Priyanka Singh

Romance

4.4  

Priyanka Singh

Romance

प्यार और लिव इन अनोखा रिश्ता

प्यार और लिव इन अनोखा रिश्ता

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जूहू चौपाटी के किनारे चलते चलते नमिता थक गई और आती जाती लहरों के बीच बैठ गई। ठंडा ठंडा लहरों का पानी उसके मन को सुकून पहुँचा रहा था। तभी किसी ने नमिता की आँखों पर दोनोंं हाथ रख, बोला "पहचानो मैं कौन हूँ ?" नमिता तुरंत बोली, जानवी!! और खडी़ हो उसके गले लग गई । फिर जानवी ने नमिता से पूछा "अकेली, राहुल साथ नहि है क्या ?" कहाँ थी अब तक, कितने साल हो गये। तेरा कुछ अता-पता ही नहींं ? नमिता बोली '" सारे सवाल एक साथ ही पूछ लेगी'। नमिता ने ऊँगली से इशारा किया, एक सुंदर गठीला बंदा, प्यारी-सी बच्ची का हाथ थामे चला आ रहा था। उनके पास आते ही नमिता ने कहा, "जानवी, ये है मेरे पतिदेव वरुण और मेरी बेटी पीहू"। 


वरूणजी ये मेरी सहेली जानवी। "जानवी फटी आँखो से देख मुँह खोलती तब तक वरूण और पीहू साथ मे नमस्ते बोल पडे़। पीहू रेत पानी से खेलने लगी, वरूण ने जानवी से कहा, "बहुत सुना है, नमिता से आपके बारे मे और आपकी छोटी-सी गैंग के बारे मे "। कैसी हैं आप ! तभी भावेश, जानवी के पति अपने दो बच्चों के साथ पहुँच गये और मम्मी चलो ना बहुत थक गये, रिया और बिपिन जानवी के बच्चे रट लगा दिये। नमस्ते बोलो अंकल आँटी से फिर चलते हैं। नमिता और वरूण ने भो भावेश से नमस्ते करी। जानवी ने नमिता के कान मे फुसफुसाया, ये सब कब, कैसे ? कब मिलेगी ये बता, मुझे ढेर सारी शिकायते-बाते करनी है। नमिता ने अपना फोन नंबर पता जानवी को दिया, कल मिलते हैं, फिर बात करेगे।


रात भर जानवी को ठीक से नींद नहीं आई, सुबह उठ अपने घर-परिवार के काम खत्म कर जल्दी से नमिता के घर को चल दी। डोरबेल बजते ही, नमिता ने दरवाजा खोल अंदर आने का इशारा किया। घर बड़ी सुंदर तरीके से सजाया हुआ था, उसके सास-ससुर बाहर हाॅल मे ही बैठे थे, मैंने नमस्ते किया। नमिता ने शायद मेरे आने की बात पहले ही बता दी थी। चाय नास्ता कर, नमिता ने कहा, " चल, ऊपर रूम मे आराम से बात करेगे"। , उसके सास-ससुर भी आपस मे कुछ बात करने लगे। कमरे मे जाते ही, जानवी बोली जल्दी बता, मैं पहले ही राहुल और तुझे सोच कर सो नहीं पाई।


