प्रेम रस
प्रेम रस
पिट्ठू पिट्ठू
नीचे बच्चे जोर जोर से चिल्ला रहे थे उनको यूं खेलता देख अनायास ही कविता के होठों पर मुस्कुराहट आ गई ..चाय का कप हाथ में लिये वो बालकनी में खड़ी पिट्ठू खेलते हुये बच्चों को देखने लगी
एक मैं और एक तू,
दोनों मिले इस तरह,
और जो तन मन में हो रहा है,
वो तो होना ही था ..!
दूर कहीं यह गाना बजते हुये कविता को समय से पी़छे चलने को मजबूर कर रहा था ..!
फ्लैश बैक
एक छोटी बच्ची हाथ में गेंद लिये खेलने के लिये किसी को ढूंढ रही थी लेकिन उस बड़े बंगले के आस पास कोई आ ही नहीं सकता था ..तो उसके साथ कौन खेलता
माया जो उस घर की खाना बनाने वाली थी वो एक दिन अपने बच्चे को लेकर बंगले पर आ गई
वो बच्चा डर के मारे कोने में खड़ा होकर हैरानी से इधर उधर देख रहा था
तभी वो बच्ची उसके पास आ कर बोली मेरे साथ खेलोगे
पहले तो वह कुछ नहीं बोला
लेकिन बाद में तैयार हो गया
कई दिन इस तरह बीतने के बाद एक दिन बड़े मालिक की नजर उस पर पड़ गई
उन्होंनें बड़े प्यार से अपने पास बुलाया पूछा पढ़ते हो
उसने बोला नहीं
तभी माया दौड़ी दौड़ी आई बोली बड़े मालिक गलती हो गई बच्चा है माफ कर दें
बड़े मालिक मुस्कराये बोले क्या नाम है इसका
माया के बोलने के पहले ही वो बच्चा बड़ी बड़ी काली काली आंखें घुमाते हुये बोला ..जी राजवीर
बड़े मालिक बोले पढ़ोगे
वो बोला जी
बड़े मालिक माया से बोले आज से ये यहीं रहेगा इसके सारे खर्चे का जिम्मा मेरा
माया हैरानी से कभी बड़े मालिक को देखती कभी राजवीर को कभी उस छोटी सी बच्ची को
अब उस बच्ची को एक सा़थी मिल गया था खेलने के लिये
राजवीर पढ़ाई में भी बहुत होशियार निकला पढ़ लिख कर बड़ा डाक्टर बन गया था
कविता ......कविता कहां हो तुम
इस आवाज से कविता अतीत से बाहर आई देखा तो सामने उसका पहला प्यार राजवीर खड़ा था
वो मुस्कुरा कर राजवीर के गले लग गई
तभी राजवीर बोला अभी भी एकदम वैसी ही छोटी सी बच्ची हो जैसी पहली बार मिली थीं
आप भी तो वैसे ही अकडू हो जैसे पहली बार मिले थे
अब जैसा भी हूं तुम्हारा ही हूं समझीं मिसेज कविता राजवीर
इतना कह कर दोनों जोर जोर से हंसने लगे ..!
आसमान से टपकती बूंदें भी आज जैसे प्रेम रस से धरती को भिगोने के लिये आतुर थीं ..!!