प्रवेश निषेध
प्रवेश निषेध
गोविन्द को बेहद शौक है सेल्फी का। फिर जब सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है तो खूब लाइक और कमेंट आते हैँ और वह बहुत खुश हो जाता है।
उसका बड़ा मन था ट्रेन के साथ सेल्फी लेने का।
रेलवे का फाटक ट्रेन आने से दस मिनट पहले बंद हो जाता था। आज गोविंद और उसके दोस्त अजय दोनों ने सोचा था कि भले ही वहां प्रवेश वर्जित का बोर्ड लगा हो वह अंदर जाएंगे और चलती ट्रेन के साथ फोटो खिंचवा आएंगे।
दोनों प्रवेश वर्जित का बोर्ड नजरअंदाज करके स्टेशन के अंदर घुस गए ट्रेन में ट्रेन के आने में अभी आठ मिनट दिया था। दोनों सेल्फी लेने लगी और उन्हें इस बात का होश नहीं रहा कि जिस पटरी पर वह खड़े थे। वह ऐसा फोटो लेना चाहते थे कि...
पीछे से ट्रेन आती हुई दिखाई दे।
तभी ट्रेन आई और उन्हे धुन चढ़ा कि दोनों को चलती चली गई। और एक तरह से बिना सोचे समझे ऐसे काम ने दोनों की जान ले ली।
काश....दोनों ने प्रवेश निषेध का बोर्ड देखा होता गौर से और उस बात को सीरियस ले लिया होता।
यह घटना सत्य घटना को लेकर है...
लेकिन ऐसा बहुत बार होता है कि फोटो खींचने खिंचवाने के चक्कर में लोग बहुत जोखिम उठाते हैं। और अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं।
इसीलिए बहुत ध्यान रखना है फोटो खींचते वक्त अपने अगल-बगल सामने पीछे कौन है क्या कर रहा है।
कहीं कोई गाड़ी तो नहीं आ रही ?
नहीं तो हो सकता है अपने जीवन की लीला समाप्त हो जाए।