Priyanka Singh

Inspirational

5.0  

Priyanka Singh

Inspirational

"स और श"

"स और श"

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मेंघा को स्कूल जाते चार पाँच दिन हो गये थे, वो विज्ञान विषय बहुत अच्छे से पढ़ा रही थी।पर फिर भी जब स्कूल से घर आती तो थोड़ी उदास परेशान नजर आती।आज कुछ ज्यादा उखड़ा देख सासु माँ ने पूछा "क्या बात है? मेंघा बोली कुछ नहीं सर में दर्द है, थोड़ा आराम करना चाहती हूँ।और अपने कमरे की तरफ चली गई।आज बाल्कनी में खिले फूल भी उसे खुशी नहीं दे रहे थे।वो आँख बंद कर कुर्सी में बैठ गई और अपने अतीत,स्कूल समय में पहुँच गई।


मेंघा पढ़ने में बहुत अच्छी अव्वल नम्बर आने वाली लड़की थी।वो अच्छी वैज्ञानिक बनना चाहती थी।परन्तु बारहवीं में परीक्षा के समय ज्यादा टेंशन की वजह से तबियत खराब हो, परीक्षा बहुत अच्छी नहींं गई।उसने हार नहीं मानी सोचा पोस्ट ग्रैजुएशन कर कैंसर रिसर्च (पी.एच डी )कर लूँगी और मन को समझा लिया।

परन्तु पोस्ट ग्रैजुएशन करते करते शादी के लिये बहुत अच्छा रिश्ता आ गया। ससुराल वालो की शर्त थी, लड़की सिर्फ टीचर की नौकरी करेगी।माँ पापा के दबाव में आकर उनकी खुशी के लिये मेघा ने शादी के लिये हाँ कर दी।शादी के बाद घर बैठकर ही मेंघा ने बी़ एड किया और स्कूल टीचर बन गई।

स्कूल में दूसरे ही दिन ,बच्चों ने हँसना टोकना शुरू कर दिया,मैडम "स नहीं श "। मेंघा की पूरे पढ़ाई के दौरान एक ही तकलीफ थी, मेंघा का कोशिश -कोसिस, प्रकाश -प्रकास होता। मतलब "स और श" अलग नहीं थे।आठवी कक्षा मेंं एक हिंदी टीचर ने बार बार मेंघा को टोका "स नहींं श" बोलो, उच्चारण ठीक से किया करो। कल को टीचर बनी तो बच्चों को कैसे पढ़ाओगी,अभी समय है कोशिश करो " स और श" में अंतर करो।

मेंघा सोचती मुझे कौनसा टीचर बनना है और उस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया।और फिर कभी किसी ने टोका भी नहीं।और उसके बोलने में फर्क नहींं पड़ा।लेकिन वक्त का खेल देखो,आज मेंघा विज्ञान टीचर है।और यही आज उसकी परेशानी की वजह है।आज मेंघा स-श में अंतर कर ठीक से उच्चारण करने की कोशिश में लगी है।और यही सोचती है, ज्यादा टेंशन चिंता काम बिगाड़ती है तो शांति से काम लो।वक्त किसने देखा तो समय रहते जब जो सीखने को मिले सीखो, छोटी सी गलती भी सुधार लो।कब क्या काम आ जाये ,भगवान जाने।।


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