पक्षपाती (लघुकथा)
पक्षपाती (लघुकथा)
माँ के साथ भैंस के बाड़े की सफ़ाई करते हुए नन्हीं बालिका बोली, "माँ! आजकल यह भैंस भी कितनी पक्षपाती हो गयी है, सिर्फ़ इतना ही दूध देती है जिससे भाई और पिताजी का ही काम चलता है।"
भैंस के पास बँधी कटिया (भैंस की बच्ची) जुगाली करती हुई एक बार नन्हीं बालिका को देख रही और एक बार अपनी भैंस माँ को।
बालिका की माँ बोली,
"ज़्यादा बकर-बकर मत कर जल्दी-जल्दी काम निपटा फिर जंगल से लकड़ियाँ लाने भी जाना है।"
बालिका चुपचाप काम में लग गयी। कटिया ने भी आँखे मूंद लीं और जुगाली करना जारी रखा।
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