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Akanksha Gupta (Vedantika)

Romance

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Akanksha Gupta (Vedantika)

Romance

पनाह

पनाह

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उसकी आंखों में आंसू थे। सांसे जैसे घुट रही थीं। उसका मन कर रहा था कि कहीं भाग जाए लेकिन वह ऐसा कर नहीं सकती थी। घर पर शादी के बहुत सारे काम अधूरे पड़े थे। अपने चेहरे पर मुस्कुराहट ओढ़ कर वह सबके साथ काम कर रही थी लेकिन पल भर के लिए अकेले होते ही उसका दर्द आंखों से छलक जाता था।


मृजल कार्तिक की शादी की तैयारी कर रही थी। कार्तिक मृजल को बुला कर अपने कमरे मे ले गया। कमरे मे पहुंच कर कार्तिक ने मृजल को अपनी शेरवानी दिखाई।


“कैसी लग रही है? रिया को पसंद तो आएगी ना?”


“यह मैं कैसे बता सकती हूँ? इस बारे मे रिया से बात क्यों नहीं करता? शादी के बाद तो वैसे भी उसकी सुनोगे। थैंक गॉड किसी की तो सुनोगे।”


“ओ प्लीज। मैने सिर्फ तुम्हारी सुनी है अब तक। तभी तो मम्मी मुझ से ज्यादा तुम्हें प्यार करती है। मुझे इस शादी के लिए भी तुमने ही तो तैयार किया था। मैं तो कभी मानने वाला भी नहीं था।”


मृजल निःशब्द हो गई। उसने ही तो कार्तिक और रिया के रिश्ते को मजबूत किया था। अपने दिल में कार्तिक के प्यार को दफन कर उसने माँ के एहसानों का बदला चुकाया था जिन्होंने यतीम मृजल को अपने घर मे पनाह दी थीं।


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