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Sanjeev #साहिब

Tragedy Thriller

4  

Sanjeev #साहिब

Tragedy Thriller

प्रमोशन

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सुरभि की शादी को अभी एक साल ही हुआ था। वो चाहे अच्छी यूनिवर्सिटी से पढ़ी और मुम्बई जैसे बढे शहर में पली बढ़ी थी लेकिन फिर भी वो अपनी मर्यादा से कभी बाहर नहीं हुई क्योंकि उसे उसके माता पिता ने अच्छे संस्कार दिए थे।वो चाहे कई लड़कों के साथ घूमती थी और कई उसके दोस्त भी थे लेकिन कभी भी कोई उसके दिल तक नहीं पंहुच सका और उसने अपने तन और मन को अपने भावी पति के लिए संभाल रखा था , इसलिए जब ऋतिक का उसे रिश्ता आया जो बेंगलुरु जैसे तेज रफ़्तार से भागते शहर में एक इंटरनेशनल कम्पनी में नौकरी करता था , और वो भी आज कल की जेनरेशन की तरह एक रातों रात अपने सपने पुरे करना चाहता था। 

सुरभि ने जब ऋतिक को देखा तो पहली नज़र में ही ऋतिक उसे पसंद आ गया क्योंकि वो उसके माँ बाप की पसंद था और सुरभि सोचती थी माँ बाप की पसंद से अच्छा क्या होगा।

   जब सुरभि ने अपनी हामी ऋतिक के लिए दे दी, तो सुरभि के माँ बाप बहुत खुश हुए की उनकी बेटी कितनी संस्कारी और उनकी ख़ुशी का ख्याल रखने वाली है। ऋतिक भी चाँद सी सुरभि को पाकर बहुत खुश था और वो जानता था कि सुरभि आज के ख्यालों वाली मॉडर्न लड़की है और इससे उसे भी आगे बढ़ने के लिए काफी सहारा मिलेगा।

खेर दोनों की शादी बड़ी धूमधाम से हो गयी और शादी के बाद दोनों अपने हनीमून के लिए बाली गए, और खूब मस्ती की, दिल खोलकर शादीशुदा जिंदगी का उन्होंने भोग किया।

सुरभि कई बार ऋतिक के नए नए तरीकों से परेशान हो जाती लेकिन फिर भी कभी मुँह से कुछ नहीं बोलती थी , ऋतिक भी सुरभि की इस हिचकिचाहट को भांप गया था तो वो नयी बीवी के नख़रे समझ कर नज़रअंदाज कर देता , लेकिन सुरभि अपना मन मार कर ऋतिक की हर इच्छा पूरी करने की कोशिश करती लेकिन जब बेमन से कोई काम किया जाये तो पता चल जाता है , ऋतिक भी उस बेमन को भांप लेता , मगर चुप रहता।

ऋतिक की नयी नयी चीजें ट्राई करने की आदत के कारण सुरभि में एक खीज सी आने लगी थी, और इस कारण ऋतिक उसे देसी लड़की कह कर बुलाने लगा था , या सुरभि को ताना मार देता ,"यार, तुम मेरे टाइप की नहीं हो , मॉडर्न नहीं हो , यू आर आ लाइक सिंपल विलजेर गर्ल "।

सुरभि को ये बात बहुत चुभती। वो बोलती ,"मैं गांव की नहीं पर संस्कारी लड़की जरूर हूँ।

 " ह्म्मम्म्म्म , संस्कार माय फुट", ऋतिक चिढ़ कर बोलता।

 सुरभि काफी परेशान रहने लगी थी , बाहर के लोगों के लिए वो एक परफेक्ट क्पल थे लेकिन कमरे के भीतर एक दम से अलग। एक के लिए पति पत्नी का मिलन एक खेल था जिसमें वो रोज रोज नए दांव खेलना चाहता था , नए नए तरीके ढूंढ़ता उस खेल को और रोचक बनाने को. ,और दूसरे के लिए ये मिलन, एक समर्पण, एक आदर और एक होने की कला, एक संस्कार था अपने प्रियतम को अपना बनाने के लिए। किन्तु दोनों इस चीज़ को अलग अलग रूप से देखते और दोनों के अंदर के दूसरे को न समझने की या न समझा पाने की खीझ या बेकरारी थी जो दोनों के अंदर एक दुरी का कारण बनाती जा रही थी।

