पुराना सोफ़ासेट
पुराना सोफ़ासेट
शर्मा जी के घर में एक पुराना रेगजीन का सोफ़ासेट था । उसकी गद्दियां जब कट फट जाती तो अंदर का स्पंज नोचने में बच्चों को बड़ा मज़ा आता था । पहले अनेक बार सुधर कर पुनः उसकी हालत जर्जर थी। शर्माजी को पता नहीं उससे क्या मोह था । लोग उन्हें नया सोफ़सेट खरीदने को कहते वो हाँ तो कह देते लेकिन कुछ करते नहीं । कोई मेहमान आता तो उस पर आवरण डाल दिया जाता था । अब के होने वाले दामाद जी,यानि बिटिया के भावी दूल्हा का आगमन हुआ। उनको ससम्मान सोफ़े पे बिठाया गया और लोग उनकी आवभगत में लग गये । भोजन अभी तैयार हो रहा था सो होने वाले दामाद जी को व्यस्त रखने के लिये नीबू शर्बत पेश किया गया।
शर्बत के बाद शर्मा जी के किस्से चालू हो गये । दामाद ने एक दो बार सोफ़े से उठकर दूसरी कुर्सी पर बैठने की कोशिश की मगर आग्रह पूर्वक पुनः उसे सोफा पर बैठने को मजबूर कर दिया गया । दामाद कुछ कसमसाता सा बैठा रहा। आधा घंटे में दो बार वह बाथरूम जा के आ गया। फिर एक दो बार दीवारों पर टँगीं फोटो देखने के लिए उठा और इतमीनान से फोटो देखे। कमाल की बात ये थी और संकोच का कारण भी कि शर्मा जी स्वयं दो तीन बार थोड़ी थोड़ी देर के लिए दामाद जी के बगल में सोफ़े पर बैठ चुके थे । उनके चेहरे पर न तो किसी तरह की असुविधा के भाव दिखे न ही उन्होंने कुछ कहा सुना । तो क्या उसकी असुविधा का कारण वो नहीं था जो उसे महसूस हो रहा था ?
इस बीच खाना तैयार हो गया । होने वाले दामाद जी को खाना परोसा गया । घंटों की मेहनत से बना भोजन होने वाले दामाद जी ने मिनटों में निबटा दिया । दामाद जी के हाथ धुलाये गये और पुनः सोफ़े पर बैठने का आग्रह किया । होने वाले दामाद जी ने क्षमा मांग ली । उसके पास अब बैठने का समय नहीं था। वह सब से शीघ्र विदा लेकर चला गया ।
थोड़ी देर बाद दूल्हा जी का बिटिया के मोबाइल पे संदेश आया, "सोफा सेट पर मत बैठना उसमें एक तरफ एक कील थोड़ी उभरी है और शायद खटमल भी हैं । "
यह संदेश जान कर घर के लोग थोड़ा शर्माये ,मुस्कराये। सबकी एकमत राय बनी दमादजी बड़े संकोची हैं और ये कि अगली बार दामादजी को नये सोफा सेट पर ही बिठाया जाएगा। नया सोफ़सेट जल्दी ही खरीदा जाएगा।