मेरी बहन को छेड़ता है साला
मेरी बहन को छेड़ता है साला


" इ लो जी सनम हम आ गए , आज फिर दिल ले के , इ लो इ लो " , अपनी फटे बांस सी आवाज के साथ चिल्लाते हुए , मोहल्ले भर में न नहाने के लिए बदनाम , असगर का बेटा सलीम, सुबह सुबह लड़कियों वाले स्कूल के सामने चिल्ला रहा था। । हर आती जाती लड़की को ऐसे ताड़ रहा था , जैसे बहुत बड़ा "कैसोनोवा" है , और उसकी एक नजर पर लड़कियां दिल दिमाग सब भूल कर उसके पीछे आ जाएँगी। उसे इतनी तमीज़ भी नहीं थी कि उसके खुद के चचाजान की छोटी बेटी रुखसाना भी इसी स्कूल में पढ़ती है , 12वीं में थी और अगले साल उसने कॉलेज जाना था , दूसरी तरफ सलीम 10वीं क्लास में अपनी शानदार और धमाकेदार 5वीं बार की वापसी पर भी रत्ती भर शर्मिंदा न था ।
" देख रुख , तेरा शोहदा भाई कैसे तुम लोगों की बेइज्जती करवा रहा है ", रुखसाना की सहेली मोहिनी के उसे कोहनी मार कर कहा ।
" फिर तू क्यों ध्यान दे रही है , तुझे पसंद तो नहीं आ गयी उसकी हरकते ", रुखसाना ने तड़क से जवाब देते हुए कहा ।
"मरना मंजूर है , इसकी हरकते पसंद करने की जगह ", मोहनी ने सलीम की तरफ मुँह बिचकाते हुए कहा ।
सलीम ने मोहनी को मुँह बिचकाते हुए देख तो लिया मगर , कुछ बोला नहीं , क्योंकि रुखसाना साथ थी ।
शाम को सलीम की चीखने की आवाज पुरे मोहल्ले में सुनाई दे रही थी । वजह थी , रुखसाना ने घर आकर सलीम की शिकायत लगा दी थी , और असगर न खूब तबियत से सलीम को सबक सिखाया । मगर वो कहते हैं न आदत इतनी जल्दी नहीं छूटती , चाहे हम कितनी भी कोशिश कर ले। वही हाल सलीम का था , दो दिन ठीक रहा और फिर तीसरे दिन वो अपनी पुरानी चाल ढाल में आ गया । मगर इस सब में सलीम सिर्फ इतना सा ही बदला कि अब वो रुखसाना के सामने कोई ऐसी हरकत नहीं करता था , और दूसरी तरफ वो अब मोहनी से भी डरने लगा था , उसे लगता था कि उस दिन मोहिनी ने ही रुखसाना को भड़काया जिस कारण रुखसाना ने उसकी शिकायत लगा कर उसकी पिटाई करवा दी ।
अब सलीम जब मोहिनी को देखता तो वो अपना रास्ता बदल लेता।कुछ दिन तक तो मोहिनी ने उसे इग्नोर किया ज्यादा ध्यान नहीं दिया , मगर धीरे धीरे उसने ध्यान दिया कि सलीम उसे देख चुप हो जाता , या फिर उठ जाता ।
मुझे क्या ??? , मोहिनी सोचती और अपना काम करने लगती ।
थोड़े दिन बाद स्कूल में एक मैथ्स के नए टीचर आये , क्या नाम था उनका , रमन । हाँ रमन, शांत , गंभीर , अपनी पतली नाक पर मोटा चश्मा चढ़ाये , सिर्फ मैथ्स के किसी कठिन सवाल की तरह लगते ।
रुखसाना की नजर उनपर पड़ी , तो जैसे देखती ही रह गयी । रुखसाना के लिए गणित ऐसा विषय था , जिससे उसे उतनी ही नफरत थी , जितनी नफरत उसे चाउमीन से थी , उन्हें वो गेंसे (केंचुए) ही कहती जो आपस में उलझे ही रहते , और इसी तरह गणित , कभी समझ ही नहीं आया ।