   सुरभि अब ऋतिक की ख़ुशी के लिए कुछ भी करना चाहती थी लेकिन उसके संस्कार, उसकी भारतीयता, उसके एक भारतीय नारी होने के गुण आड़े आ रहे थे , वो समझ नहीं पा रही थी के कैसे लड़कियां अपनी असली भवनाओ को छिपा कर बस दिखावे के लिए सिसकना,जोर जोर से पति का नाम लेना , मुँह से भोंडी सी अवाज निकलना , भद्दा मज़ाक करना !!!! ये सब कर के औरत क्या पा लेती है या फिर क्या आदमी को मिल जाता है। मिलन एक खूबसूरत भाव है इसे संयम और सत्कार से करना चाहिए मगर ऋतिक को वो शायद दिखावा ही पसंद है।

   इसी तरह से दिन बीत रहे थे , सुरभि खुद को बदलने की कोशिश कर रही थी और अब ऋतिक की शिकायत भी कम होती जा रही थी, लेकिन सुरभि अब मन से ऋतिक से नहीं जुड़ पाती थी लेकिन ऋतिक खुश था उसे लगा अब सुरभि उसके मतलब की हो गयी है।

एक दिन सुरभि को ऋतिक ने फ़ोन किया और शाम को तैयार रहने के लिए बोला क्योंकि शाम को ऑफिस की पार्टी थी और ऋतिक के बॉस भी विदेश से आये थे | ऋतिक के लिए ये मौका बहुत बड़ा था|वो अपने बॉस को खुश करके अपना प्रमोशन पक्का करना चाहता था , सो उसने सुरभि को डीप नैक वाली ड्रेस पहनने के लिए बोला , जिसमें उसकी जवानी फुट कर बाहर आती हुई दिखती थी। शाम को सुरभि तैयार थी तो ऋतिक उसके लिए स्टॉकिंग्स लाया और उसने उसे पहनने की ज़िद की , सुरभि ने ऋतिक का दिल रखने के लिए उन्हें पहन लिया और उसके साथ पार्टी में आ गयी। पार्टी पूरी वेस्टर्न स्टाइल में थी शराब और शबाब का दौर चल रहा था ,ऋतिक वहां पहुँच कर सुरभि को छोड़ कर अपने बॉस की चापलूसी में लग गया , वो भूल गया कि उसके साथ भी कोई आया है।

बास ने सुरभि को देखा तो देखते ही बोला ," हु इज देट यंग लेडी ???" और ये कह्ते हुए उसकी तरफ बढ़ गया। ऋतिक ने जब देखा की उसका बॉस उसकी बीवी की तरफ बढ़ा जा रहा है तो तुरंत उसके पास पहुँच कर बोला ,' शी इज़ सुरभि , माय वाइफ ..सर ..।

 "हाय ब्यूटीफुल , और बास ने उसके गाल पर चूम लिया और पूछा ," डांस ???"  

