा दिमाग खराब है, मेरा और दिमाग खराब मत करो", कुणाल ने गुस्से में कहा।

"खाना तैयार है, अगर आप कहो तो मैं आपके लिए खाना लगा दूं", निशा ने पूछा।

कुणाल को भूख तो लग रही थी लेकिन वो कहना नही चाहता था। निशा उसे देख कर सब समझ गई। वो खाना एक प्लेट में लगा कर ले आई।

"खाना खा लीजिए", निशा ने कहा तो कुणाल ने चुपचाप खाना खा लिया।

"आपने सोचा है कि अब क्या करेंगे", कुछ देर बाद निशा ने पूछा।

"करना क्या है अपने ऑफिस जाऊंगा", कुणाल ने कहा।

"कौन से ऑफिस? वहां तो अब आपका कुछ भी नहीं रहा है", निशा ने पूछा तो कुणाल थोड़ी देर के लिए सोच में पड़ गया।

"मेरी नताशा के बहुत सारे लोग जानने वाले है, वो मेरी कहीं job लगवा ही देगी, अब तुम जाओ मुझे नींद आ रही है", ये कह कर कुणाल चुपचाप एक तरफ को मुंह करके सोने की कोशिश करने लगा लेकिन अब भी उसके दिमाग में नताशा ही चल रही थी।

अगले दिन सुबह ही कुणाल तैयार हो कर घर से निकल गया। उसने कुछ जगह कोशिश भी की लेकिन उसे कहीं भी नौकरी नहीं मिल पाई क्योंकि उसके पास वो experience नही था जो कि वो interview में जवाब दे पाता। इसके अलावा नताशा का भी कुछ अता पता नहीं था।

शाम को वो फिर से पीने चला गया।

रात को कुणाल घर पर पहुंचा। उसे बहुत ज्यादा नशा हो रखा था। 

"आप आज भी पी कर आए हैं? मैंने आपको मना किया था ना?", निशा ने कुणाल को देखते हुए कहा। 

"देखो मुझ पर हुक्म चलाने की जरूरत नहीं है", कुणाल ने थोड़ी ऊंची आवाज़ में कहा।

"बस बहुत हो गया आपका ये नाटक, चलिए यहां से बाहर चलिए, जब नशा उतर जाए तो मुझे आवाज दे देना, मैं दरवाजा खोल दूंगी", ये कह कर निशा ने कुणाल को बाहर करके दरवाजा बंद कर लिया। 

कुणाल कुछ देर दरवाजा पीटता रहा और फिर कुछ देर बाद वहीं चित्त हो गया। थोड़ी देर बाद निशा उसे सहारा दे कर अंदर ले आई। 

सुबह जब कुणाल की नींद खुली तो उसने देखा कि निशा कहीं जाने के लिए तैयार हो रही है। उसका सिर अब भी घूम रहा था। निशा ने कुणाल को देखा।

"चाय केतली में रखी हुई है और वहां कुछ ब्रेड रखे हुए हैं, खा लेना", निशा ने कहा।

"तुम कहां जा रही हो?", कुणाल ने पूछा।

"job तलाशने क्योंकि आपको तो बस अपने पीने की फिक्र है तो अब मुझे ही कुछ देखना पड़ेगा", निशा ने कहा।

"तुम्हे लगता है कि जब मुझे कोई job नही मिली तो तुम्हें job मिल जायेगी", कुणाल ने पूछा।

"देखा जायेगा", निशा ने कहा और चली गई।

शाम को जब निशा आई तो कुणाल बाहर ही टहल रहा था। उसे देख कर वो उसके पास आ गया।

"मुझे बहुत जोरों से भूख लगी है", कुणाल ने कहा।

"मुझे पता था इसीलिए मैं आपके लिए बाहर से आपके पसंदीदा छोले भटूरे लाई हूं", निशा ने मुस्कुराते हुए कहा तो कुणाल ने जल्दी से निशा से वो पैकेट ले लिया और खाने लगा।

"मुझे job मिल गई है", निशा ने कहा तो कुणाल उसे चौंक कर देखने लगा। 

"आप क्या सोचते हो कि मैं ऐसे ही कोई अनपढ़ हूं, मैंने एमबीए किया हुआ है वो भी फाइनेंस से", निशा ने कहा तो कुणाल को बहुत आश्चर्य हुआ।

"अब कुछ दिन आप घर संभालना और बाहर का काम मैं देखूंगी", निशा ने कहा तो कुणाल बस चुप सा रहा। 

"don't worry मैं आपके लिए खाना तैयार करके जाया करूंगी ताकि आपको मेरे पीछे भूखा ना रहना पड़े", निशा ने मुस्कुराते हुए कहा।

निशा को जॉब करते करते एक हफ्ता गुजर चुका था। कुणाल को कुछ कुछ अक्ल आ गई थी। लेकिन अभी भी उसके दिमाग से नताशा नहीं निकली थी। आज भी वो अपना पर्स देख रहा था तो अचानक ही उस पर्स में से नताशा की तस्वीर निकल कर नीचे जा गिरी। कुणाल कुछ देर उस तस्वीर को देखता रहा और फिर घर से निकल गया।

