Manisha Maru

Abstract

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Manisha Maru

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पिता और बेटी का अटूट रिश्ता

पिता और बेटी का अटूट रिश्ता

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"हर पिता के हृदय में, बसते हैं बेटी के प्राण। फूट-फूटकर सबसे ज्यादा, रोते जब करते अपनी लाडो का कन्यादान ।

बहुत ही मुश्किल से होती है, उनसे विदाई पिता के सिवा यह बात आज तक किसने समझ पाई।"

जिस समय धरती पर ,एक नारी का जन्म नन्ही परी के रूप में होता है। सबसे अटूट रिश्ता बेटी का पिता से ही होता है।

बड़े ही नाजुक से पलकों में बिठा कर हर पल ख्याल रखता है। बिटिया की परवरिश में कोई कमी ना आ जाए ,ना जाने कितनी मुसीबतों के चक्रव्यू अकेले ही एक पिता तोड़ता है। एक ओर जहां पलकों में बिठाते हैं, दूजी ओर ,आत्मरक्षा ,आत्मबल और आत्मसम्मान के ज्ञान का बीज को बचपन में ही बो देते हैं। ताकि जीवन से जुड़ी हर फैसले को वह स्वयं ले सके।

चाहे जितने भी उतार-चढ़ाव आ जाए व्यापार में, लेकिन स्कूल -कॉलेज की फीस समय पर जैसे भी भर देते हैं।

 बेटी के सपनों को पूर्ण करने के लिए अपना सर्वस्व लगा देते हैं।क्योंकि अगर बेटी आगे बढ़ेगी तो परिवार वह समाज भी आगे बढ़ेगा और हमारा राष्ट्र भी विकसित होगा।पिता ही हमें , जीवन जीने का सही तरीका सिखाते हैं ।अपना सुख और चेन त्याग देते हैं, जब भी हमें तकलीफ में पाते हैं ।

पिता- बेटी के रिश्ते को समझना आसान नहीं होता है कौन सा पिता होगा ? जिसके दिल में प्यारी बिटिया का अरमान नहीं होता है।

बाहर से कठोर जरूर होते हैं लेकिन भीतर से एकदम नरम ।

बेटी पिता के लिए ना होती किसी जायदाद से कम।

       



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