नमिता ने बोलना शुरू किया, याद है वो कोलेज के दिन, अपनी 5 लोगो की गैंग। मैं,तू, पायल, राहुल और अंश। दिन भर मस्ती और रात को पढ़ाई। राहुल और मैं एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे लेकिन पढाई मे बराबर मुकाबला की कौन फ़र्स्ट आयेगा। मेरे राहुल का प्यार पूरा कोलेज जानता था, पर मेरे घरवाले नहीं। रोमियो-जुलियट थे हम अपने कॉलेज के,एक-दूजे के लिए कहतेथे सब। उसकी बाइक पर कोई ओर लड़की भूल से भी बैठ जाये तो मैं राहुल से गुस्सा हो जाती फिर वो रूठना मनाना। कैन्टीन मे वो चाय समोसा, और बिल भरने मे पायल की जान निकल जाना। पायल भी मन ही मन अंश को पसंद करती थी, लेकिन कहने से डरती थी। क्योंकि अंश कभी प्यार को लेकर सीरियस नहीं था, हर महीने कोई नया चेहरा दिखता उसके साथ । और तू तो गुजराती बिजनेस वाले से ही शादी करना चाहती थी। थीरे थीरे समय गुजरा और कोलेज की पढ़ाई खत्म हुई। राहुल प्रथम मैं द्वितीय आई। पायल अपने पापा के पसंद के लड़के से शादी कर अपनी ही दुनिया मे खो गई, वो ऐसे भी नौकरी करना नहीं चाहती थी। और तुझे कहा गया ससुराल जाकर वो चाहे तो नौकरी कर लेना। तेरी भी शादी हो गई। 


मैंने और राहुल ने नौकरी के लिये प्रयास किया और मिल भी गई । मेरे घरवाले भी पहले तो राजी ना हुए बाहर जाकर नौकरी करने के लिए। पर मैं ठहरी पापा की लाड़ली, "बस, एक साल मुझे नौकरी करने दो फिर शादी कर लूँगी पक्का ", और पापा मान गये। अंश को भी नौकरी मिल गई वो भी अपने मे व्यस्त हो गया। मैंने सोचा था, कुछ समय बाद घरवालो को राहुल के बारे मे बता दूँगी, नौकरी घर-परिवार देख सब मान जायेगे और राहुल के घर मे तो सब मुझे जानते ही है। । बस नौकरी ठीक ठाक चल जाये। फिर हमारी शादी, मैं मन ही मन खुश हो रही थी। और मैं, राहुल बैंगलोर (Banglore बैंगलुरू)पहुँच गये । यहाँ तक तो हमारी गैंग और तू जानती है ।

आगे की कहानी, सोचा ना था ऐसी चली। 


मैंं और राहुल बैंगलौर मे अलग अलग कंपनी मे काम करते थे, लेकिन रोज आॅफिस के बाद मिलते और साथ शाम का समय गुजारते। कुछ दिनों बाद राहुल ने कहा "नमिता, थोड़े समय बाद तो हम शादी करेंगे ही, क्यों ना हम लिव- इन(शादी करे बिना लड़का-लड़की जोडे़ का एक घर मे साथ रहना live-in )मे एक साथ रहने लगे"। हम दोनों घर बाहर का काम मिल बाँट कर लेंगे, और एक दूसरे के साथ ज्यादा समय बीता सकेंगे। मैं सोच मे पड़ गई, वहाँ बहुत सारे कपल इस तरह लिव- इन मे रहतेथे, पर मुझे वो सही नहीं लगता था। तब राहुल ने कहा, तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं किया तुम तो मुझे 6 साल से जानती हो, क्या मैंने कभी...नमिता बीच मे ही बोल पडी़ विश्वास पूरा है, तभी तो बेपनाह प्यार है तुमसे, चलो ठीक है। हम दोनों ने एक छोटासा घर किराये पर ले लिया और साथ रहने लगे। जरूरत भर सामान दोनों ने जोड़ना शुरू किया ये सोच जिंदगी साथ ही तो गुजारनी है। हम दोनों एक साथ बहुत खुश थे, समय पंख लगा उड़ रहा था।घरवाले जब भी रिश्ते की बात करते मैंं बहाना कर टाल देती, पर पापा ने मन ही मन वरूण को पसंद कर लिया था। वरूण अमेरिका रहता था। 3 महीने बाद मुम्बई आयेगा तब बात आगे बढे़गी। मैंने राहुल ने तय कर लिया था, वरूण के आने से पहले ही दोनों घर जाकर मम्मी पापा से बात कर उन्हें शादी के लिए मना लेंगे। हमने किसी को भी लिव- इन के बारे मे नहींं बताया। 


