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Priyanka Singh

Others

4.2  

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एक स्त्री व्यथा- नौकरी/परिवार

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अनि... अनि! उठ ना बेटा, कितना सोयेगी! रात को देर तक जागने की क्या जरूरत थी। आज तेरी शादी है और तू अब तक सो रही है। रिश्तेदारों को फिर ताना मारने का बहाना मिल जायेगा, बहुत सर चढ़ा रखा है बेटी को अनि, अनिका वर्मा नींद में ही बड़बडाती उठी "आप सुनते हो इसलिए लोग सुनाते हैं।और कमरे से बहार निकल आई।

शादी वाला घर और औरतें गुट बनाकर खुसपुसाहट बुराईयाँ ना करे ये कैसे मुमकिन हो सकता है।

अनि ने सुना" अरे! लड़की तो ठीक से खाना बनाना भी नहीं जानती। छोटी सी नौकरी करती है, घर के काम में तो हाथ भी ना लगावे है, बस गोरा रंग रूप देख लड़के वालो ने हाँ कर दी। इससे पहले की अनि कुछ बोले माँ उसे वहाँ से खींच कर ले गई, क्या गलत बोला तेरी चाची ने जो तिलमिला रही है।

देख अनि, तेरे ससुराल वालों को हमने बता दिया था कि हमने तुझ से कभी घर काम नहीं करवाया सिर्फ पढ़ाई और पढ़ाई ।और ये भी की तू शादी के बाद वहाँ भी नौकरी करेगी। हाँ, धीरे धीरे अच्छा खाना बनाना जरूर सीख लेगी। तो तू भी प्लीज थोड़ा समझ, थोड़ा सुनना एडजस्ट करना भी सीखना होगा। और माँ की नम आँखें देख वो माँ से गले लग गई हाँ मेरी माँ आप जो कहे सही है सर आँखों पे।

अनि ने शादी के लिये हाँ भी तो माँ पापा की वजह से किया था। ये अलग बात है कि उसे भी अरमान अच्छा लगा था। पर वो इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहती थी। अभी 6 महीने ही तो हुए थे नौकरी करते और एक महीने के अंदर ही शादी। पर इतना अच्छा घर बार देख माँ के जोर देने पर हाँ कर दी।

अनि और अरमान की शादी खूब अच्छे से हो गई। और अनि को नौकरी भी मिल गई। अनि और अरमान दोनों साथ ही नौकरी के लिये निकल जाते। और शाम को कभी साथ कभी आगे पीछे वापस आते। अनि की हमेशा कोशिश होती समय से वापस आ जाये पर कभी काम ज्यादा होने से देर भी हो जाती और घर पहुँचते ही सबका फूला मुँह देखती।

क्योंकि सबको इंतजार रहता कि खाना तो बहू अनि के हाथ का मिले, अनि ने धीरे धीरे अच्छा और लगभग सब बनाना सीख लिया था। जितना हो सके घर को सजाना सँवारना भी करती, उसे अच्छा लगता ये सब। वो कहते हैं ना शादी के बाद थोड़ा बहुत बदलाव तो आ ही जाता है आपकी प्राथमिकता भी कुछ तो शायद बदल ही जाती है। और अनि की माँ उसे प्यार से हर बात समझाना, एडजस्ट करना पड़ता है बेटा।

बात यह थी कि अनि के सास ससुर को कभी ही सही पर अनि का आँफिस से देर से घर आना पसंद नही था, और बढ़ा चढ़ा कर बात बना किसी के शांत घर मे आग लगाने वालों की कहाँ कमी है। और अनि की नौकरी को लेकर उसे अक्सर ताने सुनने को मिलते। कई बार अच्छी खासी बहस भी हो जाती। और अरमान ही ले देकर बात संभालता। पर अब दादा दादी बनने की नई माँग, 2 साल हो गये शादी को हमें एक पोता या पोती दे दो , हर बात में अपनी मरजी चलाना ठीक नहीं ज्यादा समय हो जाने पर मुश्किल भी आ सकती है, समझो।

