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Archana Misra

Drama

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Archana Misra

Drama

सज़ा

सज़ा

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आज फिर एक बार दो राष्ट्रों का फाइनल क्रिकेट मैच है। मैच देख उसे वह सब याद आ गया, जिसे वर्षों से वह भुलाये बैठा था। एक समय था, जब वह भी अपने देश का नामचीन खिलाड़ी हुआ करता था। बचपन से ही उसे क्रिकेट खेलने का जुनून था। खाना खाये बगैर घर से भाग वह घंटों खेलता था। इसके लिये कई बार वह पिटा भी। उसके घर इतनी संपन्नता नहीं थी कि वह क्रिकेट किट खरीद सके और किसी कोच से ट्रेनिंग ले सके। मोहल्ले में क्रिकेट खेलते- खेलते अपनी मेहनत के बल पर उसने अपने स्कूल की टीम में जगह बना ली। वही उस के कोच की नजर उस पर पड़ी। उन्होंने हीरा पहचान स्वयं ही उसे तराशने का काम शुरू कर दिया। जब उसे राष्ट्रीय टीम के लिये चुना गया, तो एक सपना जो उसकी आँखों ने वर्षों पहले देखा था, साकार हो गया। खेलते-खेलते वह अपनी टीम का कप्तान बन गया और अपने देश को जीत पर जीत दिलाता गया। उसके अंदर देशप्रेम का अथाह जज़्बा था। अपने राष्ट्र के लिये खेलना और उसे जिताकर लाना मानो उसकी किस्मत में गहरी स्याही से अंकित था। लेकिन कब किसी ने उसकी नासमझी,उसकी मासूमियत का गलत फायदा उठा, उसे मैच फिक्सिंग की चपेट में ले लिया वह समझ नहीं पाया।


सज़ा के तौर पर आजीवन उसे टीम से बाहर कर दिया गया। उसके मैच खेलने पर पाबंदी लगा दी गयी। जितना स्वागत, जितना सम्मान, जितने उपहार उसे मिले थे, उससे ज्यादा अपमान, ज्यादा नफ़रत, ज्यादा ताने उसे मिले। उसे देशद्रोही भी करार कर दिया गया। सालों साल पूछताछ की गहन और लंबी प्रक्रिया से उबर तो गया लेकिन सज़ा बरक़रार रही। अलबत्ते देशद्रोही सूचक शब्द से उसे निज़ात जरूर मिल गयी। कम से कम अपनी ही नज़रों में गिरने से बच गया वह। जाने कितने महीने, कितने साल उसे उबरने में लगे। अपनों की निगाहों में उठे सवालिया प्रश्न उसे अंदर ही अंदर छलनी कर देते। प्रसिद्धि के शिखर से संदेह और घृणा से भरी निगाहें देखना कितना कष्टदायी और शर्मनाक होता है वह किसी से बता नहीं सकता। धीरे-धीरे सबका साथ छूटता चला गया। आज वह गुमनामी की गलियों में एकाकी जीवन जीने के लिये विवश है। काश! कोई उसे समझ पाता। उसका देश एक बार फिर वर्ल्ड कप जीतने की कगार पर है। "करो या मरो " की जंग का क्रिकेट प्रशंसक बेसब्री से इंतज़ार कर रहे है और साथ ही दुआ भी की मौसम साफ रहे। पाँच रन एक बॉल सभी साँस रोके इंतजार कर रहे थे। इस एक बॉल में उसके प्रतिद्वंदी देश का खिलाड़ी छक्का ना मार दे। क्या होगा..? अपनी ही धड़कन उसे स्पष्ट सुनाई दे रही है। यह आखिरी गेंद और रन आउ उ उ ट। आखिरी बॉल पर खिलाड़ी के रन आउट होते ही पूरा स्टेडियम तालियों से गूँज उठा। एक बार फिर उसका देश वर्ल्ड कप विजेता बन गया। वह खड़े होकर तालियाँ बजाने लगा। उसकी आँखों से नमक एक बार फिर पसीजकर बहने लगा।

 


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