शाम को जब वो नशे की हालत में घर आया तो उसने निशा को देखा जिसे उस वक्त बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था। 

"मैं वो……", कुणाल ने कहा तो निशा ने उसके हाथ से बोतल ले कर बाहर फेंक दी। 

"आप अभी भी उस नताशा के पीछे पागल है ना, आइए मेरे साथ चलिए मैं आपको उसकी असलियत दिखाती हूं", ये कह कर निशा कुणाल को ले कर एक क्लब में चली गई। वहां नताशा किसी के साथ बैठी हुई गप्पे लड़ा रही थी। 

"जाइए मिल लीजिए अपनी नताशा से, मैं घर जा रही हूं", निशा ने कहा और वहां से चली गई।

नताशा को देख कर कुणाल का सारा नशा उतर गया था। वो सीधा नताशा के पास पहुंचा।

"नताशा मैंने तुम्हें कहां कहां नहीं ढूंढा, तुम्हें पता भी है कि इस वक्त मैं कितनी बुरी हालत में हूं, मुझे घर से निकाल दिया है", कुणाल ने कहा।

"तुम कौन हो?", नताशा ने कुणाल से अनजान बनते हुए पूछा।

"तुम मुझे नहीं जानती या अनजान बनने की कोशिश कर रही हो", कुणाल ने कहा।

"अजीब आदमी हो, मैं तुम्हें जानती तक नहीं और तुम मेरे पीछे ही पड़े जा रहे हो", नताशा ने कहा। 

"ऐ मिस्टर, तुम्हारी problem क्या है?", नताशा के साथ वाले लड़के ने पूछा।

"ये मेरी गर्लफ्रेंड है", कुणाल ने कहा।

"तुम्हारी गर्लफ्रेंड, कभी तुमने देखा है खुद को, ये तुम्हारी नहीं मेरी गर्लफ्रेंड है", उस लड़के ने कहा।

"पता नहीं कहां कहां से ऐसे लोग आ जाते है, ऐसे लोगों को तो क्लब में घुसने ही नहीं देना चाहिए", नताशा ने मुंह बनाते हुए कहा।

"तुम धोखेबाज, तुमने मुझसे इतने रुपए ले लिए और अब बातें बना रही हो", कुणाल ने उस पर झपट्टा सा मारते हुए कहा कि तभी उस लड़के ने कुणाल के दो तीन थप्पड़ रख दिए और फिर क्लब के गार्ड्स ने उसे क्लब से धक्के मार कर निकाल दिया। कुणाल ने अफसोस से पीछे देखा और फिर घर की तरफ चल दिया। उसे खुद पर बहुत शरम आ रही थी। घर पहुंच कर उसने दरवाजा खटखटाया तो निशा ने दरवाजा खोला। 

"आ गए आप, चलिए आ जाइए अंदर", निशा ने कहा।

"मुझे माफ़ कर दो निशा, मैंने………", कुणाल कुछ और भी बोलना चाहता था कि तभी निशा ने उसे चुप करा दिया। 

"मुझे पता है कि आपको अब सब पता चल ही गया होगा, मैं जहां job करती हूं, वहां से मुझे नताशा के बारे में पता लगा था क्योंकि एक दिन नताशा वहां interview देने के लिए आई थी", निशा ने उसकी चोटों पर मरहम लगाते हुए कहा।

अगले दिन सुबह ही उनके घर के दरवाजे पर दस्तक हुई तो कुणाल ने दरवाजा खोला और देखा की उसके भाई, भाभी, मां सब बाहर खड़े हैं।

"घर चलने का वक्त आ गया है", निशांत ने मुस्कुराते हुए कहा।

"लेकिन उस घर में तो मेरा कुछ हिस्सा ही नहीं है", कुणाल ने कहा।

"तुम्हारा नहीं है लेकिन तुम्हारी निशा का है जो तुम्हारी जीवनसंगिनी है", शिप्रा ने मुस्कुराते हुए कहा तो निशा भी बाहर आ गई। 

"पापा की वसीयत के हिसाब से तुम्हारी शादी के बाद, कंपनी का कुछ हिस्सा तुम्हारी जीवनसंगिनी को मिलना था और ये job भी हमारी ही कम्पनी में कर रहीं थी", निशांत ने कहा।

"इतना सब कुछ था और तुमने मुझे बताया नहीं?", कुणाल ने पूछा।

"वो इसीलिए क्योंकि कुछ जरूरी बातें थी जो आपको सीखनी थी और कुछ सिखानी भी थी", निशा ने मुस्कुराते हुए कहा।

"तुम मेरी सच्ची साथी हो, तुमने जो किया है वो सिर्फ एक पत्नी ही कर सकती है, सिर्फ तुम ही मेरी जीवनसंगिनी हो और हमेशा बनी रहेगी", कुणाल ने मुस्कुराते हुए कहा।


(समाप्त)


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