Sanjeev #साहिब

Tragedy

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Sanjeev #साहिब

Tragedy

भिखमंगनी

भिखमंगनी

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" अरे अब क्या सोच रहे हो बे , जल्दी से हाथ चलाओ , मंत्री जी आने वालें है कल , बहुत काम निपटाना है अभी , तेरे जैसी स्पीड से तो ये काम अगले साल पूरा होगा ", केशव ने माधो को झिड़कते हुए कहा । 


मंत्री गिरिजा शंकर कल महिला दिवस के मौके पर एक अच्छा सा भाषण और अपने इलाके की महिलाओं के लिए कोई सौगात देने के लिए आने वाले थे । उनके आने के होर्डिंग पूरे शहर में छाए हुए थे , और पूरे शहर में पिछले हफ़्तों से ढिंढोरा पीटा हुआ था । गिरजा शंकर महिला बाल विकास मंत्री थे और महिलाओं के लिए उनके दिल के कोने में बड़ी ही गहरी जगह थी , मगर ये जगह अभी कुछ गिनी चुनी महिलाओं ने ही देखी थी , जब मंत्री जी ने उन्हें परसनल तौर पर खुद दिखाई थी , मगर हैरानी की बात ये थी , जिन औरतों ने जगह देखी , वो फिर कभी दिखाई नहीं दी । मंत्री जी के अनुसार उनपर कृपा हो गयी थी , और वो मोक्ष प्राप्त कर चुकी थी । 


आप सोच रहे होंगे कि इस बात की खबर क्यों नहीं बाहर आयी कभी ? कमाल करते हो , ये मीडिया है , सच दिखाने का काम नहीं करता , बस सच बनाने का काम करता है , अब चाहे किसी भी बात को सच बनवा लो । 


ख़ैर , तो आज तो महिला दिवस की धूम थी , ढून्ढ ढूढ़ कर औरतें लायी जा रही थी , सनमानित करने के लिए । सुधा रानी , जिसने अपने पति को बस इसलिए छोड़ दिया था कि वो सुधा को बाज़ार घुमा कर नहीं लाता था , और अपनी बूढी माँ की सेवा के लिए कहता था , उसपर दहेज़ का झूठा आरोप लगा कर सुधा ने अपनी सास और पति को जेल भिजवा दिया था । उसे अपनी आवाज उठाने के लिए आज सन्मान मिलना था । कमलेश देवी , जिसपर देह व्यपार का पूरा अड्डा चलाती थी , मगर दिखाने के लिए उसने सलाई स्कूल खोला था , जहां से उसे लड़किया बड़ी आसानी से मिल जाती थी , पुलिस से लेकर मंत्री , विधायक तक उसके ग्राहक थे , कमसिन लड़किया जो मुहैया करवाती थी । उसे स्त्री सशक्तिकरण का पुरस्कार मिलना था । कांता देवी , जो अवैध कब्जे और ड्रग समग्लिंग का काम करती थी , मगर दिखाने के लिए उसने एन जी ओ , खोला हुआ था , और उसे समाज भलाई का काम करने के लिए सन्मानित करना था । उसी तैयारी में रूबी , लतिका , और महेशी , पहले ही तैयार की गयी थी , मंत्री जी की सेवा के लिए । महिला दिवस जो है। 


वहां से कुछ दूर गरीब बेसहारा औरते इस उम्मीद में बैठी थी कि शायद मंत्री जी कुछ मदद करने आएंगे । मैली कुचैली , चीकट से भरे कपडे पहने , सुखी लटकती छातियों पर उजड़े और बिखरे से बच्चों चिपकाये , बैठी थी । मगर वो इंसान कहां होती हैं , वो होती हैं , गरीब , और भिखमंगनी "। महिला दिवस उनके लिए नहीं है जो घर में शराबी पति की मार सहती हैं , मगर परिवार न टूटे उसके लिए चुप रहती हैं , ये उनके लिए भी नहीं , जो अपना दर्द , अपनी तकलीफ भूल कर अपनों के लिए चक्की में पिसती हैं , कपडे धोती हैं , खाना बनाती हैं , ये उनके लिए भी नहीं जो पढ़ लिक कर कुछ बनना चाहती हैं , मगर बस माँ , पत्नी बेटी , बहु के सिवा कुछ नहीं बन पाती । 


खैर मंत्री जी आये , तस्वीरें हुईं , तकरीरे हुई , सम्मानित हुए और फिर गिरजा शंकर जी ने रूबी , लतिका और महेशी को अपने दिल की गहरी जगह दिखाई । 


 और वो भिखमंगनी ????, उनका क्या , वो बताया तो था , इंसान थोड़ी हैं !!!


  "रूबी , महेशी और क्या नाम है उस तीसरी का ??, इंस्पेक्टर ने पूछा 


"जी लतिका ", हवलदार ने कहा । 


" ठीक , तीनो लड़कियों की लाशों को शिनाख्त कर , पोस्टमार्टम के लिए भेज दो , और डॉक्टर को बोल दो , प्रेम प्रसंग में फेल होने के कारन आत्महत्या की रिपोर्ट बनानी है, तो ज्यादा मगज मारी न करे । 


और वो चीकट से भरी औरतें , सोच रही थी , इनकी जिंदगी अच्छी है या हमारी , कम से कम हम जिन्दा तो हैं !



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