Vandana Srivastava

Tragedy

3.8  

Vandana Srivastava

Tragedy

बर्डन

बर्डन

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215


अहिल्या "तुम बर्डन हो मेरे बेटे के ऊपर, तुम्हारी तो इच्छाएं ही खत्म होने नहीं आती, गाड़ी बड़ी चाहिए, कपडे ब्रांडेड चाहिए " कब समझोगी अब तो वो नौकरी में भी नहीं है ! 

बर्डन बर्डन बर्डन

बाकी तो अहिल्या जैसे बहरी हो गई थी और उसे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था.....

अतीत भी शोर कर रहा था .... अनवॉन्टेड चाइल्ड थी अहिल्या ....... माँ पापा को बेटा चाहिए था ऊपर से रंग भी दबा हुआ 

हलांकि होशियार बहुत थी हर कला में निपुण।

कई बार पापा को कहते सुना था कहाँ शादी होगी इसकी, कौन करेगा इतनी काली लड़की से शादी

.......... दिन बीतने के साथ ही वह बर्डन बनती जा रही थी माँ पापा के ऊपर ........ पढ़ाई खतम करके अब वह नौकरी करने लगी थी ........ लेकिन शादी न हो पाने के कारण बर्डन तो वो थी ही ....

आखिर वह दिन आ गया जब उसकी शादी तय हो गई..........

कार्ड लेकर वह खुशी खुशी ऑफिस पहुंची ....... पर तुरंत ही सारी खुशी काफूर हो गई 

लोगों नें कहना शुरू कर दिया .......... किस्मत अच्छी है जो तुझे ऐसा लड़का मिल गया 

इससे अच्छा तो तुझे मिल भी नहीं सकता था ........

अब शादी कर वह ससुराल आ गई थी 

पहली मुलाकात में ही पति बोला " मुझे तो तुम पसंद थी ही नहीं पापा के दबाव में शादी करनी पड़ी...."

बर्डन पति पर भी थी वह...और अब यह शब्द पिघले हुए शीशे की तरह कान से होता हुआ सीने तक आ रहा था .....वो चीखना चाहती थी चीख चीख कर पूछना चाहती थी   क्यों 

लेकिन उसकी चीख उसकी सिसकियों में दब गई

कितने अरमान ले कर वह ससुराल आई थी ......सारे सपने शीशे की तरह टूट कर चूर चूर हो गये .....किस से कहती पति तो कभी का जा चुका था ...इतनी देर में बाहर से आवाजें आनी शुरू हो गईं इतना टाइम हो गया अभी तक चाय नहीं मिली .....अहिल्या उठी मुंह धोया चाय बनाने चली गई ....फिर खाना ....अब तो यह रोज का कार्यक्रम हो गया था दिन भर घर का काम और साथ में उलाहने.....पति को तो जैसे उसके सुख दुख से कोई मतलब ही नहीं था अब उसको खुद की ही जिन्दगी बोझ लगने लगी थी.....और अब पति की नौकरी जाने की भी जिम्मेदार भी वही थी.... इसी तरह दिन बीत रहे थे 

अब अहिल्या दो बच्चों की मां थी ....बच्चे भी बेहद खूबसूरत थे ...लेकिन उसका तिरस्कार जारी था ...हर दिन होने के साथ अहिल्या लड़ाई लड़ती और रात को थक कर सो जाती ....अब बच्चे बड़े हो कर कॉलेज जाने लगे थे .....एक फंक्शन के लिये पैरेंट्स को कॉलेज जाना था ....अहिल्या जाने को तैयार नहीं थी लेकिन जाना पड़ा क्योंकि दोनों का जाना जरूरी था


“मॉं तुम यहॉं क्यों आई हो कल मेरे सारे फ्रैंड्स मेरा मजाक उड़ायेंगे ....तुम ना मेरे लिये बर्डन हो गई हो “

अब यह शब्द अहिल्या के कानों में गूंज रहा था 

बर्डन, बर्डन, बर्डन 

उसे ना कुछ दिखाई दे रहा था ना कुछ सुनाई दे रहा था वो सुनसान सड़क पर बस बेसुध सी चले जा रही थी अचानक जोर से चीखने की आवाज आई ...एक्सीडेंट हो गया था अहिल्या कार के आगे आ गई थी.. ....हॉस्पिटल ले जाते जाते अहिल्या बहुत दूर जा चुकी थी ....उसका मुरझाया चेहरा मानो हर किसी से कह रहा था 


अब नहीं हूं मैं बर्डन किसी पर ......,


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