  "वाय नॉट, शी ऑलवेज रेडी फॉर डांस ",उसकी जगह ऋतिक ने जवाब दिया और आदेश देता हुआ बोला ," सुरभि , जाओ सर के साथ डांस करो "

  सुरभि उसके बास की पिछली हरकत से ही सकते में थी और ऊपर से डांस !!!! उसने आँखों से ऋतिक मना किया मगर ऋतिक की ऑंखें देख कर वो बेचारी सी बन चली गयी।पार्टी का आलम और गहरा होता जा रहा था और ऋतिक दूसरी तरफ बास के साथ आयी उसकी सेक्रेटरी से कुछ साठ गांठ कर रहा था।

   बॉस के मुँह स

े आती शराब की बू से सुरभि का दिमाग फटा जा रहा था और उपर से उसका हाथ सुरभि की पूरी पीठ सहला रहा था , जिसके कारण सुरभि की पीठ पर सांप जैसे लौटते महसूस हो रहे थे |ऋतिक भी दिखाई नहीं दे रहा था ,कि अचानक बास उसकी ऊपर झुका और उसके होंठो को अपने होंटो में जकड़ लिया , सुरभि को एक दम भयंकर झटका लगा, उसने तुरंत उसे धक्का दे दिया और बाहर निकल जाकर गाड़ी में बैठ कर रोने लगी। धक्का लगने से बॉस गिर गया और पार्टी में एक दम खलबली हो गयी ऋतिक तुरंत सेक्रेटरी को छोड़ बॉस के पास आया और उसे उठाया , she pushed me... She pushed me... बास चिल्लाता जा रहा था, ऋतिक उसे उठा कर तुरंत बाहर की और गया।

   सुरभि उसे देखकर बाहर आयी और उससे चिपट रोने लगी , उसने रोते रोते ऋतिक को सारी बात बताई।

"सो ,व्हाट ???, फिर क्या हुआ , अगर उसने तुम्हें चूम लिया , क्या बड़ी बात हो गयी , इतनी बात पर तुम उसे धक्का देकर आ गयी ", ऋतिक ने लगभग चीखते हुए कहा।

सुरभि उसकी तरफ एकटक देखने लगी , और बोली ," ऋतिक , कोई बात नहीं ???? बोलो कोई तुम्हरी बीवी को भरी पार्टी में चूम ,ये तुम्हारे लिए कोई बड़ी बात नहीं ?????

"तो क्या हुआ?? मैं नहीं चूमता तुम्हे ", ऋतिक ने बिफरते हुए कहा। 

सुरभि सन्न रह गयी उसकी बात सुन कर, उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे, क्या बोले? , उसने हिम्मत करते हुए बोला ," ऋतिक, तुम मेरे पति, मेरे मालिक हो "

"वो मेरा मालिक है " तपाक से ऋतिक बोला और उसे बोला , जाओ ,सुरभि अभी जाकर उससे माफ़ी मांगो।"

 सुरभि के मन में बादल घिर आये और आँखे पानी बरसाने लगी , ये क्या हो गया , मैं एक वेहम में जी रही थी की मेरी इज्जत मेरे स्वाभिमान का कोई रक्ष्क है , मगर ये तो मेरा ही मोल लगा रहा है। 

"सुरभि जाओ , वरना वो मेरी प्रमोशन रोक देगा और शायद मुझे नौकरी से भी निकाल दे ". ऋतिक गिड़गिड़ाते हुए बोला।

  सुरभि रोये जा रही थी और ऋतिक घबरा रहा था, अपने भविष्य को लेकर , उसे लग रहा था ये देसी लड़की मेरी जिंदगी बर्बाद कर देगी तभी उसका फ़ोन बजा , उधर से सेक्रेटरी की आवाज़ थी , और वो कह रही थी "मिस्टर ऋतिक, सर, वांट्स मीट यु ,नाउ ", 

