पिता का संबल बनें
पिता का संबल बनें
मनोज जी और शांति जी का सुखद परिवार था , एक बेटा और एक बेटी । बेटी बड़ी थी , पढ़ा लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा कर बेटी को ब्याह दिया मनोज जी शांति जी ने ।बेटी के ब्याह के कोई चार बरस बाद एक दिन शांति जी की तबियत ऐसी खराब हुई की वो फिर बिस्तर से उठ ही नहीं पाई ।
मनोज जी बैंक में उच्च अधिकारी थे और अभी सेवा निवृत होने में दो साल ही बचे थे और उनके बेटे अभय का भी कॉलेज खत्म हो गया था और उसने भी नौकरी के लिए आवेदन किया हुआ था औरत के घर में ना रहने से घर बड़ा अव्यस्थित सा हो जाता है हालांकि मनोज जी इस बात का विशेष ध्यान रखते थे कि शांति जी जैसे घर का ध्यान , रख रखाव रखा करती वो भी वैसे ही कर पाएं ।
आज मनोज की की रिटायरमेंट का दिन था , उनकी बेटी शारदा और जवाई जीत भी आए हुए थे ।शारदा ने अपने पापा को कहा की पापा अब अभय का ब्याह भी कर दीजिए , घर में भाभी आयेगी तो रौनक हो जाएगी। मनोज जी भी यही चाहते थे क्योंकि अब अभय भी सरकारी नौकरी करने लगा था ।
मनोज जी के दोस्त थे एक बचपन के उन्होंने ही एक लड़की सुझाई और प्रिया मनोज जी , शारदा , अभय सभी को पसंद आई और चट मंगनी पट ब्याह हो गया अभय और प्रिया का ।
मनोज जी रिटायर तो हो गए थे पर अभी सेहत से तंदुरुस्त थे तो उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिल कर एक साइबर कैफे खोल लिया और उन्होंने अपनी सारी बचत जमा पूंजी सब अभय के नाम कर दी , हालांकि अभय इस पक्ष में नहीं था पर मनोज जी का कहना था की बेटा आज नहीं तो कल सब तुम्हारा ही है ।
ऐसे ही समय ठीक चल रहा था , मनोज जी नाश्ता करके कैफे चले जाते और दोपहर के खाने के लिए घर आते । एक दिन उन्होंने प्रिया से कुछ खाने के लिए दोबारा मांग लिया तो प्रिया ने मना कर दिया की खत्म हो गया है और नहीं बचा ।
अभय ने भी सुन लिया था पर जब प्रिया ने अभय को खाना परोसा तो खाने में वही चीज मौजूद थी ।अभय ने प्रिया को कुछ नही कहा पर घर से सीधा अपने पिता के कैफे पे गया की आप कोर्ट चलें मेरे साथ ।
मनोज जी सकते में आ गए की क्या बात है बेटा ?
अभय ने कहा ये जो सारे पैसे , घर जायदाद आपने मेरे नाम की है ना इनके कागज आपके नाम वापिस करवाने हैं , आज की वो मामूली सी दिखने वाली बात प्रिया का बदलता व्यवहार घर में तनाव पैदा करेगा और आपके लिए ये सब मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता ।
अभय बोला की पिता जी जो आपने हमारे लिए किया और आज भी कर रहे हैं उसका पता प्रिया को होना चाहिए , कहने से उसको समझ नही आयेगा । उसकी आंखें खोलनी हैं मुझे ।
अगले दिन अभय ने प्रिया को बोला की पिता जी चाहते हैं की हम घर छोड़ दे , शारदा जीजी और जीत जीजा जी रहने आयेंगे ।प्रिया आग बबूला हो जाती है पर अभय इस वक्त उसको उसकी कमी बताता है और कहता है की सब प्रॉपर्टी पैसा भी पिता जी ने वापिस ले लिया है अब बस मेरी तनख्वा से काम चलाना पड़ेगा ।
प्रिया निशब्द हो जाती है और पिता जी से माफी मांगने चल पड़ती है ।अपने पिता और माता को हमें यथासंभव प्यार और इज्जत देनी चाहिए । जितना उन्होंने हमारे लिए किया उतना तो हम उनके लिए कर ही नहीं सकते पर दिल के पास उनको रख कर उनको उनका सम्मान दिला सकते हैं और खुद उनको सम्मान दे सकते है ।
