पितृदेवो भव :
पितृदेवो भव :
"मम्मी, बाताओ ना पापा ये कौन सी पूजा कर रहे हैँ ? इतने लोग और पंडितजी क्यों आए हैँ,उन्होंने यह सर पर सफ़ेद पट्टी क्यों बाँधी हुई है ?"
नन्हें अंशु ने अपने पापा को दादाजी के निधन पर श्राद्ध की पूजा करते हुए देखकर आश्चर्य से पूछा।
"बेटा,यहाँ दादाजी की आत्मा की शांति के लिए पूजा हो रही है,और पापा के सर पर जो कपड़ा बांधा गया है उसका मतलब यह कि अब उनके सर पर पितृत्व की छांव नहीं रही।दादाजी के बाद बड़े बेटे होने के नाते परिवार की ज़िम्मेदारी अब पापा के सर पर है। ओरिया कपड़ा जिम्मेदारी का अहसास दिलाने के लिए और घर का मुखिया बनने के लिए लगाया गया है जो कि पिता के बाद घर का बड़ा बेटा है घर की जिम्मेदारी संभालता है!"
मम्मी ने जवाब दिया। नन्हां अंशु सोचने लगा कि...
" मैं भी तो घर का बड़ा बेटा हूं ….!"
और इसके आगे उससे सोचा नहीं गया। उसने मन ही मन में अपने दादाजी और अपने पिताजी को प्रणाम किया।