करीब १ महीना राहुल के साथ अच्छे से गुजर गया, पर हमारे बीच के तकिये कभी नहीं हटे। पर राहुल धीरे धीरे बदलने लगा, वो प्यार वाली बाते कम हो गई, शायद वो हमारे बीच की दूरी कम करना चाहता था। और मैंं उसे प्यार से धकेल, "थोड़ा इंतजार जनाब! ये सब शादी के बाद"..कहकर हँस देती। राहुल अब शाम को घर भी देर से आता,कभी तो १ -२ भी बज जाते। और उसमे से अजीब बदबू आती। एक दिन मैंने तंग आकर राहुल से पूछा, "ये सब क्या चल रहा है ? आज से पहले मैं कभी राहुल पे इस तरह नहींं चिल्लाई थी। उसने मुझे बड़ी शांति से जबाव दिया, "मेरा नया गैंग बन गया है, हम आये दिन पब जाते हैं और अक्सर बीयर सिगरेट पीते है। मुझे बहुत जोर का झटका लगा, राहुल...तुम दोस्ती तो ठीक है कोई बुराई नहीं, नये दोस्त बनाने मे पब जाने मे लेकिन बीयर सिगरेट । इन सबकी क्या जरूरत पड़ गई तुम्हें! राहुल ने मेरी तरफ देख कहा, इसमे क्या बुराई है मेरे सब दोस्त पीते हैं यहां तक की लड़कियाँ भी। ये हमारा छोटा नहीं बहुत बड़ा शहर है, खुले विचार रखते हैं लड़के-लड़कियाँ। तुम्हारी जैसी छोटे ख्यालो वाली नहीं। यहाँ तक की लड़कियाँ एक साथ बेड भी बाँट लेती हैं। और तुम तो हाथ भी लगाओ तो दूर धकेल देती हो। आज मैंं भी सब कुछ अपने मन की बात तुमसे बोलना चाहता हूँ।


हम दोनों 6 साल से साथ है, एक-दूसरे से प्यार करते हैं और बहुत जल्द शादी भी करेंगे, तो एक-दूसरे को छूना क्यों गलत। इसका मतलब तुम्हें मुझफर विश्वास नहीं, है ना। इतना बोल राहुल बहार चला गया, मैं उसे जाते देख रही थी और उसमे आये बदलाव से बहुत परेशान। उस रात फिर राहुल देर से आया, हम दोनों चुपचाप सो गये। सुबह हम दोनों ने कोई बात नहीं की और अपने अपने काम पर चले गये।, राहुल ने मुझे पूरे दिन फोन नहीं किया ना मैंने उसे किया। शाम को घर पहुँची, और शायद आज मुझे राहुल का इंतजार नहीं था! मैं जानती थी वो आज भी देर से ही आयेगा। मैंं परेशान थी, पर किस से बात करती मैंने किसी को नहीं बताया था कि मैं राहुल के साथ लिव इन मे रहती हूँ। मैंं यही सोचती रही, राहुल ने पहले कभी मुझे इस तरह छूना नहीं चाहा अब क्यौं हम तो अपने गाँव जैसे शहर मे ही अच्छे थे। क्या मेरी सोच गलत है या राहुल की। क्या ये नये खुले विचार वाले दोस्तों का असर है। पर ये सही है कि राहुल ने कभी जबरदस्ती नहीं की कि तुम साथ मे...।


