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Madhu Vashishta

Action Fantasy Inspirational

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Madhu Vashishta

Action Fantasy Inspirational

प्रत्येक चमकने वाली चीज सोना नहीं होती

प्रत्येक चमकने वाली चीज सोना नहीं होती

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       जब से कोने वाले घर में एक सुंदरी का आगमन हुआ है तब से लगभग हर घर के पुरुषों के या" स्त्रियों के भी "रहन-सहन के तरीके ही बदल गए। देर से सोकर उठने वाले अड़ोस पड़ोस के पुरुष सवेरे सामने पार्क में मुस्कुराते हुए मॉर्निंग वॉक करते हुए देखे जा सकते हैं। ऐसा हो भी क्यों ना? सुबह सवेरे सामने वाली सुंदरी ठीक 5:00 बजे अत्यंत आकर्षक कपड़ों में मुस्कुराते हुए मॉर्निंग वॉक और योगा जो करती है। 

     शायद इसी कारण औरतें भी अपनी सेहत और कपड़ों के प्रति काफी सजग हो उठी थी। अब सुबह-सुबह औरतों का भी एक ग्रुप पार्क में मुस्कान बिखेरता हुआ मॉर्निंग वॉक करता था। मॉर्निंग वॉक के बाद जब वह सुंदरी सुबह या शाम प्यारा सा गाउन पहने  गार्डनिंग करती थी तो भले ही ऑफिस को देर हो रही हो लेकिन आस-पड़ोस के युवा वर्ग भी , या यूं कहें कि कोई भी वर्ग ,अचानक सभी पर्यावरण के प्रति बेहद सजग हो उठे थे, और पाइप लेकर अपने अपने पौधों को पानी देना शुरु कर देते थे।

     वैसे उसका नाम तो नहीं पता लेकिन उस सुंदरी का आकर्षण चुंबकीय था। उसका आकर्षण अनायास ही किसी को भी अपनी तरफ खींचने में समर्थ था। उसके घर में एक ड्राइवर और एक मेड परमानेंट ही रहती थी। अक्सर उस घर में पार्टियां भी होती ही रहती थी। उन पार्टियों में सुंदरी के लेटेस्ट कपड़े हमेशा ही औरतों के कौतूहल का विषय रहते थे। उसके कपड़ों को देखकर औरतों को भी लेटेस्ट फैशन का पता चलता ही रहता था था। 

     कभी-कभी वह ड्राइवर के साथ कहीं जाती हुई दिखती थी। लोगों का कहना था कि सुंदरी किसी एमएनसी में काफी बड़े पद पर है और ज्यादातर वर्क फ्रॉम होम ही करती है। उसकी मेड भी बहुत मेहनती थी। तभी घर को और पार्टी में आए इतने सारे लोगों का इंतजाम वह आसानी से कर पाती थी। उसके घर से देर रात तक चलती संगीत की आवाज अक्सर परेशान नहीं करती थी बल्कि कुछ उत्सुकता ही जागृत करती थी।

      उसका ड्राइवर भी बेहद सलीकेदार और किसी से मतलब रखने वाला नहीं था। हां सुंदरी को अक्सर अपने ड्राइवर को डांटते हुए देखा जा सकता था।

       अभी उसे आए हुए ज्यादा दिन भी नहीं हुए थे लेकिन फिर भी होली मिलन पर होने वाली पार्टी में सबको सुंदरी का इंतजार था। सोसाइटी के आगे पीछे घर में रहने का वाले लोगों के साथ मिलने पर कुछ लोग उस सुंदरी का जिक्र भी कर रहे थे और उसके पार्टी में आने का इंतजार भी कर रहे थे। होली मिलन की इस पार्टी में प्रत्येक परिवार के हिसाब से पैसे लिए गए थे और सुंदरी ने भी अपने परिवार की तरफ से 4 लोगों के पैसे जमा किए थे। 

      ऊपर स्टेज पर बच्चे नाच कूद रहे थे और आर.डब्ल्यू.एस की तरफ से खाने का भी अच्छा आयोजन था।

