Sanam Writer

Inspirational

4.3  

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पिंजड़ा ( भाग 1 )

पिंजड़ा ( भाग 1 )

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मोहित एक आस्तिक लड़का है जो भगवान को बहुत मानता है और ऐसा एक दिन नहीं जब वो मंदिर ना गया हो और भगवान की आरती में शामिल ना हुआ हो। वही दूसरी ओर उसका दोस्त गौतम जो भगवान पर बिल्कुल विश्वास नहीं करता और जिसका कहना है कि मंदिर मस्जिद चर्च और गुरुद्वारे जैसी जगहों पर सिर्फ कमज़ोर लोग जाया करते हैं, वो मोहित को भी कई बार मंदिर ना जाने को कहता लेकिन मोहित ईश्वर में इतना लीन हो चुका था कि वो गौतम की बात एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देता था, मोहित अक्सर उससे पूछता की ऐसा क्या हुआ कि गौतम का भगवान पर से विश्वास उठ गया लेकिन गौतम उसके इस सवाल का कोई जवाब ना देता।

गौतम के जीवन में सिर्फ उसकी बहन है जिसका नाम मानसी है गौतम और मानसी के माता पिता तब एक सड़क हादसे में चल बसे जब गौतम तेरह साल का और मानसी दस साल की थी इन दोनों का बचपन इनके नाना नानी और मामा मामी के पास बीता, नाना नानी और मामी तो इन दोनों को बहुत प्यार करते लेकिन इनके मामा को यह बात पसंद नहीं थी कि ये दोनों बच्चे उन पर बोझ बन चुके हैं और उन्हें ही इनकी पढ़ाई का खर्चा उठाना पड़ रहा है। खैर समय बीत चुका है अब दोनों भाई बहन एक घर में अकेले रहते हैं लेकिन गौतम जितना बड़ा नास्तिक है मानसी उतनी ही बड़ी भगवान विष्णु की भक्त और गौतम को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं थी, वो हर दिन मानसी को कहता कि एक दिन वो उसे साबित करके बताएगा कि भगवान का कोई वजूद ही नहीं है और भगवान सिर्फ एक कल्पना है ।

गौतम हर सुबह जब ऑफिस जाने के लिए निकलता तब सिग्नल पर बैठे भिखारी को एक रुपए का सिक्का दे देता और कभी कभी गरीब बच्चों को कपड़े और खाना भी दे देता लेकिन यह बात उसने मानसी को कभी नहीं बताई। एक दिन मोहित ने गौतम को एक मैसेज फॉरवर्ड किया जिसमें लिखा था कि एक गिरोह है जो गरीब बच्चों को अगवाह करके उनको या तो बेंच देता है और या तो भीख मंगवाता है इस मैसेज को भेजने के बाद मोहित गौतम को फ़ोन करता है और कहता है की उसके दिमाग में एक विचार आ रहा है कि क्यों ना हम दोनों मिलकर एक एनजीओ खोलें जो ऐसे बच्चों की मदद करे। गौतम को लगा कि इससे अच्छा मौका नहीं है मानसी को ये बताने का की ज़रूरत पड़ने पर इंसान ही इंसान की मदद करता है ना कि भगवान और उसने तय किया कि वो मानसी को भी इस एनजीओ में शामिल करेगा, फिर क्या था एनजीओ खोलने का काम शुरू हो गया कुछ दिन बाद एक लड़के ने मोहित को फोन किया और कहा कि वो भी इस एनजीओ का हिस्सा बनना चाहता है मोहित ने गौतम और मानसी को बताया की ये बात बड़ी अजीब है कि हमें इस एनजीओ के बारे में सोचे हुए एक हफ्ता भी नहीं हुआ और सामने से एक लड़के का फोन आ गया की उसे हमारे एनजीओ में शामिल होना है अब तीनो ये सोचने लगे कि ये लड़का कौन है और इसे पता कैसे चला हमारे एनजीओ के बारे में क्योंकि अभी तक इन तीनो ने इस एनजीओ के बारे में किसी को भी नहीं बताया था तीनों सोचने लगे कि ये लड़का कौन है और हमें कैसे जानता है और इसने हमें सामने से क्यों फोन किया हमारे एनजीओ में शामिल होने के लिए।


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