होली- रंग से प्रसंग तक

होली- रंग से प्रसंग तक

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रंग गुलाल का मौसम है,समा है आज रंगीला।

रंगी से सजी है धरती सारी,लाल,हरा और पिला।।

समझ में तो आ ही गया होगा...

हम क्या कहना चाह रहे रहे है,अभी भी कॉन्फूजन है तो ,हम बताते है

दरअसल होली का दिन आ गया है।

वही वाला मौसम जिसमे गर्मी ,सर्दी ,बर्षा और बसन्त सबका मजा इकट्ठे मिल जाता है।

वो कहते है ना ,अगर मौसम का ज्ञान नही हो तो हिंदी कैलेण्डर वाला...हाँ. हाँ,सही सुने हिंदी कैलेण्डर वाला ... फागुन महीना अच्छा से जी लीजिये, मौसम के समझ के साथ जिंदगी का रंग भी बदल जाएगा।

देखिये रंग से याद आया ..ये महीना रंग,उमंग और तरंग उतपन्न करे वाला है।

थोड़ा घर से बाहर निकल कर देखिये,तब होली क्या है, समझ में आएगा,आइए ना घुमाते है

लाल ले,पिला ले ,हरा ले देखिये अभिये से रंग और अबीर इकठ्ठा करना सुरु हो गया है,होली में "रंगिकल स्ट्राइक"

करने का यही सब कारगर हथियार है। वही होली के लिए लड़का सब भी पहले से ही प्लान बनाना शुरू कर देता है, बिना प्लान और कीचड़-माटी के होली का कोई मतलब ही नही है। क्या कीजिये गा इस मौसम का मिजाजे ऐसा ही है, जिसमे मस्ती मजाक, के साथ साथ भाईचारा का भी बड़ा सुन्दर अनुभव मिलता है यही होली कब लोगो के वर्षो का दुश्मनी भुला के भाईचारा और प्यार में बदल देता है मस्ती मजाक के बिच समझ ही में नही आता है। जब बड़-बुजुर्ग पे पैर पे गुलाल रख ले आशीर्वाद लेते है तो ऐसा लगता है कि जीवन के सारी खुशिया आज एक क्षण में ही मिल गया हो। और माई के हाथ के बनावल पकवान ...ओ हो हो..माई के हाथ के बनावल पकवान का क्या कहना , खा कर जीवन धन्य हो जाता है। होली परम्परा ,संस्कृति और भाईचारा पे परिपूर्ण ऐसा त्यौहार है जो मौज-मनोरंजन के साथ साथ साल के शुरूआती दिनों दिनों भरपूर ऊर्जा का संचार कर देता है।


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