अतीत
अतीत
अतीत अच्छा हो तो जितनी बार भी याद करो हर लम्हा एक सुकून का अहसास दिलाता है।
और अगर अतीत में कुछ बुरा घटा हो तो हर पल उस घटना को दिल में दबाकर हम सब से छुपाना चाहते हैं।
लेकिन ऐसा क्यों?
क्या, आपके साथ ही पहली बार कोई अच्छी या बुरी घटना घटी है?
क्या संसार में केवल आप ही एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनके साथ घटना घटित हुई!
हर किसी की जिंदगी में कुछ ना कुछ हर पल घटित होते रहता है अच्छा हो या बुरा।
तो फिर भय और डर किस बात का....अगर अतीत में आपके साथ कुछ अच्छा हुआ हो तो, बहुत ही अच्छी बात ... और अगर अच्छा कुछ ना भी घटित हुआ हो तो , बची जिंदगी को तो आप एक नई कोशिश के साथ संवार सकते हो।
आपको खुद ही अपने आप को अकेले संभलना होगा अपनी बची जिंदगी की उड़ान भरने के लिए ,
ठीक उसी तरह जिस तरह अपने अंदर कई राज को अकेले ही अपने दिल में दबाए रखा हैं औरों से।
हर वक्त हमें हर चीजों में सबका साथ नहीं मिल सकता। कुछ चीजों का हमें अकेले ही सफ़र तय करना पड़ता है।
चाहे ये पीड़ा शारीरिक हो या फिर मानसिक
जो इससे डटकर मुकाबला कर विजय हासिल कर लेता है असल में वो अपने अतीत को मिटा नया सुनहरा महल खड़ा करने में कामयाब हो जाता है।
और अगर ऐसा नहीं कर पता है तो वो खुद ही अपने सुनहरे जीवन का शिकार कर बैठता है। अतीत की बेड़ियों में बंधा हर पल खुद को और औरों को कोसने में ही अपनी सारी जिंदगी दांव पर लगा जीते जी हर पल मरता जाता है।
अगले जन्म में हम क्या होगे क्या मालूम ये जो मनुष्य जीवन मिला हैं कुछ कर दिखाने के लिए तो क्यों अपने ही इरादों को गला घोट, हर कदम अपाहिज की सी जिंदगी जीए ।
हर पल जो घटित होता है कुछ ना कुछ सीख हमें जरूर देता है।
शर्त बस इतनी सी है कि किस तराजू में हम उसे तोल कर लेते है।
खुशी के या गम के....हमने फूलों को भी अक्सर देखा है कांटों के बीच मुस्कराते।
तो फिर हम इंसान भला क्यों किसी भी मुसीबत के आने पर है घबराते।
अगर इरादा मजबूत और दिल में जुनून हो तो हर मुश्किल राह में लड़कर हमें आगे बढ़ना सीखा देता है।
फिर अतीत में बार बार खुद को धकेल कर क्यों इंसान अपना कीमती वक्त खो देता है।