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Priyanka Gupta

Inspirational

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Priyanka Gupta

Inspirational

परवरिश

परवरिश

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"अरे ,भाभीजी सिया तो बिलकुल अपने मैथिली बेटी जैसे ही है। सारा दिन कुछ न कुछ पढ़ती रहती है। " मैथिली के घर पर मिलने आयी हुई, उसकी रीमा चाची मैथिली की मम्मी कविताजी से बात कर रही थी।

"अरे रीमा ,कोई भी बेटी मैथिली जैसी तलाकशुदा नहीं होनी चाहिए। कितना बड़ा दाग लेकर घूम रही है मैथिली।पूरे खानदान की इज़्ज़त मिट्टी में मिला दी है। " ,कविताजी ने कनखियों से दूर खड़ी मैथिली को देखते हुए ,रीमा से कहा।


"अरे ,भाभी आप कैसी बातें करती हो। अपनी मैथिली ने तो अपनी उपलब्धियों से पूरे खानदान का नाम रोशन कर दिया है। ",रीमा ने खिसियाते हुए कहा।


अपनी माँ और चाची की बातें सुनकर मैथिली स्वयं को आज एक बहुत बड़े बोझ से आज़ाद महसूस कर रही थी। उसका तलाक होने के बाद से ,उसके मम्मी -पापा की परवरिश पर सब रिश्तेदारों ने सवाल उठाये थे। जब तब कोई भी आकर मम्मी -पापा को सुना देता था कि ,"हमारे बच्चे तो बहुत संस्कारी है। " या मम्मी-पापा और उस पर दया दिखाता था।


रीमा चाची तो उसके लिए एक रिश्ता भी लायी थी ,जब मैथिली ने लड़के से मिलने की इच्छा व्यक्त की तो इन्हीं चाची ने बोला था कि ,"तू लड़के को देखकर क्या करेगी। लड़के पर तेरी तरह तलाक का कलंक नहीं लगा हुआ है।उसकी तो पहली शादी है।लड़की पसंद न आने के कारण बेचारे की उम्र बढ़ती चली गयी और रिश्ते आने बंद हो गए। इसलिए तलाकशुदा से भी शादी के लिए तैयार हो गया है। और तेरे नखरे तो देखो। "

तब कविताजी ने ही बात सम्हाली थी कि ,"रीमा, बच्ची है ;पहली शादी के टूटने से डरी हुई है। तुझे तो पता ही है दूध का जला तो छाछ भी फूंक -फूंक कर पीता है।एक बार मैथिली को लड़का दिखा ही देते हैं। "

तब रीमा चाची ने कविताजी को कैसे कहा था कि ,"भाभी ,आपको तो पहले ही कहा था लड़की को इतनी छूट मत दो। बुरा मत मानना भाभी ;लेकिन आप से मैथिली की परवरिश में चूक तो हुई है। "

न चाहते हुए भी कविता जी की आँखें डबडबा आयी थी। लेकिन मैथिली कमजोर न पड़ जाए ;इसीलिए वे अपने आंसू पी गयी थी। मैथिली से अपने मम्मी -पापा का दुःख छिपा हुआ नहीं था;लेकिन वह कुछ कहती नहीं थी । तब ही मैथिली के पापा राकेश जी ने आकर बात घुमा दी थी कि ,"अरे रीमा ,तुम प्याज के पकौड़े बहुत अच्छे बनाती हो। जरा आज अपनी भाभी को तो सिखा जाओ। "

रीमा चाची ही क्या हर इंसान प्रशंसा का भूखा होता है तो रीमा चाची भी मैथिली का विषय छोड़कर पकौड़ों पर शिफ्ट हो गयी थी।

 कविताजी और राकेशजी ने रीमा चाची के लाये रिश्ते को आँख मूंदकर स्वीकार नहीं किया। जब मैथिली को उस लड़के से मिलवाया गया तो पता चला कि लड़का अवसाद का शिकार था। बाद में जब और पूछताछ की गयी तो पता चला कि लड़के का कई सालों से इलाज़ चल रहा है| लेकिन अभी तक बेहतर परिणाम नहीं मिले थे। कविताजी और राकेशजी ने रीमा चाची के लाये रिश्ते को इंकार कर दिया था।

