पश्चाताप की ज्वाला
पश्चाताप की ज्वाला
जीया की तबियत संभलनी लगी तो सभी घर वापस आ गये |
जिस व्यक्ति को कोई पंसद नही करते था वह एकदम से हीरो बन गया जीया के बच्चे भी मौसा मौसा करते उसके आगे पीछे घुमते परिवार में वह रोल मॉडल बन चुका था वजह जीया की इलाज उसने अच्छे से कराया , पिताजी भी उस पर निर्भर रहने लगे नन्नू भी मौसा मौसा करता पिता के अभाव की पूर्ति कर रहा था | उसके इन सभी कोशिशों के पीछे कितना बडा फरेब था नियति देख रही थी..
बुढे हो चले नाना को उस पर इतबार करना ही होता लेकिन न जाने क्यों कुछ था जो उन्हे खटक रहा था | दीपक अब पूरी तरह परिवार का हिस्सा बन चुका था जीया के बच्चों को अपनी रिश्तेदारी में घुमाता जो नही करने चाहिए वही जान बूझ कर गलत काम करना सिखाते बच्चों कों नन्नू गन्दी गन्दी किताबें पढता रिन्कू मौसी की तरह बनती जा रही थी |
जीया यह सब देख घुट रही थी लेकिन कमजोर शरीर और पति की अनुस्पथिति ने उसे तोड कर रख दिया अभी उसे वापस आने में समय था पत्र व फोन से वह सबके हाल चाल पूछते रहते | वक्त अपनी रफ्तार से दौड रहा था दीपक नये शहर में खुद को अच्छे स्थापित कर चुका था अपना खुद का काम भी वही जमा लिया | जब बडा दामाद विदेश से वापस घर पंहुच गया बच्चे बहुत खुश हुए जीया भी काफी खुश थी आखिर इतने दिनों के बाद उसका पति वापस आया , लेकिन रीया व दीपक के माथे के बल साफ नजर आ रहे थे जिसे पिताजी की बूढी अनुभवी ने साफ पहचान लि़या | वह बहुत खुश थे उनका दामाद या बेटा आ चुका था |
पापा मेरे लिए क्या लाये रिन्कू दौड कर पापा के गले लग गयी अभी बताता हूं सबने घेर लिया सबके चेहरे पर हंसी थी ….रीया अपने बच्चे के साथ एक कोने में खडी थी ...दीपक कही घुमने निकल गया पिताजी का चेहरा देखने लायक था इतने दिन उन्होने अपने प्रिय के अभाव में कैसे बिताये वही जानते थे वह प्रसन्न थे “अरे कालू कहां मर गया नौकर को आवाज लगाने लगे जा पूरे मौहल्ले में लड्डू बाँट आ मेरा बेटा घर आया है इतने दिनों बाद ”! पापा ने नन्नू को अपने पास बुलाया, " तुमने पढाई की न ढंग से " , ' हां पापा'
उसने सर झुका लिया !
" रिन्कू यह लो तुम्हारी बडी वाली गुडिया !"
“ओह ! यह तो बहुत बडी है बिल्कुल मौसी के बेबी जैसी अब मै इसको रोज नहलाऊंगी “नानी मौसी हंसने लगे फिर माँ जीया से जा लिपटी “ मम्मा तुमने मेरे लिए गुडिया मंगवा दी पापा को लैटर में लिखा मेरी प्यारी मम्मा तुम बहुत अच्छी हो!”
फिर अपनी डॉल से खेलने लगी | अरे रीया तुम वहाँ क्यो खडी यहाँ आओ यह देखों मुन्ना के लिए फिर उन्होने बहुत से कपडे खिलौने के पैकेट रीया को पकडा दिये | “ माँ , पिताजी यह तुम्हारे लिए !”, “ इसकी क्या जरूरत थी दामाद जी ”
“जो मुझे समझ आया, मै ले आया समय का अभाव था कुछ समय बाद फिर जाना होगा वहाँ एक ओर नया प्रोजेक्ट शुरू होगा |”
जीया की तरफ देखा फिर उसका हाथ पकड कमरे में ले गये “तुम्हारी तबियत ठीक है मै तुम्हे अपने साथ ले जाऊंगा अबकी बार ” , “ मै ठीक हूं ” जीया मुस्कुरा दी उस मुस्कान में दर्द था |