पश्चाताप की ज्वाला [ भाग 3 ]

पश्चाताप की ज्वाला [ भाग 3 ]

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दीदी को जब पता चला कि उनकी बहन तकलीफ में है तो उनसे रहा न गया उन्होने पिताजी को कहा कि रीया को यहाँ घर ले आये पिताजी ने साफ मना किया ,

“जिसने मेरी इज्जत की परवाह नही की ! घर से भाग कर शादी की है ऐसी लडकी की वह शक्ल भी देखना पसन्द नही करते लाना तो बहुत दूर की बात है |”

दीदी ने भी जिद पकड ली खाना पीना छोड दिया अगर रीया को यहाँ नही लाओगे तो वह अन्न को हाथ भी न लगायेगी | छोटी बहन की तकलीफ ने उन्हे विचलित बना दिया, पता नही कैसी होगी ? कौन देखभाल करता होगा? मुन्ना को कौन संभालेगा ? बस उन्हे यही धुन सवार थी कैसे भी हो रीया को यही लाना है | पिताजी बेबस हो गये अब , मन मार के उन्होने रीया को घर लाने तैयारी शुरू कर दी |

दीदी काफी उत्साहित थी साथ ही बच्चे भी धमाचौकडी मचाये थे , एक नन्हा बच्चा उनकी मंडली में शामिल होने वाला था |अब पूरे भाई -बहनों की संख्या तीन हो गयी | नन्नू बहुत खुश था सोचती कैसा होगा मेरा भाई | वह भी अपने नाना जी के साथ मौसी को लेने चल पडा |

नन्नू ने जिद की कि वह अपने छोटे भाई के लिए खिलौने भी लेकर जायेगा सबने मना किया वह न माना अपने खिलौनों में से कुछ छोटे छोटे हाथी , घोडे और बॉल अपने बैग में रख लिए , वह पहली बार ट्रेन से जा रहा था पूरे घर में दौडता फिरता , "हम ट्रेन से जायेगे ! ' ट्रेन चली छुक छुक'.... गाना गाता , खुश होता !!

जब पिताजी व नन्नू रीया के घर पंहुचे तो वहाँ कोई न था रीया छोटे बच्चे के साथ अकेले थी उसका चेहरा मुरझा चुका था बच्चा भी बहुत कमजोर था | पिता ने जब यह देखा तो उनकी आँखे भर आयी रीया को वह इस हाल में देखेगे उन्होने कभी सोचा भी न था उन्हे गुस्सा भी बहुत था प्यार में अंधी ने ऐसा क्या देखा जो पिता की परवाह भी न की ! किन्तु जीया की खातिर उन्होने खुद को संभाल लिया जीया ने घर से चलते समय उनसे कसम ली थी वहाँ जाकर गुस्सा न करना नही तो उसका अनशन न टूटेगा | दोनो बेटियों में जमीन आसमान का अंतर था पिता इस बात को समझते थे |

रीया पिताजी व भांजे को देख खुश हो गयी जैसे जलते हुए रेगिस्तान में पानी का मश्क मिल गया हो | नन्नू ने छोटे बच्चे को देखा देखता रहा उसका सफेद चेहरा बडी बडी आँखे बिल्कुल मौसी की तरह लगता था , मौसी मौसी करता नन्नू

मौसी के गले लग गया | मौसी ने उसे अपने बेबी को दिखाया और कहाँ , "वह चाहे तो उसे गोद में ले सकता है" नन्नू ने उसे गोद में उठा लिया वह रूई के फाहे के समान हल्की था अपनी बडी आँखों से वो बच्चा भी नन्नू को देखने लगा कहता हुआ मानो ! 'कैसे हो बडे भैया ?'

मासूम नन्नू ने अपने खिलौने उसे दिखाये यह क्या वह जोर जोर से रोने लगा मौसी ने उसे अपने सीने से लगा लिया , “मेरा बच्चा !!”

नन्नू चुपचाप देखता रहा उसे अजीब लग रहा था मौसी को मानों उसकी कुछ फिक्र ही नही थी उसे भूख लग रही थी उसे अहसास हुआ वह यहाँ बेकार ही आया | नाना ने इस बात को भांप लिया और उसे ले बाजार आ गये वहां उन्होने नन्नू को खाना खिलाया व खुद भी खाया | वही से छोटे बच्चे के लिए कपडे लिए फल मिठाई भी ली शाम हो चली थी। वह वापस मौसी के घर पहुंचे दीपक भी तब तक घर आ चुका था उसने आगेे बढकर ससुर जी के पांव छुये |

उनके सख्त चेहरे को देख वह कुछ भी नही बोल सका अजीब - सी खामोशी थी |

नन्नू और पिताजी रीया को लेकर अगले दिन वापस घर पंहुचे | रीया के छोटे से घर में एक रात बमुश्किल से काटी उसका बच्चा रात भर रोता रहा कोई ढंग से नही सो पाया | दीदी ने जब रीया को इतने समय के बाद देखा तो वह खुश हो गयाी लपक कर उसके बच्चे को गोद में ले लिया |

" ‎अरे!! यह तो बिल्कुल तुम्हारी तरह लगता है रीया तुम भी बचपन में ऐसी ही थी , माँ को दिखाते हुए बोली है न माँ ! रीया जैसा " !

माँ को कुछ होश न था इतने दिन छोटी बेटी के वियोग ने उन्हे बावरा बना दिया था अब जब वह सामने थी तो उनके आँसू थमने के नाम न लेते थे |


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