रीमा चाची ने तब कहा था, "भाभी बड़ी बहन के इन लक्षणों को देखते हुए हमारे घर की छोटी बेटियों को कौन ब्याहेगा ।"

कविताजी तब कुछ नहीं बोल पायी थी, खून के घूँट पीकर रह गयी थी। उसके बाद रीमा चाची ने सिया के मैथिली के घर पर आने जाने पर भी यह कहकर रोक लगा दी थी कि "सिया भी मैथिली के जैसे बिगड़ जायेगी।"

लेकिन आज कविताजी को अपनी बेटी पर गर्व करने का अवसर मिल ही गया और साथ ही रीमा चाची को ईट का जवाब पत्थर से देने का मौका भी।

उनकी परवरिश पर प्रश्न करने वाले लोगों के मुँह पर मैथिली की उपलब्धि ने ताले लगा दिए थे . इस दिन को देखने के लिए मैथिली ने भी तो सब कुछ सुना और सहा था।

मैथिली हमेशा से ही सिविल सर्विस में जाना चाहती थी। रिश्तेदारों के दबाव के कारण कविताजी और राकेशजी ने उसकी शादी करवा दी थी। रिश्तेदारों को उसकी बढ़ती उम्र की बड़ी चिंता होने लगी थी। कविताजी और राकेश जी समाज और नाते-रिश्तेदारों का दबाव सह नहीं पा रहे थे। बाद में मैथिली के तलाक ने स्थिति और भी विकट कर दी थी।

तलाकशुदा का टैग आज भी किसी को संस्कारहीन और चरित्रहीन साबित करने के लिए पर्याप्त है। मैथिली ने अपने आप को समेटते हुए, वापस अपनी तैयारी नए सिरे से शुरू की। मैथिली ने राकेशजी और कविताजी को कहा कि, "मम्मी-पापा आप मुझे केवल २ साल का समय दे दीजिये। वैसे भी मैं तलाकशुदा तो हूँ ही ;अगर २ साल बाद भी शादी करेंगे; तब भी मेरी दूसरी शादी ही होगी .और तलाकशुदा होने का दाग तो हमेशा ही रहेगा . लेकिन हो सकता हैं मैं उस मुकाम पर पहुंच जाऊँ, जहाँ लोगों को मेरे वैवाहिक जीवन से ज्यादा मेरी उपलब्धियों को जानने में रूचि हो । "

रीमा चाची द्वारा बताये गए रिश्ते के बाद, मैथिली सहित राकेशजी और कविताजी का मन बहुत ही खट्टा हो गया था।उन्होंने मैथिली की बात को स्वीकार कर लिया था।

कभी-कभी लोगों की बातें उन्हें बहुत ठेस पहुंचाती थी ;तब तीनों एक दूसरे को सम्हालते थे।

आखिर वह दिन आ ही गया, जिसका मैथिली के साथ-साथ कविता जी और राकेशजी को इंतज़ार था। मैथिली डिप्टी कलेक्टर के पद के लिए चुन ली गयी थी। कल तक उसको तलाकशुदा कहकर अपमानित करने वाले लोग, फ़ोन कर-कर के बधाई दे रहे थे।

रीमा चाची ने तब फ़ोन पर कहा था कि, "भाभी मैं तो पहले ही न कहती थी कि हमारी मैथिली जैसी कोई नहीं है। मैं तो सिया को हमेशा ही कहती रहती हूँ मैथिली दी से कुछ सीख। कल आपके घर मिठाई खिलाने और खाने आऊँगी। "

कविताजी और राकेश जी की आँखों में ख़ुशी के आंसू थे। अपने मम्मी-पापा को गौरवान्वित करके मैथिली आज अपने आपको हल्का महसूस कर रही थी। आज से उसके मम्मी-पापा को लोगों के तानों से आज़ादी मिल गयी थी| 



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