बस यही सब सोचते कब आँख लग गई पता नहीं चला और राहुल उसके पास रहती चाबी से दरवाज़ा खोल अंदर आ चुपचाप सो गया। खैर, राहुल बदल रहा है समझ गई थी इसलिए चुप्पी तोड़ मैंने राहुल से बात शुरू की। देखो "राहुल, हम घर वालो से मिल बात कर शादी कर लेते हैं, सब प्राॅबल्म दूर हो जायेगी और हम शांति से हमेशा साथ रहेंगे बहुत सारे प्यार के साथ"। पर राहुल उसी बात से चिपका था, शादी के लिए विश्वास जरूरी है और वो तुम मुझ पर करती नहीं कह वो आॅफिस के लिए निकल गया। मैं उसका मुँह देखती रह गई। हद तो तब हो गई जब राहुल शाम को आया और बोला, "हमें अब थोड़े दिन अलग रहना चाहिए की हम समझ सके कि आगे हमारे लिए क्या ठीक रहेगा साथ रहना या हमेशा के लिए अलग। मैं कुछ बोलती उससे पहले वो अपना सामान समेटने लगा, मैंं चुपचाप उसे घर से शायद अपनी जिंदगी से दूर जाते देखती रही। और उसके बाद हम कभी नहीं मिले, ना ही बात हुई। हमारे विचार जो कभी एक थे, अब अलग थे।


कौन सही कौन गलत, नई-पुरानी सोच, संगत का असर जो हो या कोई ऐसी बात जो राहुल ने मुझे नहीं बताई! वो आज तक मेरे लिए एक सवाल ही है। मैंं इस झटके से जैसे बिखर गई थी और आँसू भी कब तक बहते, जब बिना गलती के सजा मिले। इधर घर से शादी के लिए दबावबढ़नेलगा।, अब ना करने का कोई बहाना भी नहीं था। मम्मी-पापा को भी परेशान कर क्या मिलेगा। मैंं नहीं तो घरवाले तो खुश रहे सोच शादी के लिए हाँ कर दी। और मैं वरूण से मिलने को तैयार हो गई। मैंं बहुत टूटा सा महसूस करती पर घर मे सबको खुश देख बहुत खुश हो जाती।तेरी कहानी भी याद आती तूने भी तो घरवालो के कहने पर शादी की थी और थोड़े ही समय मे वो तेरा प्यार तेरी जान बन गया। जानवी नाराज होते हुए बोली, इतना कुछ हुआ और तूने हमसे बात भी नहीं की, एक बार बात तो करती तो हम राहुल से बात करने की कोशिश करते। हमे तो लगा दोनोंं इतने खुश हो कि गैंग के लिए समय नहीं, और हम भी अपने गृहस्थी मे लगे रहे। सोशल मीडिया से तो तुम दोनों हमेशा दूर रहते थे, कि वहां से कुछ पता चले। अब जो बीत गया जाने दे, जैसे आज हम दोनों मिले है एक दिन राहुल भी जरूर मिलेगा तब उसकी खबर लूँगी, क्या दिमाग खराब हुआ था उसका ? 


नमिता हँसी, "जानवी, तेरी बाल की खाल निकालने की आदत नहीं गई"। रूक, जरा नीचे माँ-बाबूजी को देखकर आती हूँ, । तुझे देर तो नहीं हो रही,खाना तो बनाकर आई है ?हाँ बोल जानवी ने कहा तू बहुत बदल गई है, जल्दी देखकर आ। बच्चे स्कूल से घर पहुँचे तब तक घर पहुँचना है। नमिता नीचे चली गई, मैंं सोच मे पड़ गई, राहुल तो नमिता पर जान छिड़कता था, फिर ये सब क्यौ हुआ!क्या वो प्यार नहीं सिर्फ आकर्षण था, तो प्यार होता क्या है ?मुझे भी काॅलेज समय कोई पसंद था, ये तो नमिता भी नहीं जानती । लेकिन अब मैं भी तो अपने पति दो बच्चों साथ खुश हूँ। तो क्या ये कहना प्यार एक बार होता है, दोबारा नहीं गलत है।


