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परिवार

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दयाराम खुश थे। एक अर्से के बाद उनके तीनों बच्चे इकठ्ठे हुए थे। सभी डाइनिंग टेबल पर खाना खा रहे थे। यह वक्त उनके परिवार में आपसी बातचीत का होता था।

दयाराम प्रतीक्षा कर रहे थे कि पहले की तरह उनकी बड़ी बिटिया ही बातों का सिलसिला शुरू करेगी। उन्होंने उसकी तरफ देखा तो वह अपने फोन में मैसेज पढ़ रही थी। वह चुपचाप खाने लगे। खाते हुए उन्होंने अपनी मझली बेटी से दाल का डोंगा देने को कहा। पर वह ना जाने किन विचारों में उलझी थी कि उसने ध्यान नहीं दिया।

बेटे के फोन की घंटी बजी। 'एक्सक्यूज़ मी' कह कर वह अपनी प्लेट के साथ कमरे में चला गया।

दयाराम ने खुद ही दाल परोसी और खाने लगे।


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