पंख फैलाने से डरता पंछी
पंख फैलाने से डरता पंछी


हर कोई पंछी उड़ना सीख रहा था पर एक पंछी ऐसा था जो पंख फैलाने से भी डर रहा था, उसके उड़ने का सफर शुरू होने की बजाय थम सा गया था, क्योकि उसका कोई अपना भी नही था जो उसे उड़ना सिखा सके क्योकि उसके माँ- बाप को तो शिकारी ने मार दिया था और दूसरे पंछी उससे बिल्कुल प्यार नही करते थे क्योकि............. उसका रंग काला था; वह एक कौवा था। सभी पंछियो का रंग सुनहरा, भूरा, लाल, पीला था लेकिन कौवे का रंग काला था। यू तो कोयल का रंग भी काला था पर उसकी आवाज बड़ी मीठी थी इसलिए सब उसे पसंद करते थे लेकिन कौवे की तो आवाज भी कर्कश थी तो उससे कोई क्यों दोस्ती करता भला........ डरता सहमता घबराता थोड़ी हिम्मत दिखाकर उड़ने की कोशिश करता है और फिर ज़ोर से जमीन पे गिर जाता है। लेकिन हिम्मत नही हारता फिर से प्रयास करता है। सभी पंछी उसका मज़ाक उड़ाते है उसके गिर जाने पर हसते है लेकिन कौवा पूरी मेहनत करता रहता है, लगातार प्रयास करता है। उसको खाना भी तब ही मिल पाता जब वो उड़कर उसे तलाशता, ये बात उसे समझ आ गयी थी कि उसकी जिंदगी दूसरे पंछियो की तरह होने वाली नही है। उसे समझ आ गया था कि औरो की तरह उसे कोई उड़ना सिखाने नही आयेगा उसे खुद ही उड़ना होगा। उसने ठान लिया कि उसे सिर्फ भोजन ढूंढने के लिए ही नही उड़ना बल्कि उसे इसलिए उड़ना है कि वो आसमान क
ी सैर कर सके। उसे किसी और को नही बताना कि वो उड़ सकता है अपितु उसे तो अपने आप को बताना था ,अपनी आत्मा को बताना था ,अपने दिल को बताना था ,अपने दिमाग को बताना था कि वो उड़ सकता है। उसकी इच्छा थी कि वो अपना पूर्ण प्रयास करे।
उसने इतने प्रयास किये कि वो एक दिन उड़ पाया.....उसे गर्व था कि उसने सिर्फ कहा ही नही बल्कि जो कहा उसे करके भी दिखाया। वह एक जगह से दूसरी जगह, उड़ता चला गया, कई नदियों को पार किया, और आकाश की गहराइयो को छू लिया। एक दिन वो अपने घर पर आया जहां से उसने उड़ना प्रारम्भ किया था और वहा आते ही उन सभी पंछियो ने उससे माफी मांगी जिसने उसका साथ देने की बजाय उसका मज़ाक उड़ाया था। अब उन सभी पंछियो को अपनी गलती का अहसास हो गया था और कौवे के जज़्बे के प्रति सम्मान जागृत हो गया था। कौवे का दिल इतना बड़ा था कि उसने उन सभी को क्षमा कर दिया और उन सभी को समझाया कि कभी भी किसी के रंग रूप को देखकर उसके अच्छे या बुरे, सफल या असफल होने का आकलन मत करना क्योकि सुन्दर तो दिल होता है रंग रूप नही फिर चाहे वो इंसान की बात हो या हम परिंदो की।
हार मान लेने से कहाँ मिलती है मंज़िले
कुछ पाने की चाह हो तो खुद का साथ ही काफी है
अकेले ही चलो राह पे मंज़र चाहे जो भी हो
सच्चा पश्चाताप हो तो हर गलती की माफी है....