नीलम
नीलम
सुबह सुबह किचन से सुबकने की आवाज सुनकर रमा का माथा ठनका
वह उठ कर किचन तक गई वहां नीलम को रोता देख रमा ने पूछा .....क्या हुआ क्यों रो रही हो
नीलम बोली मैं पढ़ना चाहती हूं लेकिन माँ आगे पढ़ने नहीं दे रही है।
क्यों रमा ने आश्चर्यचकित हो पूछा।
नीलम रमा की कामवाली बाई शांति की बिटिया थी जिसने इस साल आठवीं की परीक्षा दी थी
पढ़ाई में होशियार होने के साथ-साथ वह अपने छोटे भाई बहनों को भी संभालती थी व काम में माँ का हाथ भी बंटाती थी।
रमा ने कई बार उसको घर का काम करते करते पाठ याद करते सुना था।
रमा उसकी लगन को देखते हुये अक्सर उसे पढ़ाई लिखाई का सामान दे देती थी।
ऑंटी आप माँ से बात करो आपकी बात वह जरूर सुनेंगी ..नीलम बोली
रमा ने शांति से बात करने की कोशिश की लेकिन सब बेकार ...
कुछ दिन बाद नीलम आई उसके हाथ में छात्रवृति का फार्म था
वह बोली ऑंटी आप मुझे पढ़ा दोगी तो मैं छात्रवृति की परीक्षा पास कर लूंगी ...मेरी बारहवीं तक की पढ़ाई फ्री हो जायेगी फिर माँ मेरी पढ़ाई के लिये भी तैयार हो जायेगी ..|
रमा ने तुरंत हां कर दी
उसने जितनी मेहनत से पढ़ाया नीलम ने भी उतनी ही एकाग्रता के साथ पढ़ाई की
आखिर उन दोनों की मेहनत रंग लाई नीलम ने छात्रवृति की परीक्षा पास कर ली और नये सफर पर चल दी ..
रमा बाहर बगीचे में बैठी पेड़ पक्षियों को निहारने में मगन थी तभी एक स्कूटी आ कर रूकी स्कूटी की आवाज से रमा की तंद्रा भंग हुई
चहकते हुये नीलम बोली ऑंटी आपने इतना सब कुछ किया मेरे लिये आप मेरे लिये फरिश्ता हो
रमा ने भी प्यार से गाल पर हल्की सी चपत लगाते हुये कहा अरे बस बस अपने बच्चे के लिये नहीं करूंगी तो किसके लिये करूंगी ..|
आपने मुझे पढ़ाया जीवन जीने हौसला दिया कॉलेज से आने जाने में वक्त ना लगे तो स्कूटी चलाना सिखाया और अपनी स्कूटी भी दे दी आज मैं जो कुछ भी हूं वो आपने मुझे बनाया है यह कहते कहते नीलम की आंख नम हो गई
रमा ने भी नीलम को गले से लगा लिया ....एक माँ अपने बच्चे के लिये प्यार से करती है तू भी तो मेरी बच्ची ही है ..|
और ये तेरे हाथ में क्या है दिखा मुझे रमा बोली
मेरी नौकरी लग गई है मैं अब आत्मनिर्भर हूं नीलम चिहुंक पड़ी
और रमा के पैर छूने को झुकी तो रमा ने पकड़ कर गले से लगा लिया और बोली
बेटियां पैर नहीं छूतीं लक्ष्मी होती हैं
नीलम :आपके जैसा फरिश्ता अगर हर मजबूर लड़की को मिल जाये तो पता नहीं कितने लड़कियों की जिंदगी संवर जाये फिर किसी के सपने कुचले ना जायें बल्कि सपने जीने का हक मिले
अब दोनों ही नम आंखों से एक दूसरे को देख रही थी
थोड़ी देर बाद दोनों घर के अंदर चली गईं आज पार्टी करने का दिन जो था ......|