Vandana Srivastava

Others

4.0  

Vandana Srivastava

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हर हर महादेव

हर हर महादेव

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पता नहीं सपनों का हकीक़त से कोई ताल्लुक है कि नहीं पर कुछ सपने जागने के बाद भी इतने अच्छे लगते है कि फिर से सो जाने को जी चाहता है ..जब जिंदगी में कुछ भी ठीक न चल रहा हो तो रातों को नींद ना आना स्वाभाविक ही हैअंधियारा रास्ता जोरदार बारिश हर तरफ सिर्फ अंधेरा कहीं कुछ नहीं दिख रहा घनघोर बारिश कुछ पता नहीं क्या हो रहा है आसमान में रह रह कर बिजली कौंधती है और फिर अंधियारा छा जाता है ... अचानक से एक रोशनी दिखती है और मैं दौड़ पड़ती हूँ उस रौशनी की तरफ, बेतहाशा दौड रही हूँ लेकिन वह रौशनी है कि कहां से आ रही है कुछ पता नहीं चल रहा... काफी दूर दौड़ने के बाद भीड़ सी दिख रही है हर कोई जानना चाहता है कि वह आखिर है क्या? सामने एक पुल है शीशे का जो दो पहाड़ियों को जोड़ता है और नीचे गहरी खाई हैरौशनी पुल के पार से आ रही है और पुल बीच से टूटा है, जैसे ही उस पर कोई पैर रखता उसका शीशा चट की आवाज़ के साथ चटक जाता और खाई में गिर जाता उस पार जाना है तो पुल को पार करना ही होगाउस पुल को पार करने की हिम्मत किसी में भी नहीं है ...तभी कोई कान में फुसफुसाता है अगर मन में अटूट विश्वास है तो पुल पार कर लो मॉं भवानी गिरने नहीं देंगी मैं पुल पर पहला कदम रखती हूँ तभी पीछे से रोने की आवाज़ सुनाई देती है, मत जाओ, मत जाओ... हर कोई रोक रहा है, लेकिन मैं निश्चय कर चुकी हूं जय मॉं भवानी जय मॉं भवानी कहती हुई आगे बढ़ती जाती हूँ शीशा चटक रहा है टूट कर खाई में गिर भी रहा है लेकिन मैं नहीं गिर रही हूं ऐसा लगता है बादलों पर तैर रही हूंअंतत: पुल पार हो जाता है, अब वह रौशनी पास ही लगती है .... तभी सीढ़ियाँ दिखाई देती हैं और मैं सीढ़ियों पर चढ़ने लगती हूंजब ऊपर पहुँचती हूँ तो एक बहुत बड़ा शिवलिंग है और यह रौशनी उसी की है, इतना बड़ा शिवलिंग मैंने कभी नहीं देखा था मैं आश्चर्य से उसको देखे जा रही हूंनीले आकाश में चॉंद चमक रहा है इतना पास है कि हाथ बढ़ा कर छू लूं .....ऊपर झरनों से पानी गिर रहा है मैं मंत्रमुग्ध सी बस निहारे जा रही हूंअचानक एक सॉंपों का जोड़ा प्रकट होता है ...अब मुझे डर लग रहा है और मैं डर से थोड़ा पीछे हो जाती हूंतभी वो बोल पड़ता है ....बेटा डरो मत हम यहां केवल महाकाल की आज तक सेवा करते हैं यहॉं वही पहुँचा है जो मन का पवित्र है और जिसकी आत्मा शुद्ध है और वह सॉंपों का जोड़ा धीरे धीरे मानव रूप ले लेता है ....ओह इतना तेज मुखमंडल पर, हे तेजस्वी मैं धन्य हो गई आप दोनों के दर्शन पाकर और मैं नतमस्तक हो कर दोनों को प्रणाम करती हूंतभी वह तेजस्वी बोलते हैं हम तुम को आशीर्वाद देते हैं शिव शम्भू सदैव तुम्हारी रक्षा करें, बोलो हर हर महादेव ....और मैं आँखें बंद कर जोर जोर से हर हर महादेव बोलने लगती हूं अचानक डोरबेल से नींद टूटती है और काफी देर तक मैं हकीक़त और सपने में फर्क ही नहीं कर पाती हूँ !!!

आज भी यह सपना मेरे मन पर अंकित है ....और अक्सर चलचित्र की भॉंति आंखों के सामने घूम जाता है और मेरा मन प्रफुल्लित हो जाता है 



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