पुलवामा अटैक आखिर क्यों...?
पुलवामा अटैक आखिर क्यों...?
How the josh?
How the josh?
सब चुप क्यों है? इतना शांत क्यों है? हमको मालूम है आज आप "High Sir" नही boliyega पलट कर जवाब देने में भी दिल और दिमाग में एक अजीब सा आक्रोश दिख रहा है ना....? ये आक्रोश वर्षो पहले हमारे अंदर भड़कनी चाहिए, जो सेना और देश की अखंडता पर उठने वाली आँख और ऊँगली को नोच और तोड़ के रख दे।
हम हमेशा सिस्टम,समाज और न जाने किन किन में ग़लती ढूढ़ते रहते है, वास्तविकता ये है कि औरों के बजाए ये सवाल खुद से पूछ कर देखिये आपको झकझोर कर ना रख दे तो कहियेगा...आपकी अंतर आत्मा इन सवालों के जवाब देते-देते कही शून्य न पड़ जाए।
सवाल आज एक नही,सवाल हजारों है~
◆आखिर क्यों हम JNU में देश विरोधी नारे लगाने वालों के साथ खड़े हुए मिलते है?
◆आखिर क्यों हमारी देशभक्ति जगाने के लिए देश के वीर जवानों को शहादत देनी पड़ती है?
◆आखिर क्यों हम किसी बड़ी घटना के बाद ही श्रद्धांजलि देने के लिए सड़कों पर कैंडल लिए निकलते है?
◆आखिर क्यों हम अपनी सेना का मनोबल बढ़ाने के बजाए उनका हौसला तोड़ते रहते है?
◆आखिर कब तक क्षणिक राजनीतिक स्वार्थ और बंदिशों के कारण सेना के हाथ को जकड़े रहेंगे?
◆आखिर कब तक हम इसी देश में इसी देश के खिलाफ उठने वाली आवाजों को मूक बनकर सुनते रहेंगे?
◆ आखिर कब तक पत्थरबाज़ो को भटके हुए नवजवान की संज्ञा देकर उनका मन बढ़ाते रहेंगे?
◆आखिर कब तक हम अपनी धार्मिक आकांक्षाओ में लिपटे हुए अपने संविधान के मान सम्मान को ठेस पहुँचाते रहेंगे?
ये सवाल खत्म नही होने वाले, ऐसे लाखों सवाल आज जो आपके मन में बौखला रहा है, उनका जवाब लेने का समय आ गया है, अब वक़्त आ गया है कि उठिये, जागिये और उन देश विरोधी ताकतों के खिलाफ मिलकर आवाज़ उठाइए, चाहे वो नेता या अभिनेता कोई भी हो। आपका खून खौलना जरूरी है...देश के लिए अभिमान जगना जरूरी है...ईमान जगना जरूरी है...क्योंकि जब तक हम आगे आकर इन दरिंदों को सबक नही सिखाते, इनके उफनते फन को नही कुचलते....इनके पंखों पर बंदिशों के कैची नही चलाते....तब तक हमे ऐसे ही आँसू बहाने पर मजबूर होना पड़ेगा। लेकिन अब....
"आंसुओ की धार नही, प्यासी तलवार चलेगी, आक्रोशित है देश, बदले की बयार चलेगी, ध्वस्त हो जाएंगे, दुश्मन के हथकंडे, अब बातों की नही, बस लातों की मार चलेगी।"
पर अफ़सोस ऐसा कुछ होने वाला नही है~ सरकार कड़ी निंदा कर देगी...लोग शहादत को सलाम कर लेंगे...
टीवी वाले trp ले लेंगे...नुक्कड़, चौराहों पे दो दिन तक चर्चा होती रहेगी...माओ के दूध,पत्नियों की सिंदूर, बेटियों की किलकारियाँ,बहनों की राखियां सुनी की सुनी रह जाएंगी।