तभी नमिता वापस आ गई, वो लोग आराम कर रहे । तू बता जानवी, तेरे ससुराल वाले सब ठीक !जानवी बोली ये सास-बहू वाला छोटा-मोटा नाटक चलता रहता है और अब तो उसकी आदत सी हो गई है। तू वरूण की बात कर बस..। नमिता ने बात आगे बढा़ई, वरूण ने मुझे देख हाँ कर दी और बताया मेरे मम्मी-पापा साथ रहेंगे कोई दिक्कत हो तो अभी बता दो। आगे चलकर फिर किसी को भी परेशानी ना हो, मैंने कहा कोई परेशानी नहीं पर मैंं भी कुछ कहना चाहती हूँ। और मैंने अपने राहुल की बात उसे बताई। कयोंकि ये बहुत बड़ी बात थी, आगे चलकर किसी ओर से वरूण को पता चलता तो एक साथ बहुत सी जिंदगी बरवाद हो जाती । वरूण ने मेरी बात को सुना समझा और पूछा घर मे किसी ओर को पता है, मैंने ना मे सिर हिलाया। उसने कहा,"नमिता प्यार कीहर किसी की अपनी परिभाषा है, शारीरिक और मानसिक दोनों इंसान की जरूरत है। मैंं अमेरिका मे रहता हूँ खुले विचारो का हूँ। पर आज भी भारतीय समाज के रीति-रिवाज नियम मानता हूँ। और आपकी बात पर विश्वास करता हूँ, आपने मुझे पहले ही सब सच बताया अच्छा लगा। और विश्वास करता हूँ अब आपका बीता कल फिर कभी हमारी जिंदगी मे नहीं आयोग और वरूण ने सबके सामने शादी के लिए हाँ कर दी। और फिर कभी हमने इस विषय पर कोई बात नहीं की।


मैंं वरूण के व्यवहार से बहुत खुश थी। और फिर शादी हो गई,मैंं भी अपना बीता कल भूल जाना चाहती थी इसलिए किसी गैंग वाले को नहीं बुलाया, और शादी कर अमेरिका चली गई। वरूण मेरा बहुत ध्यान रखते, मेरी पसंद नापसंद वो जल्द ही समझ गये। मैंं भी उन्हें हमेशा खुश रखने की कोशिश करती। और वरूण के साथ ने सब कुछभूला दिया, मुझे महसूस होने लगा, वरूण से अच्छा जीवनसाथी कोई हो ही नहीं सकता। कभी किसी बात पर नोंक-झोंक हो भी जाती तो अक्सर वरूण और कभी मैंं एक दूजे को मना लेते। घंटो एक-दूसरे का हाथ पकड़ बैठते, घूमते, बारिश का मजा लेते। शायद ये सच्चा प्यार था, तो फिर ...कभी सोचने लग जाती। फिर मैंने भी वहाँ नौकरी शुरु कर दी और वही व्यस्त जीवन। माँ-बाबूजी अमेरिका आते जाते रहते हैं। फिर पीहू का जन्म, मानो मेरी हर ख्वाहिश पूरी हो गई।

नमिता बोली, "जानवी, मुझे भी नहीं पता प्यार कहते किसे हैं, बस इतना जानती हूँ मैंं वरूण के साथ बहुत खुश हूँ और कभी राहुल की याद नहीं आती। पहले लगता था राहुल के बिना नहीं जी सकती, पर मैंं तो खुशी से जी रही हूँ। लोग कहते हैं प्यार एक बार होता है। तो वो प्यार था या ये जो आज वरूण के साथ है। इसलिए ही कहते हैं प्यार की कोई परिभाषा नहीं। । 


हम १ महीने बाद वापस अमेरिका चले जायेगे। तो तब तक एक बार सबसे सपरिवार मिल सके उसका प्लान करते हैं, रिया, अंश, तू और मैं एक बार सपरिवार और एक बार अकेले की पार्टी की तैयारी करते हैं। हाँ हाँ जरूर बोल जानवी नमिता से गले मिल घर के लिए निकल दी। दोनों के मन मे बस एक सवाल गोते लगा रह था आखिर प्यार होता क्या है ? क्या प्यार दोबारा या बार-बार हो सकता है ?


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