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Bhavna Thaker

Drama

3  

Bhavna Thaker

Drama

पोते की चाह

पोते की चाह

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विजय ने डरते हुए कहा, माँ मैं बात करता हूँ प्रिया से, प्रिया की तबीयत को ध्यान में रखते हुए डाक्टर ने कहा है, ये आख़री चांस है अब अगर प्रिया प्रेगनेंट हुई तो उसकी जान को खतरा है..!

 हम 3 बेटियां गिरा चुके हैं, हर बार प्रिया को खून की कमी की वजह से मुश्किल से मौत के मुँह से वापस लाए हैं..!

इस बार रहने देते है जो नसीब में होगा बेटा या बेटी हम खुश है।

हेमलता देवी गरजते हुए बोली- अरे बीवी के गुलाम, एक जाएगी तो तीन लाकर दूँगी, मैं कुछ सुनना नहीं चाहती। जब तक बहू इस खानदान का वारिस नहीं देती चाहे कितनी भी बेटियाँ गिरानी पड़े मुझे पोता चाहिए बस..! 

मनहूस की कोख ही पता नहीं कैसी है जो बेटियाँ ही पालती है, हमारे ज़माने में ये सहूलियत नहीं थी तो 6 बच्चियों के बाद भी तेरा मुँह देखने के लिए पैदा करती रही ओर आज कल की महारानी 3 गिरवाके थक गई..!

विजय तो माँ की जो हूकूमी के आगे चुप हो गया पर इस बार विजय के पिता जी सुभाष भाई का दिमाग हट गया, हेमलता देवी को जाड़ते हुए बोले भागवान हमारा ज़माना ओर था ना उस ज़माने में एसे साधन थे ना हम में इतनी अक्कल की परिवार नियोजन के बारे में सोचते, हमें अपनी सोच बच्चों पर थोपने का कोई हक नहीं..!

ओर सुनो खोट बहू में नहीं उसकी कोख उपजाऊ भूमि है, जो बोया जाएगा वही उगेगा। 

 ओर तुम खुद 6 बेटियों की माँ हो ओर खुद भी एक औरत, शर्म आनी चाहिए एक औरत होकर मासूम बहू को पोते की चाह में प्रताड़ित करते हुए खबरदार बहू को इस मामले में अब एक शब्द भी किसीने बोला तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा, बेटियाँ किस्मत वालों के घर ही पैदा होती है..!

जो भी किस्मत में होगा हमारे घर को पावन करने आएगा ओर बहू की ये आख़री प्रेग्नेंसी होगी वो भी इंसान है आगे से इस मामले में कोई चर्चा नहीं होगी घर में..!

सुभाष भाई का रंग देखते हुए हेमलता देवी की ज़ुबाँ सील गई, विजय मन ही मन खुश हुआ, पर दरवाजे के पीछे से सुन रही प्रिया को ससुर जी में साक्षात भगवान दिख रहे थे, पेट पर खुदबखुद हाथ चला गया अपने बच्चे को आशीष देते जुग-जुग जीओ ओर फिर दोनों हाथ जुड़ गए आसमान की ओर।


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