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Archana Misra

Tragedy

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Archana Misra

Tragedy

प्रायश्चित

प्रायश्चित

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मन के कागज पर जाने कितनी ही बातें भावनाओं की स्याही से ऐसे लिखी होती हैं कि आत्मा पर उनका जन्म जन्मांतर तक असर रहता है। आँखों से जाने कितने सैलाब उमड़ जायें, मन जाने कितनी बार उसे भूलने की कोशिश करे, लेकिन अनन्या की आत्मा आज भी छटपटाती है।

उसकी शादी तय हो गई है, वह बेहद बेचैन है कि इतनी बड़ी बात उसके घर वालों ने छुपा कर शादी तय कर दी है।

सच जानकर उसके ससुराल वाले उसे छोड़ देंगे लेकिन सच्चाई से वह मुँह नहीं मोड़ सकती, अंततः दृढ़ निश्चय कर वह ससुराल चली आयी।

रात उसने पति को हिम्मत करके कहा मुझे आपसे कुछ कहना है।

बोलो अनन्या !

मेरे घर वालों ने आपके साथ छल किया है मेरा गाँव में गैंगरेप हो चुका है। उस हादसे के बाद मुझे मेरी बुआ के घर भेज दिया गया। मेरी आत्मा पर वह क्रूर दृश्य काली स्याही से आज भी अंकित है।

कह अनन्या फूट-फूटकर रोने लगी। उसके पति ने उसे ढांढस बँधाया। पानी दिया, जिससे अनन्या शांत हो पायी।

मैं भी तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।

क्या तुम मुझे माफ़ कर पाओगी। मेरी आत्मा आज तक उस बोझ से मुक्त नही हो पायी है। मैं अपनी उस गलती का प्रायश्चित करना चाहता हूँ। एक मौका जरूर देना.....

अनन्या ने प्रश्न सूचक दृष्टि से देखा लेकिन आँखों में मौन स्वीकृति भी थी।

बड़ी मुश्किल से उसके पति ने भर्रायी आवाज़ में कहा-

"उनमें से एक मैं भी था।"


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