इधर अनि का आँफिस में अच्छा काम देख, उसका जल्दी प्रमोशन हो गया। और वो अरमान से एक पोस्ट ऊपर पहुँच गई। प्राइवेट कंपनी में अच्छे काम मेहनत को सराहा ही जाता है और काम भी खूब अच्छे से कराया जाता है। पर ये बात कहीं अरमान को खल गई , जब लोग अनि के काम की तारीफ करते तो उसे कुछ चुभ सा जाता। कुछ लोगो ने तो बात भी बना दी, नई है इतनी जल्दी कैसे प्रमोशन मिल गया? बस एक प्रमोशन ने अनि की जिंदगी में खलबली मचा दी। और अरमान ने अनि से कह भी दिया नौकरी छोड़ दो अब तो कभी कभी अरमान भी उसे दो बातें सुना देता। अरमान मे आये बदलाव से अनि परेशान थी। उसने तो सिर्फ सुना था कुछ घरवाले बहू बीवी को आगे निकलते नहीं देख सकते पर ये तो..।  

इधर अनि ने सबको मनचाही खुशखबरी दे ही दी। लेकिन अरमान भी अब अनि की नौकरी से खुश नहीं था। पाँच छः महीने होते ही सासु माँ ने फरमान सुना दिया, कुछ समय दो तीन साल के लिए नौकरी से ब्रेक ले लो। और इस बार अरमान भी अपनी माँ के साथ था। अनि तो जैसे बिखर ही गई। अनि ने अपनी माँ से बात की, उन्होंने अनि को समझाया अब तुम खुद माँ बनने वाली हो, सोच समझ कर फैसला लो। नौकरी तो दोबारा भी मिल जायेगी, पर घर बिखर गया तो। हो सकता है तुम्हें फिर दोबारा इतनी अच्छी नौकरी ना भी मिले। तुम जो फैसला लोगी हम साथ है ।

अनि रात भर ठीक से सो नही पाई, वो मुँहफट अनि सही के लिये अड़ जाने वाली भारी सोच मे थी।

अनि ने सुबह जब बोला कि वो दो साल के लिये नौकरी से ब्रेक ले रही है। पर दो साल बाद फिर नौकरी शुरू करेगी। सब बहुत खुश हो गये। घर में रहते रहते अनि ने देखा कि दिन पर दिन सास ससुर उसे ज्यादा प्यार मान देने लगे हैं और अरमान तो खुश ही खुश। तो क्या, सिर्फ अनि की नौकरी सबकी परेशानी की वजह थी। 

अनि ने एक प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया। सब बहुत खुश थे। देखते देखते अनि की बेटी पीहू दो साल की हो गई।

अनि को बार बार नौकरी याद आ जाती पर ये क्या अनि को मायके और ससुराल दोनों की ख़ुशियों को छेड़ने का मन नहीं किया। अरमान का अनि और पीहू के लिये प्यार तो बस किसी की नजर ना लगे!

अनि ने महसूस किया, वो अपनी माँ की कार्बन काॅपी बन चुकी थी। पूरी तरह से बदल गई थी या सीने में तूफान समेट लिया था। अनि के लिये आज दोनों बात एक थी। किसी ने सामने से पूछा भी नहीं अनि इस शांति की वजह क्या है, वो तो खुश थे नौकरी का भूत उतर गया। पर अनि का दर्द तो अरमान ने भी महसूस नहीं किया।

अनि ने नौकरी की फिर कभी बात ही नहीं की। आज अनि की शादी को पच्चीस साल हो गये। एक बेटा एक बेटी के साथ वाली हैप्पी फेमिली। 

पीहू... पीहू उठ जा बेटा, जल्दी उठ ना। पहले ही इंटरव्यू के लिये देर से पहुँचना है क्या ?? अरमान आवाज़ लगा रहा था। अनि देख खडे़ मुस्कुरा रही थी। दादी अनि से पहले हाथ में दही चीनी की कटोरी लिये खड़ी थी। अरे मेरी पोती है टाॅपर है, नौकरी तो पक्की ही समझो।

अनि पीहू के लिये बहुत बहुत खुश है, पर ये सोच भी कि पीहू, पीहू ही रहेगी या वो भी आगे चल मेरी परछाईं बन जायेगी!!



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