पश्चाताप की ज्वाला
पश्चाताप की ज्वाला
जीया की तबियत बहुत खराब थी उस दिन , सभी उसके ईर्द गिर्द थे रीया भी बडी बहन की देखरेख में जुटी थी | रिन्कू भी अपनी माँ के पास थी माँ की आँखे खुल ही नही थी | डॉ0ने वी.पी लो बताया साथ ही बुखार से जीया का पूरा शरीर अकडा हुआ था बच्चे परेशान थे ...रिन्कू रोने लगी, “ अब कभी बडी वाली गुडिया नही माँगुगी भैया पापा को कर लेटर लिख मम्मा की तबियत खराब उनसे कहना जल्द आ जाना चाहे गुडिया भी न लाना पर जल्द आना मै भी गुस्सा नही करूंगी |” मौसी समझाती है, “ रिन्कू को कि उसकी मम्मा ठीक हो जायेगी | “
जीया की तबियत बिगड रही थी तो दीपक सलाह देता है मेरे शहर अच्छे व बडे बडे डॉ0 है दीदी को वही दिखला देते है यहाँ के डॉक्टरों के इलाज से कुछ फायदा नही हो रहा |
पिताजी मना करते है लेकिन माँ अनुमति दे देती है , जीया , रीया ,दीपक रिन्कू नन्नू व छोटा बच्चा सभी जीया के इलाज के लिए रवाना हो जाते है | पिताजी ने इसके लिए दीपक को बहुत बडी रकम दी ताकि जीया के इलाज में किसी तरह की रूकावट न आये |
रीया काफी दिनों बाद अपने ससुराल के घर में पंहुची रीया को सब समेटना पडा | घर गन्दा था व बन्द था क्योकि वहाँ कोई न था सभी वहाँ से जा चुके थे रीया दीपक से पूछती है तुम्हारे भैया भाभी कहँ गये तो वह टाल देता है कहता वह नये मकान में शिफ्ट हो गये है |
अगले दिन दीपक जीया को एक प्राईवेट डॉ0 के पास ले जाता है |
वह जीया का मुआयना कर कहता है इन्हे कोई बीमारी नही है बस मानसिक तनाव है जिस वजह से इनकी यह हालत है इन्हे किसी भी तरह का तनाव न दे साथ ही वह कुछ दवायें भी लिखता है कहता यदि आराम न हो तो वह दुबारा आ सकते है |
रीया अपनी बहन की पूरी देखभाल करती है वह थोडे ही समय में बिलकुल ठीक हो जाती है रीया अब दीपक का अहसान मानने लगी कि उसकी वजह से दीदी की तबियत ठीक हो गयी |