    हमेशा के जैसे होली मिलन पर भी सुंदरी लाल रंग की गजब ड्रेस पहने एक अलग ही छटा बिखरती हुई अपने ड्राइवर और मेड के साथ आ रही थी। साथ में एक बूढ़ी औरत भी थी, यूं ही उसको देख कर औरतों में सुगबुगाहट तो शुरू हो गई थी कि सही तो है ,जब इसने परिवार के पैसे दिए हैं तो मेड और ड्राइवर इसका परिवार ही तो होगा। 

       अपनी प्यारी और सधी हुई चाल से चलती हुई वह टेंट की तरफ आई और आकर उसने उस ड्राइवर को सबसे मिलवाते हुए कहा , मीट माय हस्बैंड, मिस्टर दास। सोसाइटी में पीछे की लाइन में रहने वाले रजत ने हाथ बढ़ाकर मिस्टर दास को हेलो करके उनका हालचाल पूछा, शायद रजत उन्हें जानता था। इतने में सुंदरी भी छटा बिखेरते हुई, सबसे मिलती हुई आगे को खाने की टेबल की तरफ गई ।

       मिस्टर दास भी वहां से उस मेड और बुजुर्गवार औरत को साथ लेकर खाने के स्टॉल की ओर बढ़े।

     तभी रजत ने सबको बताया कि मिस्टर विपिन दास उसके खास दोस्तों में से थे। प्रिया से इसने लव मैरिज करी थी, यह बुजुर्गवार और वह लड़की विपिन की मां और बहन है। उनसे ही पता चला सुंदरी का नाम प्रिया था। यूं भी उसके बारे में जानने को सभी उत्सुक थे। रजत ने बताया कि प्रिया पहले भी खुले विचारों की ही थी , पार्टियों में खाना और पीना उसका शौक था। तब तो विपिन दास को प्रिया बहुत मॉडर्न और सभ्य लगती थी। उसके बारे में जानने वाले बहुत से लोगों ने विपिन दास को उससे विवाह करने को मना भी करा था लेकिन तब तो उसकी आंखों में प्रिया की सुंदरता की ही चकाचौंध भरी हुई। उसे उसकी हर बात अच्छी लगती थी।

      पत्नी बनने के बाद भी जब प्रिया का घूमने-फिरने और पार्टी का क्रेज़ खत्म नहीं हुआ और विपिन के घरवालों के प्रति प्रिया का व्यवहार जब उसकी बर्दाश्त के बाहर हुआ तो उसने इसे रोकने की बहुत कोशिश करी ।

    लेकिन उसके कुछ सोचने और करने से पहले प्रिया ने पहले ही थाने में विपिन और उसके घर वालों के खिलाफ हरासमेंट का केस दायर कर दिया।

    डिप्रेशन के कारण विपिन की लगी लगाई नौकरी भी छूट गई। बढ़ते खर्च और लोन के कारण विपिन को अपना मकान भी बेचना पड़ा। तलाक की एवज में प्रिया इतना कुछ मांगती है जो कि विपिन के द्वारा देना संभव ही नहीं है। रजत ने बताया वहां से निकल कर जब इन्होंने किराए पर घर लिया था तो हमारी गली में ही लिया था ,लेकिन रात को होने वाले पार्टियों के शोर-शराबे के कारण और लोगों के विरोध करने पर उसे वह घर छोड़ना पड़ा। अब क्या इसने तुम्हारी लाइन में घर लिया है? रजत ने उसकी बात सुन रहे लोगों से पूछा।

     तभी प्रिया की आवाज माइक पर गूंजी? खाना बंद करो और जल्दी घर जाओ । शाम के खाने का इंतजाम करो ,मेरे दोस्तों ने आना है। सबकी नजर पीछे को मुड़ी, क्योंकि हर जगह माइक लगे हुए थे और शायद वह कॉर्नर वाला माइक जो कि चल नहीं रहा था अचानक से चल गया। जैसे ही प्रिया ने अपनी मेड को , जी नहीं, विपिन दास की बहन और मां को डांटना शुरू करा तभी लाइट आ गई थी और माइक के स्टार्ट होते ही प्रिया की आवाज सारे पंडाल में गूंज गई।

     इस असलियत को जानने के बाद सच में ही प्रिया शायद ही किसी को सुंदर लग रही हो और-----------। लोग सच ही कहते हैं हर चमकती चीज सोना नहीं होती।



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