पश्चाताप की ज्वाला

पश्चाताप की ज्वाला

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बडे दामाद के विदेश से वापस आने के बाद घर में उत्सव का माहौल था ...उनके बाहर जाते ही परिवार में बहुत बदलाव आ चुका था जिसे वह महसूस कर रहे थे |

रीया का बच्चा बोलना सीख रहा था बडे मौसा उसे बहुत प्यार करते समय मिलने पर उसके साथ खेलते व घुमाते वह उनका लाडला बन चुका था , वही नन्नू उनका खुद का बेटा पढाई में निरन्तर पिछड रहा था छोटे मौसा-मौसी ने नन्नू और रिन्कू को अपने प्रभाव में लिया हुआ था दोनो बच्चे पिता के पास कम व छोटे मौसा के साथ अधिक समय बिताते थे |

जीया छोटी बहन का पति होने के कारण कुछ कह न पाती उस पर मां को वही पंसद था मां के आस-पास रहने की कोशिश करता | सासुमां खुश रहती उससे जबकि ससुर को बडा दामाद ही प्रिय था उसके आने के बाद जब दोनो ने कामकाज की खबर ली तो उसकी कारगुजारियां सामने आयी | बाजार में अपना काम जमाने के लिए बहुत से लोगो से कर्ज लिया था जो लोग उनके विरूद्ध रहते थे | वह सब समझ रहे थे पर बेटी नाती और पत्नी ने बेबस बना दिया कि वह चाह के भी कुछ न कर पाते ...एक बार पत्नी को बताने की कोशिश की तो उसने बडे की तरफ जारी व छोटे को स्वीकार न करने का लांछन लगा दिया पति पर ! निपट गंवार स्त्री उसकी धूर्तता को भी नही देख पा रही थी बस अपनी छोटी बेटी-दामाद के प्यार में अंधी बनी रही |

जीया को कभी -कभी पश्चाताप होता कि उसने छोटी बहन व उसके परिवार को अपने घर में रख कही गलत तो नही कर दिया | रीया की आदत थी बात बात पर ताना देने की , “ दीदी बीमार हुई तो दीपक ने ही उनका इलाज करवाया जीजा जी तो विदेश में ऐश कर रहे थे जबकि दुख तकलीफ दीपक ने बरदाश्त की ! ” उसकी यही बातें दीदी को चोट पंहुचाती न जाने रीया इतना कैसे बदल गयी वह अक्सर यही सोचती कि यही वह उनकी छोटी बहन है जिसकों उसके जीजा व उसने इतना प्यार दिया दीपक से शादी के बाद वह बिल्कुल ही बदल चुकी थी |

नन्नू और रिन्कू मौसा मौसी के कहने में रहते तो तो दीदी-जीजा अपना सारा प्यार रीया के छोटे बच्चे के ऊपर लुटाते रहे वक्त बीतता रहा |

अचानक जीया की तबियत बहुत खराब हुई दोबारा तो दीपक व रीया ने उसी डॉ0 के पास जाने को कहा जहाँ जीया का पहले इलाज हुआ था , जीया के पति रवीश नेे मना कर दिया वह अब अपने आप ईलाज करवायेंगे | वह रीया के तानों को अपने कानों से सुन चुके थे...।


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