पुरानी दुल्हन नया लिबास- गजनी
पुरानी दुल्हन नया लिबास- गजनी
"भैया संजय सिंहानिया तुम संजय सिंहानिया बनकर किधर चले?" डी पी यानी ढक्कन प्रसाद ने संजय सिंहानिया के साथ कदम ताल मिलाकर चलते हुए पूछा।
"डी पी बेटे ये दिल की बाते है तू नहीं समझेगा।" संजय सिंहानिया हँसते हुए बोला।
"भाई अगर तूने दिल लगा ही लिया है तो अपनी खुद की एक्टिंग करने के बजाय उस दिल लेने वाली को अपनी असलियत बता क्यों नहीं देता?" डी पी संजय सिंहानिया के साथ उसकी बी एम डब्लू कार में बैठते हुए बोला।
"डी पी बेटे लड़की मिडिल क्लास की है और मुझे भी मिडिल क्लास ही समझती है, बहुत समझदार है।" संजय सिंहानिया डी पी को समझाते हुए बोला।
"भाई इतनी ही समझदार है तो तुझे आज तक क्यों नहीं पहचान पाई, रोज तू टी वी और अखबारों में छाया रहता है, लड़की कुछ हटेली है क्या?" डी पी थोड़ी उत्सुकता के साथ बोला।
"अबे क्या बकवास कर रहा है, लड़की बिलकुल ठीक है.........." संजय सिंहानिया थोड़ा गुस्से से बोला।
"सही कह रहा है भाई, तू भी ठीक है, लड़की भी ठीक है लेकिन तुम लोग की प्रेम कहानी पूरी फ़िल्मी है।" डी पी बोला।
"चुप बे ड्रामेबाज तुझे साथ ले जा रहा हूँ तो इसका मतलब ये तो नहीं कि तू कुछ भी बकवास करता जाए।" संजय सिंहानिया थोड़ा गुस्से से बोला।
"भाई बॉलीवुड की फिल्मो में भी तो यही होता है, अमीर हीरो गरीब हीरोइन से प्यार कर बैठता है और खुद भी गरीब बन कर हीरोइन से नैनमटक्का करता है, इसी तरह अमीर हीरोइन फटीचर हीरो से प्रेम कर बैठती है और खुद भी फटीचर होने का स्वांग करने लगती है.........यही तू भी कर रहा है।" डी पी थोड़ा डरते हुए बोला।
"अबे मक्कार मेरी ही कार में बैठा है और मेरी ही धज्जिया उड़ा रहा है.......तुझे कल्पना के पास ले जाना खतरे से खाली नहीं है......चल उतर मेरी कार से और चलता बन।" संजय सिंहानिया आगबबूला होते हुए बोला।
इस बेइज्जती से डी पी का चेहरा लाल हो गया और वो कार से उतरते हुए गुस्से से लाल पीला होते हुए बोला, "बेटे सिंहानिया सच्ची बात कही तो तुझे मिर्ची लग गई......सुन बेटे बहुत ही फटीचर है तेरी ये लव स्टोरी, ये कह ले दुल्हन तो पुरानी यानी बुढ़िया है बस उसे नया लिबास पहना रहे हो तुम लोग।"
"भाग जा डी पी के बच्चे, तूने जो बेइज्जती की है उसे कभी नहीं भूलूँगा, अगर कभी मेरी याददाश्त टेम्परेरी तौर पर चली भी गई तो अपने पैर पर तेरा नाम लिख लूंगा ताकि तू मुझे जब भी मिले तुझे एक लात मार सकूं।" संजय सिंहानिया आगबबूला होते हुए बोला।
"अबे मर गए लात मारने वाले, जब दिल करे आ जाना तेरी टांग तोड़कर तेरे हाथ में दे दूँगा।" कहता हुआ डी पी सड़क के दूसरे छोर की तरफ बढ़ गया।