Vinay Panda

Drama Others

5.0  

Vinay Panda

Drama Others

परिस्थिति

परिस्थिति

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प्रत्येक इंसान अपनी परिस्थितियों का गुलाम होता है।


दुनिया में गर् वह मज़बूर होता है तो सिर्फ अपनी परिस्थिति के चलते...

कौन नहीं जीना चाहता है अपनी सुकून की ज़िन्दगी मगर हालात उसके उसे जीनें नहीं देते...


वैसे हम भी मज़बूर लाचार अपनी परिस्थियों से लड़कर जीवन की लड़ाई लड़ते चले जा रहा है...

हमने भी शौख से पढ़कर एम्. ए. बी. एड. किया, पहली बार में टेट की परीक्षा पास किये, मगर देश की परिस्थिति और राजनिति ने हमें ऐसा तोड़ा कि हम परचून की दुकान खोलकर नौकरी से हार गया...


क़िस्मत कहो इसे या मेरा दुर्भाग्य समझो मुझे अपनी पसन्द की क़ामयाबी आज तक हासिल नहीं हुई..!


जिंदगी चल रही है परचून की दुकान पर बैठा अपनी गाथा सुनाता हूँ दुनिया को...


लिखने का शौक़ मुझे बचपन से था मगर इसका भी प्रतिफल हमें नहीं मिला कुछ।


जीवन के महत्वपूर्ण 20 साल हमनें सिर्फ नौकरी की चाह में गवां दिये। परन्तु, अन्ततः हमनें सभी आशाओं को त्यागकर अपनी ख़ुद की दुकान खोलने का निर्णय किया..!


ईश्वर की कृपा और मेरा आत्मसन्तोष प्रबल होनें के कारण मैं अपनी हर परिस्थिति को झेलकर जीता चला जा रहा हूँ...

क़िस्मत में होगा जो निश्चित मिलेगा..!


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