Archana Misra

Inspirational

5.0  

Archana Misra

Inspirational

फैसला

फैसला

3 mins
562


निशांत अमेरिका से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर इतने वर्षों बाद अपने गाँव जा रहा है।

माँ-बाबूजी हमेशा बताते थे कि अब अपना गाँव काफी बदल गया है। सही कह रहे थे माँ, बाबूजी, सड़क भी दिख रही है भले ही बीच-बीच में गड्ढे हैं और "एक्के" की जगह "मिनी बस" ने ले ली है।

एकाध जगह उसे सार्वजनिक शौचालय भी दिखा। घर पहुंचते ही उसे अपना घर बदरंग, खस्ताहाल देख निराशा हुयी लेकिन माँ और बाबूजी की खुशी देख वह सब भूल गया। शाम को वह खेत की तरफ निकल गया। वहाँ ननकऊ चाचा को देखते ही उसने चरण स्पर्श किया। चाचा ने आशीर्वाद की झड़ी लगा दी- बचुआ ! तुम तनिकऊ नहीं बदले, अपनी संस्कृति विदेश में रहकर भी नहीं भूले। बेटा यहाँ अस्पताल खुल गया है पर डॉक्टर नहीं होता। अब तुम डॉक्टर बनकर आ गये हो तो सबके भले के लिये यहीं काम संभाल लो।

घर पँहुचा तो बाबूजी खाने पर उसका इंतज़ार कर रहे थे लेकिन बाबूजी इस बार काफी चुप-चुप से लगे। उसने माँ से पूछा भी लेकिन माँ ने कोई उत्तर नहीं दिया। आज दूसरे दिन बाबूजी ने उससे पूछ ही लिया- आगे का क्या विचार है ?

''अभी सोचा नहीं।" कह, उसने चुप्पी साध ली।

वह अपनी खुशी माँ को बताना चाहता था कि उसे वहीं जॉब मिल गया है और फ्रैंकी भी जिससे वह शादी करना चाहता है। फ्रैंकी का दो बार फोन आ चुका कि उसने घर पर बात की या नहीं। कल सुबह वह माँ से बात कर लेगा सुबह माँ बाबूजी की आवाज से उसकी नींद खुल गयी। बाबूजी कह रहे थे कि उसकी पढ़ाई के लिये कितने दुःख सहे हैं हम दोनों ने। तुम्हारे सारे गहने बिक गये, खेत बिक गया और बचा खेत अधिया पर उठा कर हम अपनी दाल रोटी चला रहे हैं। तुम पता तो करो वह क्या चाहता है।

धीरे बोलो, उसकी नींद ना खुल जाये, माँ की आवाज़ थी। उसे जो ठीक लगेगा वही करने दो उसे।

तो करो, उसके हमें छोड़कर विदेश जाने का इंतज़ार। कह बाबूजी गुस्से में उठकर चले गये।

निशांत जागकर भी सोने का अभिनय करता रहा। उसे याद आया कि उसके विदेश जाने की इच्छा सुनकर उसकी माँ ने कितनी मुश्किल से उसके बाबूजी को राज़ी किया था। बाबूजी बार-बार यही कह रहे थे कि एक बार विदेश गया तो फिर यह लौटने वाला नहीं। माँ आश्वासन देती रही और माँ की मिन्नतों के कारण ही वह डॉक्टर बन पाया। आज इतना स्वार्थी हो गया कि वह सब कुछ भूल गया।

फ्रैंकी से बात करेगा, वह यहाँ आ जाये तो सभी खुश रहेंगे। फ्रैंकी ने सुनते ही इनकार कर दिया। निशांत यहाँ इतना अच्छा जॉब है और तुम वहां गाँव में रहने की बात कर रहे हो। मैंने इतनी पढ़ाई अपना देश छोड़कर आने के लिये नही की थी।

फ्रैंकी ! तुम अपना जीवन मेरे साथ बिताने वाली थी, अब तुम्हें क्या हो गया ?

मैं जीवन तुम्हारे साथ बिताती लेकिन गाँव में ? यह तो मैंने नहीं कहा था निशांत। मुझे तुम पसंद हो लेकिन तुम्हारा देश नहीं ।

"थैंक्स ! फ्रैंकी।" कह उसने फ़ोन रख दिया।

एक तरफ लुभावने सपने हैं तो दूसरी तरफ अपनी संस्कृति की कठोर जमीं। फ्रैंकी ने असमंजस की स्थिति में उसे रास्ता दिखा दिया। अब निर्णय लेने की बारी उसकी है। अच्छा हुआ उसने माँ को कुछ नहीं बताया। सुबह उठकर उसने अपना फैसला माँ और बाबूजी को सुना दिया, "अब वह कहीं नहीं जायेगा।" अपने गाँव में रहकर गाँव वालों की सेवा करेगा। सुनते ही माँ की आँखों के कोर भीग गये। बाबूजी की ओर मुख़ातिब होकर माँ ने रुँधे गले से कहा मैं पहले ही कहती थी न कि बचुआ हमारे साथ ही रहेगा। सुनते ही बाबूजी उसे जोर से भींच गले लगाकर रो पड़े।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational