पत्नी

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संजना और उसका पति रोहित बीएड की प्रवेश परीक्षा दिलवाने के लिए प्रात: जल्दी ही घर से निकल लिया| बच्चे स्कुल को जा चुके थे, मोटर साइकिल से दोनों 40 किलोमीटर की यात्रा करके परीक्षा केंद्र पहुंचे| समय से पौन घंटा पहले आने पर संजना और रोहित संतुष्ट थे.

रोहित : प्रवेश पत्र, पेन और आई डी प्रूफ ले लिया है ना?

संजना ने हाँ में सर हिलाया|

रोहित : चलो अब कुछ देर बाद ही परीक्षा शुरू हो जाएगी।

संजना थोडा सा परेशान थी परीक्षा को लेकर| संजना ने एक अन्य परीक्षार्थी से जानकारी हेतु पूछा “ब्लेक बाल पेन से ही भरना पड़ेगा ना ओ एम् आर शीट को तो?”

वो थोडा अनुभवी लग रही थी और मिलनसार भी| उसने बहुत ही आत्मीयता से कहा “हाँ, और अपने प्रवेश पत्र और आई दी प्रूफ की ज़िरोक्स करवा लो”

इतना सुनते ही रोहित ने तुरंत संजना से उसका प्रवेश पत्र और आई डी प्रूफ लिया और पास ही दूकान पर उनकी प्रतिलिपि बनवाने चला गया| कुछ मिनट बाद जब रोहित वापस आया तो देखा संजना रुवाँसी हो रही है|

रोहित ने प्यार से कहा “घबरा मत पेपर सही होगा”

संजना ने उदास होते हुए कहा “जब दे पाउंगी, तब ही बढ़िया होगा ना”

रोहित ने प्रश्नवाचक दृष्टी डालते हुए कहा “क्यों? दे क्यों नहीं पाओगी?”

संजना : तीन फोटो चाहियें, एक प्रवेश पत्र की फोटो कोपी पर लगेगा|

रोहित ने थोडा परेशान होते हुए कहा “तुम लाइ नहीं अपने फोटो?”

संजना ने ना में सर हिला दिया

रोहित एकदम से झल्ला गया “इतनी तो अक्ल होनी चाहिए तुम्हे दो चार फोटो तो कम से कम बैग में रखा ही करो| इतना सब कबाड़ भर के रखती हो दो चार फोटो नहीं रख सकती”

संजना ने भी झाल्ल्लाकर उत्तर दिया “मै क्या रोज पेपर देती हूँ? और तुम भी प्रवेश पत्र पर लिखी इन्सट्रक्सन पढ़ नहीं सकते थे|”

दोनों में एक सिमित परन्तु गर्म बहस हुई| तभी पास खड़ी एक बुजुर्ग महिला ने हस्तक्षेप करते हुए कहा “बेटा देख लो आस पास, कोई फोटो स्टूडियो खुला मिले तो बनवा लो फोटो| अभी आधा घंटा बाद शुरू होगी परीक्षा”

रोहित और संजना एकदम से ज़मींन पर आये और दोनों तुरंत कोलेज के बराबर वाले बाज़ार की तरफ भागे|

कोई भी फोटो स्टूडियो नहीं खुला था| दूकानदारों से पूछा तो सबने कहा कि अभी तो और एक घंटे बाद खुलेंगे| दोनों हिम्मत हार चुके थे| दोनों एकदूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे थे| लेकिन क्या कहें? गलती दोनों की ही थी|

रोहित ने समझाते हुए कहा “दो चार फोटो हर वक़्त अपने साथ रखने चाहिए”

संजना ने झल्लाते हुए कहा “ मैं क्या रोज पेपर देती फिरती हूँ जो अपने बैग में फोटो और आईडी प्रूफ साथ रखकर घूमूं”

रोहित ने थोडा मुड हल्का करने को कहा “चलो कोई नहीं फिल्म देखकर घर चले जायेंगे”

संजना रोने को तैयार थी, और दोनों ही उम्मीद छोड़ चुके थे|

लेकिन तभी रोहित को कुछ जोश आया और वो झटके से बोला “चलो मेरे साथ”

संजना ने उदास स्वर में कहा “कहाँ?”

रोहित : मोटरसाइकिल पर बैठो, देखते हैं कि पास वाले बाज़ार में कुछ होता है क्या?

दोनों मोटर साइकिल पर बैठे और तेजी से बाज़ार में घुमने लगे| मेहनत रंग लाइ एक दुकानदार ने मोबाइल से फोटो खींचकर चार काम चलाऊ फोटो उन्हें दे दिए|

परीक्षा शुरू होने से कुछ ही मिनट पहले संजना परीक्षा केंद्र पहुँच गयी| बैग और मोबाइल जैसी वस्तुएं परीक्षा केंद्र पर प्रतिबंधित थी तो संजना ने अपना बैग रोहित को दे दिया|

अब रोहित का तनाव एकदम से गायब हो चूका था| तो उसका दिल सिगरेट पीने का हुआ| वो चोरी से कभी कभी सिगरेट पी लेता था| सिगरेट ख़त्म करने के बाद जब दुकानदार को पैसे देने का नंबर आया तो रोहित के पास खुले पैसे नहीं थे| रोहित ने संजना के बैग को टटोला तो देखा की उसमें रोहित का एक फोट बहुत ही संभाल कर रखा हुआ है |

ये देखकर रोहित के चेहेरे पर एक मोहक मुस्कान बिखर गयी|

रोहित ने खुद से ही बुदबुदाते हुए कहा “तुम पत्नियों की ये ही तो बात है| इसलिए ही कोई दशरथ मांझी अपनी पत्नी की याद में अकेले ही पूरा पहाड़ काट डालता है”


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