Priyanka Singh

Drama

5.0  

Priyanka Singh

Drama

सरकारी नौकरी और शादी

सरकारी नौकरी और शादी

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रोहित पढ़ने मे जितना अच्छा था उतना ही अच्छा स्वभाव भी पर दिखने में.... बस पूछो मत। उसके नैन नक्श सामान्य और गहरा काला रंग, क्लास मे सब बच्चे उसे " काला नाग " बोल खूब चिढ़ाते। वो कभी कभी बहुत चिढ़ जाता परेशान हो जाता पर किसी से शिकायत करने का कोई फायदा नही वो बहुत जल्द इस बात को समझ गया था। लड़कियाँ तो सिर्फ उससे नोट्स पढा़ई के मतलब से ही बात करती। पर वो सबकी मदद करने के लिये हमेशा तैयार रहता।

समय बीता और रोहित को बहुत अच्छी सरकारी नौकरी मिल गई। और जहाँ लड़कियाँ सिर्फ मतलब से बात करती थी, वही एक से एक सुंदर लड़कियों के रिश्ते आने लग गये। जी हाँ, भारत मे कुछ मध्यम वर्गीय माता पिता को लगता है सरकारी नौकरी मतलब लड़की खुश ही रहेगी। चाहे लड़का दिखने मे कैसा भी हो । कुछ मातापिता तो घरबार घरवालों की जानकारी भी हासिल नही करते, जैसे लड़की बोझ हो बस शादी हो जाये।

जब रोहित ने नेहा को देखा वो उसे पहले नजर मे पसंद आ गई। नेहा पढ़ने मे सामान्य,पर दिखने मे सुंदर गोरी चिटी थी। नेहा को रोहित पसंद नही आया, पर वही सरकारी नौकरी ।माता पिता के समझाने पर रिश्ते के लिये हाँ कर दी। रोहित ने पूछा भी तुम्हें मेरे रंगरूप से कोई दिक्कत तो नही। नेहा ने ऊपरी मन से माँ की बात बोल दी रंगरूप नही स्वभाव दिल अच्छा होना चाहिए। रोहित के माता पिता भी खुश थे शायद आने वाली पीढ़ी सुंदर हो।

शादी के बाद कुछ महीने हँसते खेलते अच्छे से गुजर गये।पर जब भी रोहित नेहा साथ बहार जाते, लोग नेहा की खूबसूरती की तारीफ़ करते ना थकते, "रोहित, कैसे इतनी सुंदर लड़की मिल गई"। रोहित को तो सुनने की आदत थी, पर नेहा ताने सुन अंदर तक जल जाती गुस्सा भी बहुत आता पर काबू कर लेती। धीरे धीरे उसने रोहित के साथ बाहर जाना कम कर दिया। रोहित को भी देर से ही सही बात समझ मे आ गई की नेहा ने बेमन से शादी की है।

रोहित, नेहा को खुश रखने की हर कोशिश करता और उसके माता पिता भी बेटी की तरह प्यार करते।पर दोनों मे दूरियाँ आने लगी। नेहा प्रेगनेन्ट थी, और सबको एक ही उम्मीद सुंदर बच्चे की। नेहा ने एक बेटी को जन्म दिया उसके नैन नक्श नेहा पर और रंग रोहित पर गया। सबके सपने जैसे टूट गये, पर रोहित खुश था अपनी बेटी के लिये।ये सोच की उसे खूब पढ़ा लिखा अच्छा इंसान बनायेगा। हाँ, लोग उसे भी चिढा़येगे पर वह भी सबका सामना करना जरूर सीख जायेगी।

पर नेहा तो अपनी बेटी को देख जरा खुश नही थी, कहा जाता है माँ की तो जान बसती है बच्चों मे चाहे सुंदर हो या बदसूरत पर अपवाद हर जगह मिलता है। नेहा रोहित को ही देख परेशान थी और अब बेटी भी वैसी ही।जब लोग बच्ची को देखने आते तो कुछ सुना ही जाते । नेहा, ये ताने बर्दाश्त नही कर पाइ और एक दिन रोहित और बेटी को छोड़ चली गई।

रोहित ने उसे ढूँढने की कोशिश नही की, वो जानता था नेहा कहाँ गई है! उसने नेहा के माता पिता को नेहा के घर छोड़कर जाने की बात बता दी।और इतना ही कहा अगर नेहा के लिये रंगरूप इतना ज्यादा मायना रखता था तो आपको मेरे साथ उसको शादी के लिये मजबूर नही करना चाहिए था। मेरा तो ठीक,मेरी बच्ची भी बिन माँ की रह

गई। 

रोहित अपनी बेटी को माँ पिता दोनों का प्यार देने की कोशिश करता है और रोहित के माता पिता भी उसे उतना ही प्यार करते हैं जितना वो रोहित को करते हैं।

तात्पर्य :➡️

🔹 रंगरूप आज भी मायने रखता है

🔹सरकारी नौकरी जिंदाबाद

🔹शादी का निर्णय खूब सोच समझ के लीजिए एक

साथ बहुत सी जिंदगी जुड़ी होती हैं।


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