"क्लास , आप सब कैसे हो ", अपनी तोंद को सँभालते हुए प्रिंसिपल गौरंग नाथ ने रुखसाना की क्लास में पैर रखा ।
"क्लास स्टेण्ड , जय हिन्द , पूरी क्लास एक सुर से उठ कर बोली ।
"प्लीज, बैठिये , आप सब से मैं एक बात करना चाहता हूँ ", गौरंग नाथ ने अपनी मूछों पर हाथ फेरते हुए और अपनी पेण्ट को खींच कर ऊपर चढ़ाते हुए कहा ।
"थैंक यू सर ' , पूरी क्लास अपनी जगह पर बैठती हुई बोली ।
"क्लास , जैसे आप को पता है , हमारी गणित की टीचर , कुसुम जी अब कुछ दिन हमारे साथ नहीं होंगी , क्यूंकि उनकी कुछ समस्या है ", गौरंग ने लेक्चर स्टेण्ड पर अपना हाथ रखते हुए कहा ।
" उसके बच्चा होने वाला है , बिन शादी के", किसी ने दबी आवाज में कहा । और सारी क्लास ओ ओ ओ ...... की आवाज से बोल पड़ी ।
"साइलेंट . ऐसा कुछ नहीं है , ये बकवास कौन बताता है , आप को , बुलशिट ", गौरांग जी भड़क पड़े ।
"आप ही का है ", एक और दबी सी आवाज आई ।
गौरांग ने उस बात को अनसुना किया और बोलै " जब तक आप के टीचर नहीं आते , तब तक मिस्टर रमन आप के मैथ्स के टीचर होंगे ", समझे !!, सर आप की क्लास , गौरांग ने रमन को आगे किया और तोंद संभालता हुआ बाहर निकल गया ।
'ठरकी बुड्ढा ", पीछे से फिर क्लास चिल्लाई ।
" क्लास !!!!!", रमन ने जोर से चिल्ला कर कहा । ये तो चिल्लाता है , अचानक रुखसाना ने हंसते हुए कहा।
"स्टैंड उप एंड गेट आउट
फ्रॉम क्लास .", रमन ने चिल्ला कर रुखसाना की तरफ देखते हुए कहा।
"सर ", रुखसाना सकपकाते हुए बोली।
"आई सेड गेट आउट ", रमन ने बड़ी ठंडी सी आवाज में कहा।।
"सॉरी सर ", रुखसाना झेंपते हुए बोली।
"ये तुम्हे बोलने से पहले सोचना था, सो प्लीज गेट आउट", रमन क्लास के गेट पर आकर बोला।
रुखसाना को बाहर जाते देख मोहिनी बोली
" भैया , अब बस भी करो , सॉरी बोल दिया न बेचारी ने ",
सारी क्लास मोहिनी की तरफ देखने लगी।
" मेरा भाई है, वो शेखी बघारते हुए बोली।
" तुम भी जाओ बाहर", रमन ने उस की तरफ तिरछी नजर से देखा।
" क्या , मैने क्या किया ??", मोहिनी हैरान होकर बोली, और सारी क्लास में कहकहा उठ गया।
तब तक रुखसाना क्लास से बाहर निकल चुकी थी।
"आइंदा , ऐसी बात मेरी क्लास में मत करना, आओ बैठ जाओ", रमन ने मुस्कुराते हुए कहा। रुखसाना को आंखो में आंसू थे , वो चुपचाप सर झुकाए आकर बैठ गई।
" और मैं", मोहिनी ने भी कहा।
" आप की मर्जी , जाना है तो चली जाओ", रमन ने हंसते हुए कहा।
अब फिर क्लास में हंसी फुट पड़ी।
रुखसाना चुपचाप सी वापिस आ रही थी कि सामने से सलीम आया।
" आज मैंने सुना है , किसी को क्लास से बाहर निकाला गया ", सलीम ने उसे छेड़ते हुए कहा।
" चला जा , इधर से वरना मारूंगी", रुखसाना ने बैग उसकी तरफ फेंकते हुए बोला।