यस मेम, कह कर ऋतिक सुरभि को वहीँ छोड़ अंदर की और भागा , इधर सुरभि जैसे उसके कई सपने टूट कर बिखर गए हों ऐसे रो रही थी , उसे रह रह कर वो बात सता रही थी की ऋतिक के लिए में क्या हूँ ???, एक साधन तरक्की का ,एक खिलौना खेलने के लिए ??? उसे लग रहा था आज तक का जितना भी त्याग बलिदान उसने ऋतिक के लिए किया वो सब व्यर्थ ही क्योंकि ऋतिक उसे इंसान समझता ही नहीं और जो इंसान सिर्फ उसे भोग की वस्तु समझे उसके साथ क्या जीना ??? मगर वो जाएगी कहाँ ???माँ बाप के घर , पूँछेगे तो क्या कहेगी ???? क्या बोलेगी की," माँ मैं अपनी पहचान खोकर आयीं हूँ या पहचान ढूढ़ने आयीं हूँ , पापा ने बोला था विदा करते समय ," बेटी तुम यहाँ से डोली में विदा होकर जा रही हो मगर ससुराल से अर्थी पे आना वरना मत आना, ये घर अब तुम्हरा नहीं रहा। जब वो घर मेरा नहीं तो में किधर जाउंगी ????

  तभी ऋतिक बाहर आया और सुरभि से बोला , "चलो घर चलें", सुरभि की उम्मीद बंध गयी शायद ऋतिक उसे समझ गया है और सुरभि एक दम उसके सीने से लग कर रोने लगी और बोली, "मुझे माफ़ कर दो ऋतिक"|

ऋतिक ने उसे सीने से हटाया और कार में बिठा कर चल पड़ा घर की ओर | पूरे रास्ते में ऋतिक कुछ ना बोला, सुरभि  समझ गयी थी कि ऋतिक उससे नाराज है मगर उसे यकीन था कि वो उसे मना लेगी |

घर पहुँचते ही सुरभि ने उसे बाँहों में भरकर उसके होंटों पर भरपूर चुम्बन दिया मगर ऋतिक ने कोई भाव ना दिखाया और उसे दूर करते हुए बोला, " तब तो बड़ी कोफ्त ( बैचेनी) हो गयी थी तुम्हें, अब क्या हो गया???

सुरभि के दिल पर जेसे किसी ने बिजली गिरा दी हो, ऋतिक फिर बोला," बास ने मेरा प्रमोशन लेटर बना रखा था मगर तुम्हारे कारण मेरे जीवन का सबसे बड़ा मौका मुझसे छीन गया, अब ये सब दिखावे का क्या फायदा और दूसरी तरफ मूँह मोड़ कर सो गया|

  सुरभि सोचती रही, मैं दिखावा कर रही थी?? उसे लगा कि जिस इंसान को उसने अपने जीवन के हसीन पल दिए... अपना सब कुछ अर्पण किया, वो तो बिल्कुल एक अलग ही इंसान था ... और जो आज मेरे साथ लेटा पड़ा है वो एक अनजान है बिल्कुल अनजान| सुरभि को खुद से घिन सी आने लगी और वो ना जाने क्या मन में सोच कर उठी और घर से बाहर निकल गई|वो अपने पति को पाने के लिए कुछ भी कर सकती है और जिस इंसान को सोता छोडकर वो आयी वो उसका पति नहीं है| वो उस होटल पहुंची जहाँ ऋतिक का बॉस रुका था और भीतर चली गई|

   रात जैसे जैसे गहराती गई बास के कमरे से...oh yes, oh yes की अवाजें आती गई| धीरे धीरे अवाज थमी और......

   

 ऋतिक जब सोकर उठा तो वो सुरभि को पास में ना पाकर थोड़ा हैरान हुआ कि तभी उसके फोन पे एक मेल की notification आयी|उसने खोल कर देखा तो उसका प्रमोशन लेटर था|वो खुशी से नाच उठा और अगले ही पल उसके whatsaap पर एक वीडियो मैसेज भी Flash हुआ जिसमें सुरभि उसके बास से नंगे बदन उसका लेटर sign करवा रही है और बास का हाथ उसकी....... वीडियो के साथ मैसेज लिखा था, "मेरा आख़िरी काम तुम्हारे लिए ऋतिक....."

उसके बाद से किसी ने सुरभि को नहीं देखा..........

  और आज दो साल बाद ऋतिक कनाडा में अपनी दूसरी बीवी एंजेला के साथ शायद किसी नए प्रमोशन की तैयारी कर रहा है......



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