" मैंने क्या किया , तब नही बोल सकती थी, उसे मारती न बैग के साथ", सलीम ने कहा।
रुखसाना कुछ नही बोली , कुछ देर चुप रहने बाद सलीम फिर बोला ," सुन वो तेरी सहेली मोहिनी का भाई है क्या वो ",
" मुझे नही पता , और तू जा अब मेरा मूड ना खराब कर ", रुखसाना उसे धक्का मार कर दूर किया। इसी तरह वो दोनो घर आ गए।
मोहिनी आज कल थोड़ा बहुत सलीम को छुप छुप कर देखने लगी थी। और दूसरी और रुखसाना को अब गणित अच्छा लगने लगा था या गणित वाला टीचर, मालूम नही मगर अब रुखसाना के चेहरे पर अनायास शर्म की लाली आने लगी थी। ना जाने क्यों वो चुपके से रमन को देखने लगी थी, और इस बात को रमन भी अच्छे से जानने लगा था। मगर एक टीचर और स्टूडेंट की मर्यादा को वो जानता था।
एक रोज रमन के घर में दस्तक हुई।
" कौन", रमन ने बोला और दरवाजा खोला। सामने देखा रुखसाना खड़ी थी कुछ किताबें हाथ में लिए।
" जी मुझे कुछ सवाल समझने है , एग्जाम आने वाले है क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं ", रुखसाना ने अपनी बड़ी बड़ी आंखे झपका कर कहा।
" इस वक्त , आप घर में बता कर आई हैं ", रमन ने घड़ी की तरफ देखा जो शाम के 6 बजा रही थी।
" जी मैं बता कर आई हूं , आप चिंता न करें ", रुखसाना अंदर आकर बोली।
" जी वो तो ठीक है , लेकिन .....", अभी ये बात रमन की जुबान पर ही थी कि अंदर से एक लड़की निकल कर आई।
" रमन , कौन है ", लड़की ने आते ही पूछा।
रुखसाना ने चौंक कर उसकी तरफ देखा , वो उनकी इंग्लिश वाली मैडम थी जो अंदर से बाल बनाती हुई बाहर निकली।
" मैडम जी नमस्ते , अचानक मैडम पल्लवी को देख रुखसाना हैरान हो गई और तुरंत किताबें उठा कर बाहर निकल गई।
" सुनो , रुखसाना सुनो ", रमन और पल्लवी उसके पीछे बोलते हुए दौड़े, तब तक रुखसाना आगे निकल चुकी थी और अपनी आंखो पर आते आंसू पोंछती जा रही थी। उसका नाजुक दिल टूट सा गया था। और इधर सलीम के किसी दोस्त ने रमन को रुखसाना के पीछे दौड़ते हुए देखा। और आगे उसने रुखसाना को रोते जाते देखा।
" हेलो , सलीम सुन रुखसाना की इज्ज़त को रमन ने छुआ है , तू क्या कर रहा है , जल्दी आ ", नजीम ने सलीम को तुरंत फोन किया , चाहे उसे पूरी बात का पता नही था मगर जो अंदाजा उसने लगाया वो काफी भयानक होने वाला था।
सलीम ने तुरंत बाइक उठाई और नजीम की बताई जगह पर पहुंच गया। नजीम ने उसे जो देखा वो बताया बाकी का अंदाजा उन्होंने आप ही लगा लिया।जो सरासर गलत अंदाजा था।
"अब क्या किया जाए ", नजीम ने पूछा।
" तू चल मेरे साथ ", सलीम नजीम अपने 3 और दोस्तों के साथ अंधेरे में गायब हो गया।
अगले दिन मोहिनी की अधनग्न लाश पुलिस को नाले के पास पड़ी मिली , और साथ में एक पर्चा " मेरी बहन को छेड़ता है साला "